शनिवार, 1 अगस्त 2015

मधुमाखी रो सेत, रीछङा आज भखे ।

मधुमाखी रो सेत, रीछङा आज भखे ।
बाङ खेत ने खाय, जिको कुण रोक सके ।
रेवङ रा रुखाळ, भेङिया आज बणे ।
ओडी गाडर खाल,  अहिंसा सबद भणे ।
साथी रंगीया स्याळ, कपट रा हेत किया ।
अवसर रे उनमान, खोळिया बदळ दिया ।
ले लिनो बैराग, जके ईमान रखे.... ।
बाङ खेत ने खाय, जिको कुण रोक सके ।।

अफसरिया हैं आज, ढोल ज्यूं अजगरिया ।
कागा मोती खाय, हंस रे काकरिया ।
खून परायो चूस, जिकै मुख रातो हैं ।
ज्यूं खटमल बुग, जवा चिचङा साथी हैं
फळीयो तरवर अमर बेल, ज्यूं छायं ढके ।
बाङ खेत ने खाय, जिको कुण रोक सके ।।

हाथी आंकस हीण, बाग रो नास करे ।
ऊंट नकेल तुङाय, ताकङा तेज भरे ।
सूर उजाङे साख, रोजङा फाल चरे ।
नाहर सूतो नींद, स्याळिया मौज करे ।
बिना तेज रो राज, कियां अब राम रखें... ।
बाङ खेत ने खाय, जिको कुण रोक सके ।।

दफ्तर राज कचेङी, चढता दीन करे ।
पंडो ने परसाद, चढे जद काम चले ।
तोल ताकङी, आज मिळे इंसाफ कठै ।
झट पलङो झूक जाय, नोट रो बाट जठै ।
काळा कोट दलाल, हाथ में न्याव बिकै... ।
बाङ खेत ने खाय, जिको कुण रोक सके ।।

नकटी व्हेगी नीत, न्याव खूद आंधो हैं ।
हर मांचे हर ठौङ फरज क्यूं मांदो हैं ।
नौकर रिश्वत खोर, नेताजी बहरा हैं ।
चिमचां रे घर चैन, आज दिन आंरा हैं ।
ईमानदार रे घरां, नहीं पकवान पकै... ।
बाङ खेत ने खाय, जिको कुण रोक सके ।।

राष्ट्र पुरख री पीर, समझ कुण पावे हैं ।
समग्र कान्ती रो सूत्र, हाथ नहीं आवे हैं ।
नीम हकीम बैठ, नब्ज टंटोळ रिया ।
सर्वोदय रा वैद, नहीं अब बोल रिया ।
गांधी सुरग उदास, काळजो हाय धुके ।
बाङ खेत ने खाय, जिको कुण रोक सके.... ।
  नारायण सिंह चारण,  नौख

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