शुक्रवार, 24 अप्रैल 2015

पाळ पुराणी जळ नवो

पाळ पुराणी जळ नवो, हंसा बेठो आय।
प्रीत पुराणी कारणे, चुग चुग कांकर खाय॥

साजन हम तौ मोर हे ,तुम सावन को मेह।
हम तो जानत बरसबो, तुम देवत हो छेह॥

दिन सोळह उनमाद रा,सोले बरसा नार ।
ससि बदनी सोळह कला, सोले सज सिणगार॥

साजन ऐसा कीजिए,  ढाल सरीसा होय ।
सुख मे तो पाछे रहे, दुख मे आगे होय॥॥

शेरी मिंतर सब मिळै
ताळी  मिंत अनेक।
जिण मे सुख दुःख वामिये,
सो लाखो में एक॥

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें