गुरुवार, 13 अगस्त 2015

महेंद्र सा नगर ने श्रद्धांजलि

महेंद्र सा नगर ने श्रद्धांजलि

नगर नगीनों नाथ क्यूँ तू म्हांसूं कोसियो
हे हरी थारे हाथ राखे चाही मेट दे

महेंद्र गढ़ मेहरान मान बढायो मोकळो
हुया सुण हैरान बेगो आंथ्यो भान अज

मालानी रो मालको मारवाड़ री आण
महेंद्र मोटो मानवी छोड़ चल्यो कमठाण

साहित जग सूनो हुयो हुई घण अज हाण
महेंद्र बिन सुनो हुयो देखो गढ़ मेहराण

संस्कृति रो सूरमो छायो देश विदेश
अनबेल्या ही चल दियो ठावी लागी ठेश

अवनी पे अंधियार ज्यूँ हो जावे भान बिन
देखु नजर पसार नगर बिन मेहराण हुयो

कुण राखे अब ध्यान मायड़ रो हे महेन्द्रा
जग में हुई पिछाण थारे बल मायड़ तणी

एक नर राजा मान दूजो नर महेन्द्रा
भगती री पहचान जग में कराई जोर की
राजावत श्रवण सी

जिवंता है

दो लूगाई आपस मै बात कर रही थी 

एक जनी बोली डावङी मारा पती दैवता है।

दूसरी बोली डावङी थारा भाग जोरका है
म्हारा पती तो हाल ही जिवंता है

ई बातां मिनख भूलै कोनी...

बातां राजस्थान री।

ई बातां मिनख भूलै कोनी...
आ समझ ल्यो कै , बै बातां ऊँट गै डाम हाळी सी हुवै।
,
मेरो नयो नयो ब्याव हुयो हो ।
दिसंबर के महीना में ! कोई दस दिन बाद मळ लाग ग्या ! दो जनवरी नै मेरी सासु मनै तार भेज्यो ...

अब मैं तो पढ़यो लिख्यो आदमी
तारबांच्यो !! बो तार मेरी सासु भेज्यो हो !"कै कंवर साब मळ् शरू हुग्या थे शनिवार नै आ ज्यायो तेल बाळ स्यां ....गुलगुला बड़ा खा लेया

"मै दूसरे ही दिन एक देसाई बीड़ी गो मंडळ ,एक मर्फी हालो रेडियो लेगे सासरै पुग ग्यो !

बठै मनै तातो पाणी झलायो । मनै थोड़ो रौब झाड़नो हो ,
मैं बोल्यो -"तातो पाणी तो लुगाई पताई पीवै अर का फेर कमजोर मोट्यार .... मैं तो कोरै मटकै को पाणी पीऊँ
"सगळा वाह वाह करी कै जंवाई तो जबर मोट्यार है ।मनै कोरो किंकर सो पाणी झला दियो और में एक सांस में लौटो खाली कर दियो ।

मेरै गळै स्यूं लेगे किडनी फ़ेफ़डा ताईं सपीड उपड़यो ..
.जाणै कणी लट्ठ घसो दियो है....पण में सहन कर ग्यो।

आथण मेरी सासु गुलगुला बड़ा बणाया ...मैं खूब गुल गुला बड़ा खाया और ठंडो पाणी ओज्यु पियो!
फेर थोड़ी देर तक बीड़ी पी और आल इंडिया रेडियो पर ठुमरी दादरी सुणी ।रात नै दस बजे मेरी सासु रजाई और सोड़ीयो झलायो।

मैं पाछो रौब झाड़ दियो -"ना माँजी रीजाई पाछी ले ज्यावो ... मनै तो इस्यो पाळो सुवावै।"मेरी सासु रीजाई पाछी लेके उठगी ।

में भगवान् नै हाथ जोड़के और एक आनंदकर गोळती लेकर सो ग्यो ।

रात नै बारा बजे मेरा हाड कांपण लाग ग्या ....में घणी कोशीश करी, पण दांत कांट किलारी हाळै ज्यूँ कूट कूट कूट कूट करण लॉग ग्या ।

मेरो सब्र जवाब दे ग्यो ... कै आज मोट्यार कल्डो हुगै मरसी ...इयां तो गंडक ही को मरै ।में उठ्यो और रीजाई ल्याण खातर दूसरै कमरै में बड़ग्यो !

गळती स्यूं रसोई में घुस ग्यो ..इनै बीनै हाथ मारया जणा एक लौटे क ठोकर लागगी ।लौटियो गुड ग्यो और मेरी सासु जाग गी ।

मैं शर्मीज ग्यो और पाछो जा क मांचलियै पर पड़ग्यो .. मेरी सासु सोच्यो कै कंवर साब नै प्यास लागी है। बा एक सेर ळो ताँबे को लोटो भरयो और मेरै कनै आ क बोली --ल्यो

अंधेरो हो ... मैं सोच्यो कै सासु माँ रीजाई ल्याई है । मैं बोल्यो ,- ऊपर गेर दयो ।

सासु माँ ठंडो पाणी मेरै ऊपर गेर दियो और जा क सो गी ।
अब भाईडो में कई देर तो फाटेङो किन्नौ (पतंग) करै ज्यूँ थर्रर्रर ...थर्रर्र करयो ....फेर कलडो हुग्यो ..

.तीरकबाण हाळै ज्यूँ ।दिनगै समूचा मेरै कनै भेळा हुग्या । मेरो शरीर तो लट्ठ भर को कलडो हु राख्यो ।

कोई की उपाय बतावै कोई कीउपाय बतावै ।

फेर मेरी साळी बोली कै ...आपणो पाडियो कलडो हुयो जणा आपाँ बिंगे डाम दियो ...

जीजोजी गै भी डाम दयो , नई तो बाई नै धोळो ओढ़णो पड़सी ।

मेरी साळी रसोई में गई और चिंपियो तातो कर क ल्याई

मनै उल्टो करगे और मगरां में रीढ़ हाळी हाडी पर तातो चिंपियो चेप दियो ।

मेरी सर्दी तो जांती रहई पण बो डाम गो मंडाण आज भी है ।
खम्मा घणी सा®

बुधवार, 12 अगस्त 2015

भाईचारो मरतो दीखे, पईसां (रूपया )लारे गेला होग्या।

भाईचारो मरतो दीखे,
पईसां (रूपया )लारे गेला
होग्या।

घर सुं भाग गुरुजी बणग्या,
चोर उचक्का चेला होग्या,

चंदो खार कार में घुमे,
भगत मोकळा भेळा होग्या।

कम्प्यूटर को आयो जमानो,
पढ़ लिख ढ़ोलीघोड़ा होग्या,

पढ़ी-लिखी लुगायां(औरते) ल्याया
काम करण रा फोङा होग्या ।

घर-घर गाड़ी-घोड़ा होग्या,
जेब-जेब मोबाईल होग्या।

छोरयां(लङकियो) तो हूंती आई पण
आज पराया छोरा होग्या,

राल्यां (बिस्तर)तो उघड़बा लागी,
न्यारा-न्यारा डोरा होग्या।

इतिहासां में गयो घूंघटो,
पोडर (POWDER)पुतिया मूंडा होग्या,

झरोखां री जाल्यां टूटी,
म्हेल(किला) पुराणां टूंढ़ा(पुराना मकान) होग्या।

भारी-भारी बस्ता होग्या,
टाबर टींगर हळका होग्या,

मोठ बाजरी ने कुण पूछे,
पतळा-पतळा फलका होग्या।

रूंख (पेङ) भाडकर ठूंठ लेयग्या
जंगळ सब मैदान होयग्या,

नाडी नदियां री छाती पर
बंगला आलीशान होयग्या।

मायड़भाषा ने भूल गया,
अंगरेजी का दास होयग्या,

टांग कका की आवे कोनी
ऐमे बी.ए. पास होयग्या।

सत संगत व्यापार होयग्यो,
बिकाऊ भगवान होयग्या,

भगवा भेष ब्याज रो धंधो,
धरम बेच धनवान होयग्या।

ओल्ड बोल्ड मां बाप होयग्या,
सासु सुसरा चौखा होग्या,

सेवा रा सपनां देख्या पण
आंख खुली तो धोखा होग्या।

बिना मूँछ रा मरद होयग्या,
लुगायां रा राज होयग्या,

दूध बेचकर दारू ल्यावे,
बरबादी रा साज होयग्या।

तीजे दिन तलाक होयग्यों,
लाडो लाडी न्यारा होग्या,

कांकण डोरां खुलियां पेली
परण्या बींद कंवारा होग्या।

बिना रूत रा बेंगण होग्या,
सियाळा में आम्बा होग्या,

इंजेक्शन सूं गोळ तरबूज
फूल-फूल कर लम्बा हो गया

दिवलो करे उजास जगत में
खुद रे तळे अंधेरा होग्या।

मन मरजी रा भाव होयग्या,
पंसेरी रा पाव होयग्या,

महंगाई री मार जीणां दोरा
आज होयग्या।

मंगलवार, 11 अगस्त 2015

एक- एक और लै लो.

ऐडमिन साहब अपनी ससुराल जाने खातीर तैयार हौ रया था
तो माँ बौली.. उठे टाबरा खातर हरा फल ले जाऐ

ऐडमिन.. एक किलो हरी मिर्च लेगो
ससुराल पहुंच तै ही टाबर चिपटगा.....

मिर्च लेकर एक एक बटका भरया तो सब रौवन लागया

अपना ऐडमिन बोलयो.. ससुरो रोवो
कयू हो! एक- एक और लै लो..

सबु पेली

राकेश : पापा मे जीवन मे आगे बढने के लिये क्या करू ?

पापा : भाटो ले और सबु पेली अणि मोबाईल ने परो फोड।

पियोडा हि रेवे .........

हद हो गई बन्ना लोगों,,,,एक ladki ने हमे देख कर अपनी सहेली से
कहा कि देख इनकी आखें कितनी नशीली हैं तो वा डाकण
बोली अरे थने ध्यान कोनी गैली ए बन्ना सा है आको दिन
पियोडा हि रेवे ................

वीरता रो पर्यायवाची

राजस्थान री एक स्कूल में एक शिक्षक एक
छात्र सुं वीरता रो पर्यायवाची पुछयो
छात्र लिखणो शुरू करयो,
आन लिखयो, अर बान लिखयो,
पन्ना रो बलिदान लिखयो..
चेतक री टापां लिख डाली,
जौहर रो गुणगान लिखयो..
भामाशाह रो दान लिखयो,
मीरा रो विषपान लिखयो..
और अंतिम पन्ना पर काट्यो सब,
और "सगळा शिक्षक राजस्थान"
लिखयो.....

रण पीरा रो पीर है

रण पीरा रो पीर है
रणसी गांव रो नाम
रण बंका राठोड झुंझे
भूत बावडी रो काम
पाणी हो पाताळ गयो
टूटो नेह और मान
भांत जाक रा मिनख बसिया
नही उण री पहचान
रण पीरा रो थान अठे
वैभव गणो अपार
खेती पाती नौकरी
और भटटा पर भौपार
सुंदर री है विणती
नैणा मे नेह लगाय
रणसी रे मान पर
जनम सफळ हौ जाय

जग मे गणो उजास

सार संभाल सबरी करे
नेह गणो अपार
अनयाय जद होवण लागे
संबाडिया रे आान पर करले  आर पार
चंपावत जाट रेबारी समरध गणा नाईक भांबी करे होड
धरम नगरी संबाडिया मे 
सबरी है ठौर
सुंदर करै विणती
दादू रो परकाश
सतराम मे धयान गणो
जग मे गणो उजास

सोमवार, 10 अगस्त 2015

मोटो काटो

क्या आपको वो समय याद है
जब मम्मी पापा आपको घडी में टाइम देखने के लिए बोलते थे.....
और आप दौड़ते हुए वापस आते थे और बोलते थे
"मोटो काटो 8 पे है और छोटो काटो 5 पे है "

लुगाई को थोबड़ो ...

Excellent gyaan....

दुनिया मे वो कौन सी चीज है
जो सबसे जायदा बार फूलती है
फ़िर भी उसके आकार में कोई परिवर्तन नहीं होता ?????
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
;
;
,

,
,,
,
,
,
;
;





,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,
,


,
,
,
,
,
,
,
लुगाई को थोबड़ो ...

रविवार, 9 अगस्त 2015

गणित मे प्यार के दो शब्द

एक बार एक गणित के अध्यापक से उसकी पत्नी ने गणित मे प्यार के दो शब्द कहने को कहा, पति ने पूरी कविता लिख दी :                      म्हारी गुणनखण्ड सी नार, कालजो मत बाले,            
थन समझाऊँ बार हजार, कालजो मत बाले----------------
1. दशमलव सी आँख्या थारी, 
न्यून कोण सा कान,      
त्रिभुज जेडो नाक,           नाक री नथनी ने त्रिज्या जाण,
कालजो मत बाले----------------
2. वक्र रेखा सी पलका थारी,
सरल भिन्न सा दाँत,
समषट्भुज सा मुंडा पे,     
थारे मांख्या की बारात,     
कालजो मत बाल---------------  3.रेखाखण्ड सरीखी टांगा, 
बेलन जेडा हाथ,           
मंझला कोष्ठक सा होंठा पर टप-टप पड रही लार,   
कालजो मत बाले-----------------     4.आयत जेडी पूरी काया,  
जाणे ना हानि लाभ,          
तु ल. स. प. मुं म. स. प.,    
चुप कर घन घनाभ,                       कालजो मत बाले----------------- 5.थारा म्हारा गुणा स्युं.           यो फुटया म्हारा भाग |     
आरोही -अवरोही हो गयो, 
मुंडे  आ गिया झाग |   
कालजो मत बाले ----------------
म्हारी गुणनखण्ड सी नार कालजो मत बाले ----------------
थन समझाऊँ बार हजार         कालजो मत बाले ----------------।

शनिवार, 8 अगस्त 2015

चेतावनी सुचना

यदि मेट्रो जोधपुर मे शुरू होती हे
तो चेतावनी सुचना इस प्रकार होगी ...

1) धकलो टेशन सोजतीया गेट आवेला,
आडो जीवना हाथ कनी खुलेला, हावल
ऊतरजो सा,
हेठे आगिया तो थाणो कादो निकल जावेला ।
2. टेशन माथे पीली पट्टी रे
लारे ऊबा रईजो,
गेलाइया मत करजो सा ।
3. मेट्रो रो पहलो डब्बो लुगाइयो रो है,
आदमीया लोग डोपा हुवेजु घुस जो मती,
एडो करियो तो पछे होटा पडेला ।
4) मेट्रो मे लुगाया ओर बुढा माईता ने
पहली बैठवा दीजो सा ।
5) मेट्रो मे आवो तो स्मार्ट कार्ड काम मे लिजो,
चार पईसा थाणा ही बचेला ।
6) ओर हेन्गाऊ जरूरी बात..मिराज ओर
गुटखो खाने अटी वटी मत
पिचकारीया मारजो.

थाणा काकोसा केमरा मे हेंग देखे है ।

गुरुवार, 6 अगस्त 2015

दादा बा के समय के सुखी जीवन के सूत्र 

हमारे दादा बा के समय के सुखी जीवन के सूत्र  .......
*घर बनानो छोटो,
      कपडो पहननो मोटो !
खानो जवार को रोटो,
      तो कभी ना आय टोटो !!

आज की पीढी के नये सूत्र-

घर बनानो मोटो,
    कपडो पेननो छोटो !
करजो लेनो मोटो,
खानो होटल को रोटो,
तो हमेशा ही रेवे टोटो!!

जोधपुर के लड़के पसंद नही

कुछ लडकिया कहती है की उन्हें जोधपुर

के लड़के पसंद
नहीं
मैंने भी बोल दिया.....
शेरो के साथ शेरनिया अच्छी लगती है बंदरिया और
बकरिया नही......!
हम बादशाहो के बादशाह है इसलिए गुलामो जैसी हरकते नहीं,
नोटो पर फोटो हमारी भी हो सकती थी पर लोगो की जेब मे रहना हमारी फितरत नहीं..!!

शादी किसी जोधपुर लड़के से

एक लड़की स्वर्ग मे गयी और
यमराज से बोली :
मेरी शादी किसी जोधपुर
लड़के से करवा दो..
यमराज : सब्र कर ले बेटी..
पहले जोधपुर के
किसी लड़के को स्वर्ग मे तो आने दे. आज तक तो कोई आया नहीं.

सुधर जाओ कमीनों,
बात उपर तक पहुच गयी है।

जोधपुर वाले पढाई में ध्यान क्यों  नहीं देते?

टीचर ने जोधपुर के छात्रों से पुछा।
टीचर: एक बात बताओ, तुम जोधपुर वाले पढाई में ध्यान क्यों  नहीं देते?
एक जोधपुर छात्र: क्योंकि पढाई सिर्फ दो वजहों से की जाती है।
1st डर से
2nd शौख़ से
और,
फालतू के शौख हम जोधपुर वाले रखते नहीं और
डरते तो किसी के बाप से नहीं।

मंगलवार, 4 अगस्त 2015

जॉनी जॉनी यस पापा इन मारवाडी फ़्रॉम रोमोबा ..

जॉनी जॉनी यस पापा इन मारवाडी फ़्रॉम रोमोबा .....

पपिया पापिया
हा बापा
खोड खादी
ना बापा
कुर बोले
ना बापा
बाकू फार
हाहाहाहाहा ..

शनिवार, 1 अगस्त 2015

डाटा

गांव की लड़की से कंप्यूटर क्लास में पूछा
डाटा (data) क्या होता है? लड़की
बोली so simple "पानी आलि टूंटी के जो ढुजा लगाव है उसे
को डाटा कहते है"

मधुमाखी रो सेत, रीछङा आज भखे ।

मधुमाखी रो सेत, रीछङा आज भखे ।
बाङ खेत ने खाय, जिको कुण रोक सके ।
रेवङ रा रुखाळ, भेङिया आज बणे ।
ओडी गाडर खाल,  अहिंसा सबद भणे ।
साथी रंगीया स्याळ, कपट रा हेत किया ।
अवसर रे उनमान, खोळिया बदळ दिया ।
ले लिनो बैराग, जके ईमान रखे.... ।
बाङ खेत ने खाय, जिको कुण रोक सके ।।

अफसरिया हैं आज, ढोल ज्यूं अजगरिया ।
कागा मोती खाय, हंस रे काकरिया ।
खून परायो चूस, जिकै मुख रातो हैं ।
ज्यूं खटमल बुग, जवा चिचङा साथी हैं
फळीयो तरवर अमर बेल, ज्यूं छायं ढके ।
बाङ खेत ने खाय, जिको कुण रोक सके ।।

हाथी आंकस हीण, बाग रो नास करे ।
ऊंट नकेल तुङाय, ताकङा तेज भरे ।
सूर उजाङे साख, रोजङा फाल चरे ।
नाहर सूतो नींद, स्याळिया मौज करे ।
बिना तेज रो राज, कियां अब राम रखें... ।
बाङ खेत ने खाय, जिको कुण रोक सके ।।

दफ्तर राज कचेङी, चढता दीन करे ।
पंडो ने परसाद, चढे जद काम चले ।
तोल ताकङी, आज मिळे इंसाफ कठै ।
झट पलङो झूक जाय, नोट रो बाट जठै ।
काळा कोट दलाल, हाथ में न्याव बिकै... ।
बाङ खेत ने खाय, जिको कुण रोक सके ।।

नकटी व्हेगी नीत, न्याव खूद आंधो हैं ।
हर मांचे हर ठौङ फरज क्यूं मांदो हैं ।
नौकर रिश्वत खोर, नेताजी बहरा हैं ।
चिमचां रे घर चैन, आज दिन आंरा हैं ।
ईमानदार रे घरां, नहीं पकवान पकै... ।
बाङ खेत ने खाय, जिको कुण रोक सके ।।

राष्ट्र पुरख री पीर, समझ कुण पावे हैं ।
समग्र कान्ती रो सूत्र, हाथ नहीं आवे हैं ।
नीम हकीम बैठ, नब्ज टंटोळ रिया ।
सर्वोदय रा वैद, नहीं अब बोल रिया ।
गांधी सुरग उदास, काळजो हाय धुके ।
बाङ खेत ने खाय, जिको कुण रोक सके.... ।
  नारायण सिंह चारण,  नौख

म्हारी भासा राजस्थानी

म्हारी भासा  राजस्थानी
मीठी मुधरी
चोखी सखरी
हरदम हिये में
भाव भजन में
गीत प्रीत में
रसम रीत में

राजस्थानी
राजस्थानी

पैसा जोड़ रहा हूँ ....

पत्नी ( मायके से)- जानू क्या कर रहे हो ?
पति - बस पैसा जोड़ रहा हूँ .....
पत्नी - वाऊ । मैं जानती थी सोना सस्ता हो गया है
और आपको मेरे नेकलेस की चिंता सता रही होगी
और मेरे न्यू एंड्रॉइड फ़ोन के लिए आप पैसा जोड़ रहे हो ना
डिअर , पर खाना आप अच्छे से खाना । आप कितने अच्छे हो ?
पति - गैलसपी , 20 रूपया रो नोट फाट गीयो है उने जोड़ रीहो
हूँ , टेपां लगा ने ??

शुक्रवार, 31 जुलाई 2015

अब्दुल कलाम रा मरसिया ....

अब्दुल कलाम रा मरसिया ....

अब्दुल तोड़ी आज दीवारां इण देह री
पूरी कर परवाज. पद परमहंस पावियो

अब्दुल पूगौ आप  अमरापुर रे आँगणे
शोक घणौ संताप नयण नीर मावै नहीं

अब्दुल पूरी आस कथनी करणी एक कर
खुदाबन्द वो खास भगत बड़ौ भगवान रो

अब्दुल तूं आधार भांण भळकतौ भारती
अगनी रौ अवतार साधक सांचो सूरमो

अब्दुल नहीं अनाम. इतिहासां रहसी अमर
कीरत वाळा काम कायम करगौ कोड सूं

अब्दुल वाळी आंण अवरां ने आंणी नहीं
जीवत जुगां प्रमाण भूलै किण विध भारती

रतनसिहं चाँपावत कृत

पोसावे कोन्नी


टीचर : (बच्चो से ) सभी लड़कियो को अपनी बहन समझो .

तभी पपुड़ो  :सर जी मै तो कोनि समझू .

टीचर : क्यो ?

पपुड़ो:सर अगर सभी को अपनी बहन समझूगा तो सर इतनी बहनो का मायरा कैसे भरूगा ???

पोसावे कोन्नी ।

मंगलवार, 28 जुलाई 2015

लिखता तो रोवै कलम, कठै गयो कलाम।

लिखता तो रोवै कलम, कठै गयो कलाम।
आखर संग कागद करै, आँसू भरया सलाम।।

नेह समेत करू नमन मानो मिसाइल मैन
शब्दा री श्रद्धांजलि टपकन लाग्या                      सीधो सरल सुभाव रो एहडो नर नह और
करूँ विदा कलाम जी छलकी नैना कौर
धरम जात सूं उपरे मानव मोटो एक
आज छोड़ चाल्यो अबे नर घणो ओ                    भारत माता भाल ने कियो ऊंचो कलाम
फेरु पाछो आवज्ये सादर करूँ सलाम

सोमवार, 27 जुलाई 2015

याद घणी आवे बिती री बाता

( हम मारवाड़ी हेँ )
"याद घणी आवे बिती री बाताँ,
गाँव रा गौना चरावता,
दडीयाँ रमता,
स्कूलोँ मेँ दाल बाटी खावता गेहूँ  लावता,
छोरियाँ ने बकरियाँ केर चीड़ावता,
टेक्टर री टोली लारे लमुटता,  खेल्डी रा खौखा खावता,
धोरिया  माथे गुड़ता,
मौरीया री पॉखा चुगता,
ढेंलडी़या लारे दौड़ता,
खैल्डे माथे हिंडो घालता,
धुड़ा रो घर बणाय रमता,
रौज माऊ कनू एक रूपियो लेर सकुल जावता,1
बोल्टी रा बौरिया खावता ,
फाटोड़ी चडीया पेरन सकूल जावता,
सकुल मे बाणीया रा छोरा ने कूटता,
छाने छाने बिड़ीया रा टुकड़ा पिवता,
गणाय कुपाव चुगूने जावता,
लुगाईयां रे डगळ री ठोकता,
फागण मे चंग बजांवता,
दीवाली ने टीकड़ीयां फोड़ता,"

(यह हमारे बचपन की मारवाड़ी यादें हैं हम ईनको कभी भूल नही सकते हैं)

शनिवार, 25 जुलाई 2015

फिड़कला घणा आवै

शाम के बाद नेट चलाना हुआ मुश्किल ....
.
.
क्योंकि घरवाले बोले " बंद कर थारा ठीकरा ने....... .फिड़कला
घणा आवै " ।।

शुक्रवार, 24 जुलाई 2015

लिपटण दी चाह

  एक पंजाबी महिला एक हरियाणवी की किराना दुकान पर चाय पत्ती खरीदने गई .
महिला - लिपटण दी चाह है?
हरियाणवी दुकानदार - मन्ने तो ना है....तन्ने है तो लिपट जा .

ले धौलिया

गुस्सा तो तब आता हे...

जब बारात की गाड़ी में सब से पहले सीट रोक कर बैठे...
और जब गाड़ी चलने लगे तब घर वाले बोले

ले धौलिया
फुफों जी ने बैठण दे,
तू खड़यो होज्या...lll

गुरुवार, 23 जुलाई 2015

दारू दुसमण देह री, नेह घटादे नैण।

दारू दुसमण देह री, नेह घटादे नैण।
इज्जत जावै आप री, लाजां मरसी सैण।१।

दारू तो अल़घी भली, मत पीवो म्हाराज।
कूंडो काया रो करै, घर मैं करै अकाज।२।

मद मत पीवो मानवी, मद सूं घटसी मान।
धन गंवास्यो गांठ रो, मिनखां मांही शान।३।

दारू री आ लत बुरी, कोडी करै बजार।
लाखीणै सै मिनख रा, टका कर दे च्यार।४।

दारू रा दरसण बुरा, माङी उणा री गत।
ज्यांरै मूँ दारू लगी, पङी जिणां नै लत।५।

ढ़ोला दारू छोङदे, नींतर मारू छोङ।
मद पीतां मरवण कठै, जासी काया छोङ।६।

मदछकिया छैला सुणो, देवो दारू छोङ।
नित भंजैला माजनू, जासी मूछ मरोङ।७।

दारू दाल़द दायनी, मत ना राखो सीर।
लाखीणी इज्जत मिटै, घर रो घटसी नीर।८।

दारू देवै दुःख घणा, घर रो देवै भेद।
धण रो हल़को हाथ ह्वै, रोक सकै ना बैद।९।

धण तो दुखियारी रहै, दुख पावै औलाद।
जिण रै घर दारू बसै, सुख सकै नहीं लाध।१०।

मिनख जूण दोरी मिलै, मत खो दारू पी'र।
धूल़ सटै क्यूं डांगरा, मती गमावै हीर।११।

दारू न्यूतै बण सजन, दोखी उणनै जाण।
दूर राखजे कर जतन, मत करजे सम्मान।१२।

दारू सुण दातार है, घणां कैवला लोग।
मत भुल़ ज्याई बावल़ा, मती लगाजे रोग।१३।

गाफल मत ना होयजे, मद पीके मतवाल।
लत लागी तो बावल़ा, राम नहीं रूखाल़।१४।

रैज्ये मद सूं आंतरो, सदां सदां सिरदार।
ओगणगारी मद बुरी, मत मानी मनवार।१५।

मद री मनवारां करै, नीं बो थारो सैण।
दूर भला इसङा सजन, मती मिलाज्यो नैण।१६।

जे सुख चावो जीव रो, दारू राखो दूर।
घर रा सै सोरा जिवै, आप जिवो भरपूर।१७।

गढ़'र कोट सै खायगी, दारू दिया डबोय।
अजै नहीं जे छोडस्यो, टाबर करमा रोय।१८।

दुख पावैली टाबरी, दे दे करमा हाथ।
परिवारां जे सुख चहै, छोङो दारू (रो) साथ।१९।

Premsinghkumpawatओ अरजी करै, मद नै जावो भूल।
मिनख जमारो भायला, कींकर करो फजूल।२०।

बिरखा बरसी सांतरी,

इंतजार चौमासा रो
बिरखा बरसी सांतरी,
मुरधर जागी आस ।
कोठा भरसी धान रा,
डांगर चरसी घास ।।
हाळी हळड़ा सांभिया,
साथै साम्भ्या बीज ।
खेतां ढाणी घालसी ,
स्यावड़ गई पसीज ।।
ऊंचै धोरै बाजरी,
ढळवोँ बीजूं ग्वार ।
बिच्च बिच्च तूंपूं टींढसी,
मतीरा मिश्रीदार ।।
ऊंचै धोरै टापरी,
साथै रैसी नार ।
दिनड़ै करां हळोतियो,
रातां बातां त्यार ।।
काचर काकड़ कीमती,
मतीरा मजेदार ।
मोठ मोवणा म्होबला,
धान धमाकैदार।।
आभै गाजी बादळी,
मुरधर नाच्या मोर ।
जीया जूण खिलखिली,
देख घटा घनघोर ।।
आभै चमकी बीजळी,
मनड़ै जाग्यो मोह ।
बादळ राजा बरससी,
मिटसी पिया बिछोह ।।
छमछम बरसै बादळी,
धम धम नाचै मोर ।
धरती माथै रूंखड़ा,
घालै घूमर जोर ।।
बादळ ऐड़ा ओसरया,
मुरधर करियो वास ।
धरती आली सांतरी,
करसां पूरी आस ।।
डेडर जीभां खोल दी,
भरिया देख तळाब ।
कोयल वाणी सांचरी,
मुरधर उमड़ी आब।।

Google search

किसी ने Google पर search किया.." जोधपुर  " वालों  को काबू मे कैसे करें."

Google का जवाब आया...
"औकात मे रहकर search करें.."

जोधपुर   वालो से पंगा मत लेना...

क्योंकि,

जिन तूफानों में लोगो के झोपड़े उड़ जाते है,
उन तूफानों में तो जोधपुर  वाले कपड़े सुखाते हैं |

मेट्रो तो जोधपुर  में भी आ
जाती लेकिन...
...
...
...
...
...
जोधपुर  के लोगो ने मना कर दिया, ...
...
...
...
कहते हैं
ऐसी ट्रेन किस काम की
जिसकी खिड़की खोल के रजनीगन्धा ना थूक
सके ।

"  जय हो जोधपुर  "

बुधवार, 22 जुलाई 2015

लेज्या रे बापकाणा

एक आदमी आप के सासरै गयो टाबराँ की माँ नै ल्याण नै !!

सासू बोली कै, कूँवरजी ऐक बार पाँच सात दिन घरां काम हैं जको थे पाँच सात दिना
बाद लेण नै आज्यायो !!

जवाईं:- मेरै के काम है तो !
थारो काम हूवै जणा भेज देया बितै दिन

मै अठै ही बैठ्यो हूँ !!

सासू बोली कै, थे ईता दिन अठै रहस्यो जणा लोग के कहसी ?

बूरा कोनी लागो ईता ईता दिन
सासरै मे बैठ्या ????

जवाईं :- सासूजी आ गैलाने छ: महीना
लगातार म्हारै घरे रह के आयी है जणा आ तो बूरी कोनी लागी ?

सासू बोली कै बेटा आ तो थानै परनायेङी है !

जवाईं:- तो मै के अठै रोपेङो हूँ ?

मै भी तो अठै परनायेङो ही हूँ !!!

सासु:- लेज्या रे बापकाणा !!!!

सावण सुंरगो आवियो, आया नीँ भरतार

सावण सुंरगो आवियो, आया नीँ भरतार ।
काया म्हारी दाझगै,कांईं चावै करतार ।।

आभै चमकी बीजळी, धरती बधगी आस ।
कळपै थारी कामणीँ, साजन आओ पास ।।

सावण बैरी सायबा, नित रो बरसै आय ।
घरां पधारो सायबा, जोबन बैरी खाय ।।

हिंडो मांडूं हेत सूं , गाऊं गीत पच्चास ।
सायब होवै साथ मेँ, हिंडो चढै अकास ।।

फोन लगाऊं सायबां, आवै कोनीँ टोन ।
सावण जावै हाथ सूं , ओन करो नीँ फोन ।।

सावण आयो सायबा, मत ना जाओ दूर ।
सेजां पोढो आयनै, छोडो सगळा टूर ।।

तनड़ो सारो भीजग्यो, मनड़ो गावै गीत ।
साजन भेळा नाचल्यो , बणगै मन रा मीत ।।

अंबर गाजै बादळी, मनड़ै नाचै मोर ।
साजन म्हारा आंतरा ,रत्ती न चालै जोर ।।

आभै देखूं बादळा , हिवड़ै उपजै नेह ।
साजन होवै साथ मेँ , भळ बरसो थे मेह ।।

चंदै लिपटी बादळी , आभै देखूं भाज ।
घरां पधारो सायबा , काया छोडूं आज ।।

नैणां बरसे सेज पर , आंगण बरसै मेह ।
होडा होडी झड लगी , उत सांवण इत नेह ।।

गोरी बैठी गोखडे,नैणा काजल काढ।
जल काजल रलमिलरिया,आयो मास असाढ

रोम रोम राजी हुवो,हस हस पुलकित हाड।
नस नस कूदे नाचती,आयो देख असाढ।

                                 

मंगलवार, 21 जुलाई 2015

छातिकुटो

मुम्बई स्कूल का टीचर राजस्थान के गांव के स्कूल में गया और बच्चों से पूछा problem का हिंदी अर्थ बताओ।
एक छात्र बोला "छातिकुटो"

हीङकिया


घंटो कि दुरीयाँ मिनटो में तय हो जाती

जब

हीङकिया कुत्ता लारे दौडता है..

सोमवार, 20 जुलाई 2015

मारवाङी गाँवा री हिँन्दी

मारवाङी गाँवा री
हिँन्दी

1. आँटी मुझे चाय मत
घालना
मेरे पास पहले ही घणी है

2. यार पता नहीँ कल
किसी
ने
मेरी टाट मेँ भाटा मार
दिया
3. आप सभी ऊभे क्यूँ हो
हेठा
बैठ जाओ
.
.4 मेने आपको बहुत सोदया पण आप लादया ही नही
5 जल्दी चलो मुझे मोड़ा हो रहा है
6 आप सीधा जाना एकदम नाक की डांडी पर फिर डावडा हाथ कण मुड़ के थोड़ा  डोडा हो जाणा
7 मेरा बस्ता बिस्के मायन पड्या है