गुरुवार, 29 जनवरी 2015

लुगायां रा चुटकुला

वाइफ के गाल पर
गुलाब का फूल मारने पर

इंग्लिश वाइफ :
"यु आर सो नॉटी .....

पंजाबी वाइफ :
" तुसी वड़े रोमेंटिक
लगते हो .....

जोधपुर री वाइफ :

कई करो इत्ता मोटा हुगया पण लखन टाबरा वालाईज है ...हमार आंख और फोडता मारी .....

एक लुगाई क बुखार होगी । बा डॉक्टर कन गई। डॉक्टर बोल्यो- सुई लगाणी पड़सी । यदि बाजू पर सुई
लगवासि तो 2 घण्टा म ठीक होवेगी और ढुंगा पर
लगवावगी तो दस मिनट म ठीक हो जायगी। लुगाई बोली- बाजू पर ही लगा दे।
डॉक्टर बोल्यो एक बार और सोच ल। लुगाई फिर सोच र और डॉक्टर की नियत देख र
बोली-'सुई तो बाजू म ही लगा दे, ढुंगा मैं
इयां ही दिखा देस्यु।।।।

मेरी तो हँसी ही नहीं रुक रही यार...
बिल गेट्स ने अपने माइक्रोसॉफ्ट के कनाडा के बिज़नेस के लिए
चेयरमैन की जॉब लिए एन इंटरव्यू रखा... इंटरव्यू के लिए 5000
लोग एक बड़े होल में इकट्ठा हुए...
इन सब में एक कैंडिडेट राजस्थान से भी थे... नाम था 'गमलाराम’
बिल गेट्स: इंटरव्यू में आने के लिए आप सबका शुक्रिया... जो लोग
java नहीं जानते हैं, वो जा सकते हैं
(ये सुन कर 2000 लोग रूम छोड़ कर चले गए)
‘गमलाराम’ ने मन में सोचा, “मुझे कौन-सा ससुरी java
आती है... लेकिन रुकने में ही क्या नुकसान है... देखते हैं आगे-आगे
क्या होता है”
बिल गेट्स: जिन लोगों को 100 लोगों से बड़ी टीम को मैनेज करने
का तजुर्बा नहीं हैं, वो जा सकते हैं...
(ये सुन कर 2000 लोग रूम छोड़ कर चले गए)
‘गमलाराम' ने मन में सोचा, “मैंने तो ससुरी भैंस भी एक साथ 3 से
ज्यादा नहीं चराई... ये 100 लोगों की टीम मैनेज करने की बात कर
रहा है... लेकिन रुकने में ही क्या नुकसान है... देखते हैं आगे-आगे
क्या होता है”
बिल गेट्स: जिन लोगों के पास मैनेजमेंट का डिप्लोमा नहीं है,
वो जा सकते हैं...
(ये सुन कर 500 लोग रूम छोड़ कर चले गए)
‘गमलाराम’ ने मन में सोचा, “मैंने तो 8वी क्लास में ही स्कूल छोड़
दिया था... ये ससुरा डिप्लोमा की बात कर रहा है... ... लेकिन रुकने
में ही क्या नुकसान है... देखते हैं आगे-आगे क्या होता है...”
सबसे आखिर में बिल गेट्स ने कहा: जो लोग जापानी भाषा में बात
नहीं कर सकते, वो जा सकते हैं...
(ये सुन कर 498 लोग रूम छोड़ कर चले गए)
‘गमलाराम’ ने मन में सोचा, “मुझे तो जापानी भाषा का एक शब्द
भी नहीं आता... लेकिन रुकने में ही क्या नुकसान है... देखते हैं आगे-
आगे क्या होता है...”
अब ‘गमलाराम’ ने पाया की वो खुद और सिर्फ़ एक ही और
candidate इंटरव्यू के लिए बचे हैं... बाकी सब जा चुके थे...
बिल गेट्स उन दोनों के पास आया और उनसे कहा, “जैसा की आप
देख सकते हैं कि अब सिर्फ़ आप दोनों ही हैं candidate बचे हैं
जो जापानी भाषा जानते हैं... में चाहूँगा कि आप दोनों आपस में
जापानी में बात करके दिखाएँ”
‘गमलाराम’ धीरे से दूसरे candidate से बोला, “कटे रा हो.??”
दूसरे ने जवाब दिया, “गंगानगर ... ...और थे??

बुधवार, 28 जनवरी 2015

मारवाड़ी गुदगुदी

देशी लव ( मारवाडी )

फिदा  हूँ  थारी  चोटी  उपर.
जिंवतो  हूँ  बाजरा  री  रोटी उपर.
जे  तु  ना  बोले  कि  मैं  थारी  हूँ.
तो  बैठयो  रेसु  थारी  चौकी  उपर.

थारो लाडलो
भोमलो
__________

एक मारवाड़ी छोरे की
दिल्ली की एक पतली सी
लडकी से फ्रेँडशिप हो गई !
उसने लड़की को मैसेज भेजा:
.
.
.
.
.
.
.
मुंडो भी थारो  ख़ास कोनी है ;
हड्डियों माते थारे माँस कोनी है;
प्रपोज थने मैं केण वास्ते करूं बावली;
थारी तो  वैलनटाई डे तक जीवणा री आस
कोनी है.. ।

राजस्थान री धोरां धरती रै जानवरां में इतरो नेह

राजस्थानी बातां

     पुराणां समै री बात है , राजस्थान री धोरा धरती में ऊनाळै रै दिनां में  दो सहेलियां कांकङ (वनक्षेत्र) में लकङियां लावण ने गई ।
  रस्ते में व्है देखियौ के दो हीरण मरियोङा पङिया हा अर उणां रै बीच में एक खाडा में थोङो सो"क
पाणी भरीयौ हौ । जद एक सहैली कह्यौ ----

खङ्यौ नी दीखै पारधी ,
लग्यौ नी दीखै बाण ।
म्है थने पूछूं ऐ सखी ,
किण विध तजिया प्राण ।।

( है सखी , अटे कोई शिकारी नजर नी आय रियौ है अर इणां रै बाण भी नी लागोङो है तो ऐ हीरण किकर मरिया ? )

     तो दुजोङी सहैली उण ने उत्तर दियौ --

जळ थोङो नेह घणो ,
लग्या प्रीत रा बाण ।
तूं -पी  तूं-पी  कैवतां ,
दोनूं तजिया प्राण ।।

( इण सुनसान रोही में  दोनूं हीरण तिरस्या हा , पाणी इतरौ ही हौ के एक हीरण  री तिरस(प्यास ) मिट सके , पण दोयां में सनेह  इतरो हौ के उणां मांय सूं कोई  एक पीवणीं नी चावतो । इण खातर दोइ एक -दूजा री मनवार करता करता प्राण तज दिया ।)

    राजस्थान री धोरां धरती रै जानवरां  में इतरो नेह अर हेत  है ,  तो अटा रै मिनखां रै नेह  रो उनमान नी लगां सकां ।

म्हारो प्यारो राजस्थान

विदाई के समय ओबामा-मोदी संवाद......

www.saleunlimited.blogspot.in
विदाई के समय ओबामा-मोदी संवाद...........
ओबामा :- मोदी भासा, तो मैं निकलूँ अबे I
मोदी :- यार इत्ता दिनों ऊँ तो तू आयो है, रुके कनी दो चार दिन भेर I
ओबामा :- नहीं भासा, म्हारे कॉम री भेजामारी घणी है,.....अबार एक शेख साब है सऊदी में व्योरा भाभोसा चालता रेया, व्योरी तापड़ माते जावणो पड़ी I
मोदी :- थारे भी भगत घणा पाळियोड़ा है यार,......ठीक है जरे, अबे रो मती, ध्योन राखजे भई,...रस्ते रे वास्ते थारे ने भोजाई रे वास्ते टिप्पन पैक करायो हूँ, आलू रो हाग, अचार ने पुड़ियों है,..चेप लीजे,.....एक किलो चुतरिये रा गुलाब जोम्बू भी बोंधिया हूँ I
ओबामा :- ठीक है भा, चालूँ अबे,.....जय शंकर !!
मोदी :- हावल जाइजे, ने घरे पूग ने फ़ोन करजे I
ओबामा :- होय, मिस कॉल मारूं

सोमवार, 26 जनवरी 2015

Rajashthan का बेटा हूँ

www.saleunlimited.blogspot.in
ना छुरी रखता हुं
ना पिस्तौल  रखता हुं
Rajashthan का बेटा हुं
दिल में जिगर रखता हुं
इरादों मे तेज़ धार रखता हुं
इस लिए हमेशा
अकेला ही निकलता हु
----------------------ँ
बंगले . गाडी तो " marwadi" के घर घर
की कहानी हैं.......
.
.
तभी तो सारी दुनिया " marwadi "
की दिवानी हैं.
.
.
अरे मिट गये " marwadi " को मिटाने वाले क्योकि आग मे
तपती " rajasthan की जवानी है
.
.
ये आवाज नही शेर कि दहाड़ है….. हम खडे हो जाये
तो पहाड़
है….
.
.
हम इतिहास के वो सुनहरे पन्ने है…..
जो भगवान ने ही चुने है….दिलदार औऱ दमदार
है" " marwadi"
.
.
रण भुमि मे तेज तलवार है"" marwadi "
पता नही कितनो की जान है " marwadi"
.
.
सच्चे प्यार पर कुरबान है
"" " marwadi"""
.
.
यारी करे तो यारो के यार है
"" " " marwadi"
औऱ दुशमन के लिये तुफान है
"" " marwadi " ""
.
.
तभी तो दुनिया कहती है बाप रे खतरनाक है
"" " marwadi """"
.
.
शेरो के पुत्र शेर ही ज़ाने जाते हैं, लाखो के
बीच. "marwadi"
पहचाने जाते हैं।।
.
.
मौत देख कर किसी क़े पिछे छुपते नही ,
हम" " marwadi ,मरने से क़भी डरते नही। हम
अपने आप पर ग़र्व
क़रते हैं, दुशमनों को काटने का जीगरा हम रखते हैं ,
.
.
कोई ना दे हमें खुश रहने की दुआ,तो भी कोई
बात नहीं...
वैसे भी हम खुशियाँ रखते नहीं,
बाँट दिया करते हैं।

Rajasthan की शान के लीऐ
10 " marwadi "को शेयर करॊ
और उनसे कहे आगे 10 लोगो को शेयर करे  bolo jay rajasthan 

रविवार, 25 जनवरी 2015

Hindi me- Basanti panchami- its significance

www.saleunlimited.blogspot.in
बसंत पंचमी
वसंत पंचमी या श्रीपंचमी एक हिन्दू त्योहार है। इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। यह पूजा पूर्वी भारत, पश्चिमोत्तर बांग्लादेश, नेपाल और कई राष्ट्रों में बड़े उल्लास से मनायी जाती है। इस दिन स्त्री-पुरुष  पीले वस्त्र धारण करते  हैं।
प्राचीन भारत और नेपाल में पूरे साल को जिन छह मौसमों में बाँटा जाता था उनमें वसंत लोगों का सबसे मनचाहा मौसम था। जब फूलों पर बहार आ जाती, खेतों मे सरसों का सोना चमकने लगता, जौ और गेहूँ की बालियाँ खिलने लगतीं, आमों के पेड़ों पर बौर आ जाता और हर तरफ़ रंग-बिरंगी तितलियाँ मँडराने लगतीं। वसंत ऋतु का स्वागत करने के लिए माघ महीने के पाँचवे दिन एक बड़ा जश्न मनाया जाता था जिसमें विष्णु और कामदेव की पूजा होती, यह वसंत पंचमी का त्यौहार कहलाता था। शास्त्रों में बसंत पंचमी को ऋषि पंचमी से उल्लेखित किया गया है, तो पुराणों-शास्त्रों तथा अनेक काव्यग्रंथों में भी अलग-अलग ढंग से इसका चित्रण मिलता है।
सृष्टि के प्रारंभिक काल में भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्मा ने जीवों, खासतौर पर मनुष्य योनि की रचना की। अपनी सर्जना से वे संतुष्ट नहीं थे। उन्हें लगता था कि कुछ कमी रह गई है जिसके कारण चारों ओर मौन छाया रहता है। विष्णु से अनुमति लेकर ब्रह्मा ने अपने कमण्डल से जल छिड़का, पृथ्वी पर जलकण बिखरते ही उसमें कंपन होने लगा। इसके बाद वृक्षों के बीच से एक अद्भुत शक्ति का प्राकट्य हुआ। यह प्राकट्य एक चतुर्भुजी सुंदर स्त्री का था जिसके एक हाथ में वीणा तथा दूसरा हाथ वर मुद्रा में था। अन्य दोनों हाथों में पुस्तक एवं माला थी। ब्रह्मा ने देवी से वीणा बजाने का अनुरोध किया। जैसे ही देवी ने वीणा का मधुरनाद किया, संसार के समस्त जीव-जन्तुओं को वाणी प्राप्त हो गई। जलधारा में कोलाहल व्याप्त हो गया। पवन चलने से सरसराहट होने लगी। तब ब्रह्मा ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती कहा। सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है। ये विद्या और बुद्धि प्रदाता हैं। संगीत की उत्पत्ति करने के कारण ये संगीत की देवी भी हैं। बसन्त पंचमी के दिन को इनके जन्मोत्सव के रूप में भी मनाते हैं। ऋग्वेद में भगवती सरस्वती का वर्णन करते हुए कहा गया है-
"प्रणो देवी सरस्वती वाजेभिर्वजिनीवती धीनामणित्रयवतु"।
अर्थात ये परम चेतना हैं। सरस्वती के रूप में ये हमारी बुद्धि, प्रज्ञा तथा मनोवृत्तियों की संरक्षिका हैं। हममें जो आचार और मेधा है उसका आधार भगवती सरस्वती ही हैं। इनकी समृद्धि और स्वरूप का वैभव अद्भुत है। पुराणों के अनुसार श्रीकृष्ण ने सरस्वती से ख़ुश होकर उन्हें वरदान दिया था कि वसंत पंचमी के दिन तुम्हारी भी आराधना की जाएगी और यूँ भारत के कई हिस्सों में वसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती की भी पूजा होने लगी जो कि आज तक जारी है।
#पौराणिक महत्व
इसके साथ ही यह पर्व हमें अतीत की अनेक प्रेरक घटनाओं की भी याद दिलाता है। सर्वप्रथम तो यह हमें त्रेता युग से जोड़ती है। रावण द्वारा सीता के हरण के बाद श्रीराम उसकी खोज में दक्षिण की ओर बढ़े। इसमें जिन स्थानों पर वे गये, उनमें दंडकारण्य भी था। यहीं शबरी नामक भीलनी रहती थी। जब राम उसकी कुटिया में पधारे, तो वह सुध-बुध खो बैठी और चख-चखकर मीठे बेर राम जी को खिलाने लगी। प्रेम में पगे झूठे बेरों वाली इस घटना को रामकथा के सभी गायकों ने अपने-अपने ढंग से प्रस्तुत किया। दंडकारण्य का वह क्षेत्र इन दिनों गुजरात और मध्य प्रदेश में फैला है। गुजरात के डांग जिले में वह स्थान है जहां शबरी मां का आश्रम था। वसंत पंचमी के दिन ही रामचंद्र जी वहां आये थे। उस क्षेत्र के वनवासी आज भी एक शिला को पूजते हैं, जिसके बारे में उनकी श्रध्दा है कि श्रीराम आकर यहीं बैठे थे। वहां शबरी माता का मंदिर भी है।
#बसन्त पंचमी
ऐतिहासिक महत्व
वसंत पंचमी का दिन हमें पृथ्वीराज चौहान की भी याद दिलाता है। उन्होंने विदेशी हमलावर मोहम्मद गौरी को 16 बार पराजित किया और उदारता दिखाते हुए हर बार जीवित छोड़ दिया, पर जब सत्रहवीं बार वे पराजित हुए, तो मोहम्मद गौरी ने उन्हें नहीं छोड़ा। वह उन्हें अपने साथ अफगानिस्तान ले गया और उनकी आंखें फोड़ दीं।
इसके बाद की घटना तो जगप्रसिद्ध ही है। गौरी ने मृत्युदंड देने से पूर्व उनके शब्दभेदी बाण का कमाल देखना चाहा। पृथ्वीराज के साथी कवि चंदबरदाई के परामर्श पर गौरी ने ऊंचे स्थान पर बैठकर तवे पर चोट मारकर संकेत किया। तभी चंदबरदाई ने पृथ्वीराज को संदेश दिया।
"चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण।
ता ऊपर सुल्तान है, मत चूको चौहान" ॥
पृथ्वीराज चौहान ने इस बार भूल नहीं की। उन्होंने तवे पर हुई चोट और चंदबरदाई के संकेत से अनुमान लगाकर जो बाण मारा, वह गौरी के सीने में जा धंसा। इसके बाद चंदबरदाई और पृथ्वीराज ने भी एक दूसरे के पेट में छुरा भौंककर आत्मबलिदान दे दिया। (1192 ई) यह घटना भी वसंत पंचमी वाले दिन ही हुई थी।
#बसंत पंचमी
वीर हकीकत राय का बलिदान
वसंत पंचमी का लाहौर निवासी वीर हकीकत से भी गहरा संबंध है। एक दिन जब मुल्ला जी किसी काम से विद्यालय छोड़कर चले गये, तो सब बच्चे खेलने लगे, पर वह पढ़ता रहा। जब अन्य बच्चों ने उसे छेड़ा, तो दुर्गा मां की सौगंध दी। मुस्लिम बालकों ने दुर्गा मां की हंसी उड़ाई। हकीकत ने कहा कि यदि में तुम्हारी बीबी फातिमा के बारे में कुछ कहूं, तो तुम्हें कैसा लगेगा?
बस फिर क्या था, मुल्ला जी के आते ही उन शरारती छात्रों ने शिकायत कर दी कि इसने बीबी फातिमा को गाली दी है। फिर तो बात बढ़ते हुए काजी तक जा पहुंची। मुस्लिम शासन में वही निर्णय हुआ, जिसकी अपेक्षा थी। आदेश हो गया कि या तो हकीकत मुसलमान बन जाये, अन्यथा उसे मृत्युदंड दिया जायेगा। हकीकत ने यह स्वीकार नहीं किया। परिणामत: उसे तलवार के घाट उतारने का फरमान जारी हो गया।
कहते हैं उसके भोले मुख को देखकर जल्लाद के हाथ से तलवार गिर गयी। हकीकत ने तलवार उसके हाथ में दी और कहा कि जब मैं बच्चा होकर अपने धर्म का पालन कर रहा हूं, तो तुम बड़े होकर अपने धर्म से क्यों विमुख हो रहे हो? इस पर जल्लाद ने दिल मजबूत कर तलवार चला दी, पर उस वीर का शीश धरती पर नहीं गिरा। वह आकाशमार्ग से सीधा स्वर्ग चला गया। यह घटना वसंत पंचमी (23.2.1734) को ही हुई थी। पाकिस्तान यद्यपि मुस्लिम देश है, पर हकीकत के आकाशगामी शीश की याद में वहां वसंत पंचमी पर पतंगें उड़ाई जाती है। हकीकत लाहौर का निवासी था। अत: पतंगबाजी का सर्वाधिक जोर लाहौर में रहता है।

शुक्रवार, 23 जनवरी 2015

कलेजा राजपूत का.

कलेजा राजपूत का.
(जोश और जोर से पढें)
जब हम सिंहासन पर बैठते हैं तो,
राजा कहलातेहै ,
जब हम घोङे पर सवार होते तो,
योध्दा कहलाते है !
जब हम किसी की जान बचाते है तो, श्रत्रियकहलाते है!
जब हम किसी को वचन देते है तो "राजपुत"कहलाते है !
" मेरा कत्ल कर दोकोई शिकवा ना होगा,
मुझे धोखा दे दोकोई बदला न होगा,
पर जो आँख उठी मेरे वतन ए हिन्दुस्तान पे,
तो फिर
तलवार उठेगी और फिर कोई समझौता नहोगा...!! "
हमारी शख्सियत का अंदाज़ा तुम
क्या लगाओगे गालिब..,
गर हम कब्रिस्तान से भी गुज़रते है तो मुर्दे उठ
कर कहते है...
"जय माताजी की बना"
सर पे हे केसरिया साफा '
मुख पे हे सोने सी आभा'
जब हाथ मे लेते हैं तलवार
दुनिया करती है कोटि कोटि आभार !
जो मच्छर से डर जाता है,
उसका खून भी लाल होता है।
जो शेर से लड़ जाता है,
उसका खून भी लाल होता है।।
लेकिन एक अजब खून का
जलवा तो गजब पुत का होता है!!
जो मौत को भी ललकारे वो खून
राजपूत का होता है !
जमाने ने राजपूतो के
उसूल तो बदल दिये
पर
रगों मे खून आज
भी वो  ही  है.. ।।
झुंड मे रहने वालो आजमा कर
देखना कभी हमारी छाती पर फौलाद
भी पिघलता है।
शेर सा जिगरा है "राजपूत"
हमेसा अकेला निकलता है।
गुलामी तो हम सिर्फ अपने माँ बाप की करते है .!!
दुनिया के लिये तो कल भी बादशाह थे और आज
भी..!!
राजपूत उस बारिश का नाम नही जो बरसे और
थम जाये।
राजपूत वो सूरज नही है जो चमके और डुब जाये।
राजपूत नाम है उस साँस का।
जो चले तो जिंदगी और
थमे तो मौत बनजाये।...........
अभी तक हम इतने भी मामूली
नहीं हुये कि.....
किसी के दिल में बसना चाहे और वो इनकार करदे...."
जो मिटा सके हमारी शोहरत के पन्ने.......
वो दम किसी में कहाँ.
शुक्र है तलवारें म्यान के अन्दर है
वरना जो टिकसके
हमारें सामने वो सर कहाँ !!!
रानी नहीं तो क्या हुआ..
यह राजा आजभी लाखों दिलों पर राज करता हैं.!!
किसी ने पुछा
राजपूतों की जनसंख्या इतनी कम
क्यों है ?
राजपूत ने उतर देते हुए कहा - यह प्रकृति का नियम
है ,यदि शेरों (राजपूत)
को बढा दिया जाए
तो दुसरी प्रजातियाँ खतरे मे पड़ जाएगी ।।
कोशिश तो सब करते है,
लेकिन सबको हासिल
ताज नही होता ।
शोहरत तो कोई भी कमा ले,
पर"बन्ना "वाला
अंदाज नही होता ।
उस दिन भी कहा था
आज भी कह रहा हूं...
"उम्र छोटी है लेकिन
जज्बा दुनिया को मुट्ठी में
रखने का रखता हूँ ¶
मेरी दोस्ती का फायदा उठा लेना क्युंकी
मेरी दुश्मनी सह नही पाओगे....
हथियार तो सिर्फ शौक के लिए रखा करते है,
वरना किसी के मन में खौंफ पेदा करने के लिए
तो बस बन्ना  "नाम" ही काफी है.......
लोग कहते है तुझे तेरी " बन्ना गीरी"
एक दिन मरवायेंगी...
मैने प्यार से कहा- क्या करु ?
सबको " बन्ना गिरी
आती नही
और मेरी जाती नही !......
सिंह का मुखौटा लगाकर कोई शेर
नहीं बनता...
भाला उठाकर कोई राणा प्रताप
नहीं बनता...
रणभूमी में पता चलता हे योद्धाओ का...
मुछो की मरोड़ी लगाने से कोई राजपूत
नहीं बनता...
कुछ हुनर खून में होते हैं जो सिखाये
नहीं जाते...
यु दंड बैठक लगाने से कलेजा राजपूत
का नहीं बनता...

गुरुवार, 22 जनवरी 2015

सीख री ओळ्यां

www.saleunlimited.blogspot.in
मायङभासा राजस्थानी -
( सीख री ओळ्यां )
मरदां मरणौ हक्क है ,
ऊबरसी गल्लांह  ।
सापुरसां रा जीवणां ,
थोङा ही भल्लांह  ।।
सत मत खोओ सूरमा ,
सत खोयां पत जाय  ।
सत की बांधी लिच्छमी ,
फेर मिलैगी आय  ।।
हंसा समद न छाङिये ,
जै जळ खारो होय ।
डाबर डाबर डोलतां ,
भलो न कहसी कोय ।।

कठै गया बे गाँव आपणा

कठै गया बे गाँव आपणा
            कठै गयी बे रीत ।
कठै गयी बा ,मिलनसारिता,
             गयो जमानो बीत ।
दुःख दर्द की टेम घडी में
        काम आपस मै आता ।
मिनख सूं मिनख जुड्या रहता,
       जियां जनम जनम नाता ।
तीज -त्योंहार पर गाया जाता ,
              कठै गया बे गीत ।
कठै गयी बा ,मिलनसारिता,
             गयो जमानो बीत ।
गुवाड़- आंगन बैठ्या करता,
     सुख-दुःख की बतियाता।
बैठ एक थाली में सगळा ,
         बाँट-चुंट कर खाता ।
महफ़िल में मनवारां करता ,
           कठै गया बे मीत ।
कठै गयी बा ,मिलनसारिता,
          गयो जमानो बीत ।।
कम पीसो हो सुख ज्यादा हो,
        उण जीवन रा सार मै।
छल -कपट,धोखाधड़ी,
        कोनी होती व्यवहार मै।
परदेश में पाती लिखता ,
          कठै गयी बा प्रीत ।
कठै गयी बा ,मिलनसारिता,
           गयो जमानो बीत ।।

बुधवार, 21 जनवरी 2015

Kesari balam Aavo      padharo mhare des

www.saleunlimited.blogspot.in

आँखों के दरमियान मैं
गुलिस्तां दिखाता हुँ,
आना कभी मेरे देश मैं आपको राजस्थान दिखाता हुँ|
खेजड़ी के साखो पर लटके फूलो की कीमत बताता हुँ,
मै साम्भर की झील से देखना कैसे नमक उठाता हुँ|
मै शेखावाटी के रंगो से
पनपी चित्रकला दिखाता हुँ,
महाराणा प्रताप के शौर्य
की गाथा सुनाता हुँ|
पद्मावती और हाड़ी रानी का जोहर बताता हुँ,
पग गुँघरु बाँध मीरा का मनोहर दिखाता हुँ|
सोने सी माटी मे पानी का अरमान बताता हुँ,
आना कभी मेरे देश मै आपको राजस्थान दिखाता हुँ|
हिरन की पुतली मे चाँद के दर्शन कराता हुँ, चंदरबरदाई के
शब्दों की वयाख्या सुनाता हुँ|
⛲मीठी बोली, मीठे पानी मे जोधपुर की सैर करता हुँ,
कोटा, बूंदी, बीकानेर और हाड़ोती की मै मल्हार गाता हुँ|
पुष्कर तीरथ कर के मै चिश्ती को चाद्दर चढ़ाता हुँ, जयपुर के हवामहल मै,
गीत मोहबत के गाता हुँ|
जीतेgiइस धरती पर स्वर्ग का मैं वरदान दिखाता हुँ,
आना कभी मेरे देश मै आपको राजस्थान दिखाता हुँ||
कोठिया दिखाता हुँ, राज
हवेली दिखाता हुँ,
नज़्ज़रे ठहर न जाए कही
मै आपको कुम्भलगढ़ दिखाताहुँ|
घूंघट में जीती मर्यादा और गंगानगर का मतलब समझाता हुँ,
तनोट माता के मंदिर से मै विश्वशांति की बात सुनाता हुँ|
राजिया के दोहो से लेके, जाम्भोजी के उसूल पढ़ाता हुँ,
होठो पे मुस्कान लिए, मुछो पे ताव देते जागीरदारों की परिभाषा
बताता हुँ|
सिक्खो की बस्ती मे, पूजा के बाद अज़ान सुनाता हुँ,
आना कभी मेरेदेश मै आपको राजस्थान दिखाता हुँ||  
जय जय राजस्थान

☆ जागीरदार अनोप सिंह (ठि. थोब)

सोमवार, 19 जनवरी 2015

राजस्थानी बातां

    
     पुराणां समै री बात है , राजस्थान री धोरा धरती में ऊनाळै रै दिनां में  दो सहेलियां कांकङ (वनक्षेत्र) में लकङियां लावण ने गई ।
  रस्ते में व्है देखियौ के दो हीरण मरियोङा पङिया हा अर उणां रै बीच में एक खाडा में थोङो सो"क
पाणी भरीयौ हौ । जद एक सहैली कह्यौ ----
खङ्यौ नी दीखै पारधी ,
लग्यौ नी दीखै बाण ।
म्है थने पूछूं ऐ सखी ,
किण विध तजिया प्राण ।।
( है सखी , अटे कोई शिकारी नजर नी आय रियौ है अर इणां रै बाण भी नी लागोङो है तो ऐ हीरण किकर मरिया ? )
     तो दुजोङी सहैली उण ने उत्तर दियौ --
जळ थोङो नेह घणो ,
लग्या प्रीत रा बाण ।
तूं -पी  तूं-पी  कैवतां ,
दोनूं तजिया प्राण ।।
( इण सुनसान रोही में  दोनूं हीरण तिरस्या हा , पाणी इतरौ ही हौ के एक हीरण  री तिरस(प्यास ) मिट सके , पण दोयां में सनेह  इतरो हौ के उणां मांय सूं कोई  एक पीवणीं नी चावतो । इण खातर दोइ एक -दूजा री मनवार करता करता प्राण तज दिया ।)
    राजस्थान री धोरां धरती रै जानवरां  में इतरो नेह अर हेत  है ,  तो अटा रै मिनखां रै नेह  रो उनमान नी लगां सकां ।

शुक्रवार, 16 जनवरी 2015

Makar sankranti- 14 नहीं 15 को है मकर संक्रांति

14 नहीं 15 को है मकर संक्रांति, 83 साल बाद बनेगा समसप्तक योग
========================================= =======

कई शुभ संयोगों के साथ तीन वर्ष के बाद मकर संक्रांति इस बार 15 जनवरी को है। इसके पूर्व 2012 में भी मकर संक्रांति 15 जनवरी को थी। ज्योतिषियों के अनुसार 14 जनवरी की शाम 7.27 बजे से सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेगा, लेकिन शाम 5.58 बजे ही सूर्य अस्त हो जाएगा। संक्रांति चूंकि सूर्य का पर्व है, इसलिए सूर्य के साक्षी नहीं होने से यह 15 जनवरी को मनेगी। स्नान, दान-पुण्य के लिए भी 15 जनवरी को उदय काल में संक्रांति सर्वश्रेष्ठ रहेगी।

         समसप्तक

ग्रहों का एक-दूसरे से सातवीं राशि में होना समसप्तक योग कहलाता है। मकर संक्रांति पर मकर राशि में सूर्य के साथ बुध व शुक्र है। इन तीनों ग्रहों से सातवीं राशि में गुरु है। इस प्रकार समसप्तक योग बन रहा है। मकर राशि में सूर्य, शुक्र और बुध का संयोग देश-दुनिया के लिए लाभकारी रहेगा। इस योग में बाजार से खरीदी करना भी शुभ है। इस योग के प्रभाव से तिलहन व अनाज के दाम में वृद्धि संभव है।

==इसलिए संक्रांति कभी 14, कभी 15 जनवरी को -----

पृथ्वी की गति प्रतिवर्ष पीछे और सूर्य का संक्रमण आगे बढ़ता है। इसके कारण संक्रांति कभी एक दिन आगे तो कभी पीछे आती है। हालांकि लीप ईयर में पृथ्वी और सूर्य दोनों वापस उसी स्थिति में जाते हैं।
♨️
मकर संक्रान्ति का ऐतिहासिक महत्व
ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान भास्कर अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उसके घर जाते हैं। चूँकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं, अत: इस दिन को मकरसंक्रान्ति के नाम से जाना जाता है। महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिये मकर संक्रान्ति का ही चयन किया था। मकर संक्रान्ति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में जाकर मिली थीं

मकर संक्रान्ति हिन्दुओं का प्रमुख पर्व है। मकर संक्रान्ति पूरे भारत और नेपाल में किसी न किसी रूप में मनाया जाता है। पौष मास में जब सूर्य मकर राशि पर आता है तभी इस पर्व को मनाया जाता है। यह त्योहार जनवरी माह के चौदहवें या पन्द्रहवें दिन ही पड़ता है क्योंकि इसी दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है। मकर संक्रान्ति के दिन से ही सूर्य की उत्तरायण गति भी प्रारम्भ होती है। इसलिये इस पर्व को कहीं-कहीं उत्तरायणी भी कहते हैं। तमिलनाडु में इसे पोंगल नामक उत्सव के रूप में मनाते हैं जबकि कर्नाटक, केरल तथा आंध्र प्रदेश में इसे केवल संक्रांति ही कहते हैं।

शुभ संयोगों के साथ इस इस वर्ष 14 जनवरी की शाम 7.27 बजे से सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेगा तीन वर्ष के बाद मकर संक्रांति इस बार 15 जनवरीको है -स्नान, दान-पुण्य के लिए भी 15 जनवरी सर्वश्रेष्ठ
याद रहे - पृथ्वी की गति प्रतिवर्ष पीछे और सूर्य का संक्रमण आगे बढ़ता है। इसके कारण संक्रांति कभी एक दिन आगे तो कभी पीछे आती है.

पं.संजय जोशी
(बेटा पोता श्री महेश जी श्री गजानंद जी जोशी)
90,अमर नगर पाल रोड़ जोधपुर राजस्थान

मंगलवार, 13 जनवरी 2015

कविता - आपको राजस्थान दिखाता हूँ

आँखों के दरमियान मैं गुलिस्तां दिखाता हुँ,
आना कभी मेरे देश मैं आपको राजस्थान दिखाता हुँ|
खेजड़ी के साखो पर लटके फूलो की कीमत बताता हुँ,
मै साम्भर की झील से देखना कैसे नमक उठाता हुँ|
मै शेखावाटी के रंगो से पनपी चित्रकला दिखाता हुँ,
महाराणा प्रताप के शौर्य की गाथा सुनाता हुँ|
पद्मावती और हाड़ी रानी का जोहर बताता हुँ,
पग गुँघरु बाँध मीरा का मनोहर दिखाता हुँ|
सोने सी माटी मे पानी का अरमान बताता हुँ,
आना कभी मेरे देश मै आपको राजस्थान दिखाता हुँ|
हिरन की पुतली मे चाँद के दर्शन कराता हुँ,
चंदरबरदाई के शब्दों की वयाख्या सुनाता हुँ|
मीठी बोली, मीठे पानी मे जोधपुर की सैर करता हुँ,
कोटा, बूंदी, बीकानेर और हाड़ोती की मै मल्हार गाता हुँ|
पुष्कर तीरथ कर के मै भगवान् को माला चढ़ाता हुँ,
जयपुर के हवामहल मै, गीत मोहबत के गाता हुँ|
जीते सी इस धरती पर स्वर्ग का मैं वरदान दिखाता हुँ,
आना कभी मेरे देश मै आपको राजस्थान दिखाता हुँ||
कोठिया दिखाता हुँ, राज हवेली दिखाता हुँ,
नज़्ज़रे ठहर न जाए कही मै आपको कुम्भलगढ़ दिखाता हुँ|
घूंघट में जीती मर्यादा और गंगानगर का मतलब समझाता हुँ,
तनोट माता के मंदिर से मै विश्व शांति की बात सुनाता हुँ|
राजिया के दोहो से लेके, जाम्भोजी के उसूल पढ़ाता हुँ,
होठो पे मुस्कान लिए, मुछो पे ताव देते राजपूत की परिभाषा बताता हुँ|
सिक्खो की बस्ती मे, पूजा के बाद अज़ान सुनाता हुँ,
आना कभी मेरे देश मै आपको राजस्थान दिखाता हुँ||