मंगलवार, 24 फ़रवरी 2015

पेलां हा तख्त ताज आज टोपियां घणी

पेलां हा तख्त ताज आज टोपियां घणी ।
थें हो प्रजा ये राज झूंठ कह  दियो  कणी ।
दुष्टां भरोसे मातभोम नी है राखणी ।
देश है थारों रे थें हो देश रा धणी ।।      

शताब्दियां तलक रा बलीदान सूं बण्यो ।
मिनखां रा लोहि मांडणा सूं आंगणो रच्यो । अणगिणतरा  हमला सह्या ने जंग झेलिया । चंगेज अर अंग्रेज जस्या सेंकडों सह्या ।
अबे तो मात भारती ने शान्ति साजणी ।
देश हैं थांरो रे थें हो देश रा धणी ।। 

मां भारती री रक्षा निज हाथ  सूं सरे ।
पाडोसी मुक्ख जोवणो तो पार नी पडे । देशद्रोहि देश मे जो निजर मे चढे ।
सपूत वो कपूत रै जो जूत री जडे ।
दधीचि वाली रीत ने पाछी निभावणी ।
देश है थारों रे थें हो देश रा धणी ।।      

थें टाबरां ने शूरवीरता री सीख दो ।
कायर पणा री ठोड ओज तेज सींच दो ।
भारत मे अभिमन्यु भरत फैर निपज जा । आतंक दुष्ट दैत्य सूं नरनार जूंझ जा ।
भावी पिढी ने देश री रखवाल बणाणी ।
देश हैं थारों रे थें हो देश रा धणी । ।          

मोठ्यार पण रा काम कोइ रोल तो नही ।
थांरी उमर या पायलां रिमझोल तो नही । सिणगार रा गीतडा ने कांइ गावणा ।
हास्य व्यंग रा किस्सा किनै सुणावणा ।
इतिहास रा आखर बणा  या लगन लागणी । देश है थांरो रे थें हो देश रा धणी ।।

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