शनिवार, 10 जनवरी 2015

दारूरा दुरगण (दूहा)



पिण्ड झड़े , रोबा पडे़ , पड़िया सड़े पेंषाब ।
जीब अड़े पग लडथडे़, साजन छोड़ शराब ।। १ ।।
कॉण रहे नह कायदो, अॅाण रहे नह आब।
(जे) राण बाण नित रेवणो,(तो) साथी छोड शराब
11 २ 11
जमी साख जाति रहे ,ख्याति हुवे खराब ।
मुख न्याति रा मोड़ले ,साथी छोड़ शराब 11 ३ 11
परणी निरखे पीवने , दॉत आंगली दाब।
भॉत भॉत मंाख्यंा भमे, साजन छोड़ शराब 11 ४ 11
आमद सू करणो इधक , खरचो घणो खराब ।
सदपुरखॉ री सीखहे, साथी छोड़ शराब 11 ५ 11
सरदा घटे शरीर री , करे न गुरदा काम।
परदा हट जावे परा, आसव छोड़ अलाम 11 ६ 11
कहे सन्त अर ग्रंथ सब , निष्चय धरम निचोड़ ।
जे सुख चावे जीवणो, (तो) छाक पीवणो छोड़ 11 ७
11
मोनो अरजी रे मनां , मत कर झोड़ झकाळ।
छाक पीवणी छोड़दे, बोतल रो मुॅहबाळ 11 ८ 11
चंवरी जद कंवरी चढी, खूब बणाया ख्वाब ।
ख्वाब मिळगया खाक मे, पीपी छाक शराब 11 ९
11
घर मांेही तोटो घणों, रांधण मिळेन राब।
बिलखे टाबर बापड़ा , साजन छोड़ शराब ।। १0 ।।
दारू में दुरगण घणा , लेसमात्र नह लाब ।
जग में परतख जोयलो , साथी छोड़ शराब ।। ११ ।।
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एक गांव में एक बार जनगणना
वाला आया बे घर घर जाकर
सब जना न परिवार वाला का नाम पूछ रया ।एक घर गया बी घर में अकेली लुगाई ही बिन पुछयो थार पति को नाम
बा शरमाई और सोच कर बोली 3 गंजी और 3 गंजी कती  हुवे है।
बो जनगणा वालो बोल्यो छगंजी
बा बोली औ ही नाम है।लिखल्यो


शुक्रवार, 9 जनवरी 2015

नवै बरस में

नवै बरस में थांरै आंगण, हँसता रैवै बाळ-गोपाळ |
नवै बरस में थांरै आंगण, आवै खुशियां भरिया थाळ||
नवै बरस में पिरथी सरसै, नदियाँ मांहीं खळकै खाळ|
नवै बरस में मेघ घटावां, काळायण बरसै नखराळ ||
नवै बरस में सुरंगा सपना, टाबर आंख्यां आखरमाळ |
नवै बरस में थांरै हिंवड़ै, रंग चाव रा भरै उछाळ ||
नवै बरस में रचै मांडणां, जोबन नाचै नौ नौ ताळ |
नवै बरस में थांरै मुखड़ै, खुशियाँ, रागां, गीत’र गाळ ||
नवै बरस में हरियल रैवै, खींप,फोगड़ा,लौंणा जाळ |
नवै बरस में ओरण उमगै, पळका पाड़ै सरवर पाळ ||
नवै बरस में मुळकै मुरधर, रचै रोहिड़ा खेजड़ डाळ |
नवै बरस में पिछम धरा री, करनला करै रखवाळ ||

ठण्ड पड़े है जोर की

ठण्ड पड़े है जोर की,
      पतली लागै सौड़ ।।⛄
चाय पकौड़ी मुंफली,
      इण सर्दी रो तोड़ ।।
डांफर चाले भूंडकी ,
   चोवण् लाग्या नाक ।।
काम्बल  राखां ओढणे ,
     सिगड़ी तापा हाथ ।।
काया धूजे ठाठरे,
    मुँडो छोड़े भाप ।
दिनुगे पेली चावड़ी,
    न्हाणो धोणो पाप ।।
गूदड़ माथे गूदडा ,
    ओढ्यां राखो आप ।
ताता चेपो गुलगुला,
     चा चेपो अणमाप् ।।
 सीयलॉ री खम्मा-घणी सा 

मंगलवार, 6 जनवरी 2015

म्हारी धरती

मारवाड है म्हारी धरती
मारवाड है म्हारो देस
इण म्हारी धरती माते
सब रा रंग रंगीला वेस
जाती सब री अलग भले ही
पर एक है खान पान
मेहमान आवे घर में जद
लागे आयो कोई भगवान
कोई अटे गुर्जर है
तो कोई है देवासी
पूछो जणे जवाब देवे
म्हे हाँ मारवाड वासी
लापसी रो स्वाद अलग है
तो खाटो लागे भारी
राबङी अटारी जान है
केर सांगरी री रंगत न्यारी
हल्दी रो तो जवाब कोनी
आतो है दवाई
साग वणे घर में जद
शाबासी पावे लुगाई
मारवाड री बात मत पूछो
मारवाड री होड कोनी
आवे अटे एक बार
वो भूल जावे सबोनी
एडो म्हारो मारवाड है
ओ है म्हारो देसहर कोई रो स्वागत है
एक बार पधारो म्हारे देस
"जय जय मारवाङ"
"जय जय राजस्थान"

सोमवार, 5 जनवरी 2015

Marwari doha

इते इला आकाश, इते सिस सुरज उगे ।
इते नीर पवन्न, पाप पुन इते ज पूगै ॥
भूयंग जिते धर भार, अगन जित धृतता उठै ।
इते नखतर सत अंस, विरखा रुत बादळ वूठै ॥
जल गंग मेर सामंद जिते, जिते वेद हणवंत जत ।
कव भोम कहै करनल कला, सत एतां ऊपर सगत ॥
  ( कविवर श्री भोमजी बीठू  //मोरारदान गढवी )
दारु री दपटां उडे,
खपट खाजरु खास ।
मनमाफीक देसी मुरग,
आ एडमीन सूं आस ।
सूरज ऊगौ सांतरौ,कूकड मेली राळ।
धण संभाळै कांचळी,  पिव मूंछां रा बाळ ॥
"सरदी रा सुझाव"
"सरद वायरे छेड दी , रंग जमाती राग  ।
काया छूटी कंपकंपी, जाङो गयो है जाग  ।
जाङो गयो है जाग, आग सूॅ तपलो आ कर ।
खाओ दूध खजूर जळेबी फीणी जा कर ।
कहे "गिरधर"कविराय कि हल्दी रो है थोरो ।
दोय पैक लो पीव , जीव हो जावे सोरो ।।"
         गिरधारी दान रामपुरिया

Marwari thitholi

अरे मामा आज आपणा गाँव  वालो ATM बंद क्यों पडयो है ??
कांई बताउ भाणेज  ,
थारी मामी बोली कि आज ATM  सु पिश्या मुं  निकालू ..
अरे आ तो अच्छी बात है न मामा ..
काई अच्छी बात भाणेज  ,,,
बो ATM  बोल्यो ---
”ENTER YOUR PIN”,
तो आ बावली अपना माथा री पिन ATM में फसा दि !!

मजा को के बैरों भायलो

मजों कुणसी बात पर आव ||
मजा को के बैरों भायलों कि कुणसी बात
पर आज्याव...
रेल मैं सोण का,
पाँच रूपिया खोण का,
दारूं पीकर रोण का,
मजा ही न्यारा है...
बालू कै टीबा पर भागण का,
ब्यावली रात मैं जागण का,
कातिक मैं जाडों लागण का,
मजा ही न्यारा है...!
भरी दुपहरी मैं ज्यै
काली घटा छाज्याव...
मजा को के बेरों भायलों कि कुणसी बात
पर आज्याव...।।
मंत्री कै गैल यारी का,
कंगले को मोटर-लारी का,
और आधी छुट्टी सारी का,
मजा ही न्यारा है...!
खेत मैं रोटी खाण का,
जोहड जाकर न्हाणे का,
नाना बालक नै खिलाण का,
मजा ही न्यारा है...!
यात्रा हो दूर की और दूर
की सवारी पाज्याव...
मजा को के बेरो भायलों कि कुणसी बात
पर आज्याव...।।
गर्मिया मैं आम का,
फागण की शाम का,
मीठी-मीठी जुकाम का, मजा कै बताऊँ
थान...!
जाडे मैं रजाई का,
गांव कै जमाई का,
बूढे की सगाई का, मजा के बताऊँ थान...!
झगडे कै माय ज्यै थानेदार टूटकर
पडज्याव...
मजा को के बेरो भायलों कि कुणसी बात
पर आज्याव...।।
मौका पर कही गई बात का,
माँ को बालक की लात का,
मेंह मैं टपकती छात का, मजा के बताऊँ
थान...!
खाट पर सै पडण का,
सुत्या सुत्या डरण का,
तडकै पाणी भरण का, मजा के बताऊँ
थान...!
मजा मजा मैं गांजों पीणिया एक सेर
का लाड्डू खाज्याव...
मजा को के बेरो भायलों कि कुणसी बात
पर आज्याव...।।
ठंड मैं अकडण का,
भाग कर गाडी पकडण का,
कुण्डी मैं आंगळ रगडण का, मजा तो लेकर
देखों...!
झाडी सै बोरिया तोडण का,
चौकान मैं खीचडी रोडण का,
बढेडा कनखा न काटण का, मजा तो लेकर
देखों...!
घोडी पर बैठ्यों बींद ज्यै घोडी चिमकण
सै पडज्याव...
मजा को के बेरो भायलों कि कुणसी बात
पर आज्याव......!!!!!!"

जोधपुर वालां रो

जब आँख खुले तो धरती
जोधपुर की हो !
जब आँख बंद हो तो यादे
जोधपुर  की हो !
मै मर भी जाऊ तो गम नहीं
लेकिन मरते वक्त
मिटटी जोधपुर की हो !!
जोधपुर वाला रो दिल----
नरम आइसक्रीम जेसो !!!
जोधपुर वाला री जुबान----
मीठी जलेबी जेसी !
जोधपुर वाला रो गुस्सो----
गरम फूलको जैसो !
जोधपुर वाला रो साथ----
चटपटा आचार जैसो !
जोधपुर वाला रो होसलो----
कड़क खाखरा जैसो !
जोधपुर वाला रो स्वभाव----
मिलनसार दाल-धोकली जैसो !
( केने को मतलब यो के
जोधपुर वाला के साथ रहो
तो भूखा कोणी मरो )
पधारो म्हारे मारवाड की
धरती जोधपुर शहर !

Marwari Knowledge of Names of various parts inside a house

Marwari Knowledge of the day - Names of various parts inside a house
Architecture of a house in western Rajasthan is very interesting. There are different rooms and areas, specifically designed of various different purposes. These are not in only few rich people's houses, but it's common in all old houses. Following are the marwari names of various parts of a house along with the purpose they are used for -
चोकी (chauki) - a small sitting place outside the house, with a height of around 2-3 ft. made for people to sit and take rest.
नाल (naal) - stairs
शाल (shaal) - first place after entering the house, it's like a half open structure, with lots of windows.
बरहाली (barhali) - The space in front of the rooms.
देवलखनो (devalkhano) - Drawing room, where guests sit.
चॊक ( chok) - space, which is usually in the middle of house and doesn't have a roof.
कोठी (kothi) - A room
कोठरी - a relatively small room
ओरो - a room inside a room, it has the only one entrance and that is from another room
पडपीतो (padpeeto) - Room, inside a ओरो, i.e. last room in the two rooms chain, it has only one entrance and that is from another room, it has no windows. generally used for keep valuable stuff.
डिलोन (dillon) - A large hall, it generally has a large bed and is used mainly by the oldest people in the house.
डागलो (daaglo) - first terrace of the house
मालियो (maaliyo) - a room at the first terrace of the house.
मेढी (medhi) - a room at the top of stairs to the terrace, it's a small space usually used to keep beds etc.
तिपड(tipad) - top most terrace of the house, it's a small terrace, generally without stairs.
कोठोरियो (kothariyo) - a space on the side of terrace, where curd, milk etc. are kept at night
गुन्जार (gunjar) - basement, generally it's situated at the front or the backside of house
भखारी (bhkhari) - a very small space, which is dark and used to keep unused stuff, it's generally situated under the stairs
तिलभवरो (tilbhavro) - a space inside the floor of basement, usually hidden, it's used to store valuables, grains etc.
पलिंडो - a space where drinking water is kept, it's generally outside the kitchen and near the stairs to the terrace.
तारथ (taarth) - toilet room
नावनघर (nawanghar) - bathroom
बाडो (bhado)- garden/open space

शनिवार, 27 दिसंबर 2014

जोधपुर वालां रो

जब आँख खुले तो धरती
जोधपुर की हो !

जब आँख बंद हो तो यादे
जोधपुर  की हो !

मै मर भी जाऊ तो गम नहीं
लेकिन मरते वक्त
मिटटी जोधपुर की हो !!

जोधपुर वाला रो दिल----
नरम आइसक्रीम जेसो !!!

जोधपुर वाला री जुबान----
मीठी जलेबी जेसी !

जोधपुर वाला रो गुस्सो----
गरम फूलको जैसो !

जोधपुर वाला रो साथ----
चटपटा आचार जैसो !

जोधपुर वाला रो होसलो----
कड़क खाखरा जैसो !

जोधपुर वाला रो स्वभाव----
मिलनसार दाल-धोकली जैसो !

( केने को मतलब यो के
जोधपुर वाला के साथ रहो
तो भूखा कोणी मरो )
पधारो म्हारे मारवाड की
धरती जोधपुर शहर !

मंगलवार, 9 दिसंबर 2014

धापुडी द्वारा अपने मोट्यार को लिखा गया कागद

||धापुडी द्वारा अपने मोट्यार को लिखा गया कागद||
म्हार हिवडा का हार,
म्हारा सोलहा सिंगार,
म्हारी पप्पूडी का पापा...
थारी चौडी-चौडी राफा....!
हे प़ाणनाथ जी,
गोपिया का नाथ जी,
म्हार रूप का दास जी,
त्रिलोकी का नाथ जी...
थाको कोजो घणों साथ जी.....!
हे म्हारी जलती ज्योत,
करवा चौथ,
धान का बोरा,
उन्डोडा औरा...
थाक एक दर्जन छोरी और छोरा.....!
भोमिया का स्वामी,
म्हारी जामी सा थाकी,
सत्यानाशी,
कुल विनाशी,
कालिया की मासी,
चरणा की दासी,
थार प़ाणा की प्यासी,
थाकी पाताल फोड लाडली,
धापुडी का पगा लागणा मानज्यों...
और हो सक तो आखा-तीज पर घरा पधारज्यों.....।।
आगे समाचार एक बाचज्यों कि--सुसरो जी न हिडकायों कुत्तों खायगों...
और चौथियों चौथी मैं चौथी बार फेल आयगों.....!
सुसरो जी तो हिडक्या और मरग्या...
पण मरता मरता सासू जी न हिडक्या करग्या.....!
सासू जी मरा मौत, कु-मौत, कुत्त की मौत और सासू जी न मरता देख म्हारो भी मरणा स मन फाटग्यों है...
जीतियों नाई काल स्वर्ग सिधारगों और बीको तियो पंडत गरूड्यों करायग्यों है......।।
गीतूडी क करमडा मैं है ना जुआ पडगी है...
और सीतूडी क काना की एक बाली गमगी है.....!
थाकी काणती काकी काल छाछ खातर घरा आर लडगी...
और म्हारी बडकी सेठानी घीनाणी सु पानी ल्याती पडगी.....!
भुवाजी रोजीना ही गुद का लाडू खाव...
और नानूडा की लुगाई मैं मंगलवार की मंगलवार पीतर जी आव.....।।
पपीयों,गीगो,लाल्यों और राजिया की लुगाई चलती री, पण थे तो जाणो ही हो राम क आग किको बस चाल है...
और होणी न कुण टाल है.....!
हे म्हारा बारहा टाबरा का बाप...
थान लाग शीतला माता को श्राप.....!
थे आदमी हो या हरजाई...
थे मनै अठै ऐकली छोडगा थान शरम कोनी आई.....!
थे आ पूरी पलटन म्हारै वास्तै छोडगा...
एक इंजन मैं बारह डब्बा जोडगा.....।।
इ बार सर्दी अणहोती पड,ई वास्तै टाबर घणा रोव है...
दो चार दिना सु भूखा ही सोव है.....!
थाक माय न अब भी थोडी घणी शरम बाकी होव तो पाछा कदै ही मत आइज्यों...
पर पाँच हजार रूपिया हाथु हाथ भिजायज्यों.....।।
मै तो रोजीना की काय सै तंग आकर सूख कर सागरी होगी...
हाथ का पाटला आगल्या मैं ही कोनी आव और भूख लाग नही.....!
काल दिन थोडी भूख लागी जणा सवा-सेर आटा को सीरो कर खायो जणा थोडी आँख लागी...
जिको तीजे दिन दोपहारा 3-बजे जागी.....!
और जागी काई पडोसन ओळमों देबा न जगा दी...
कहयों थारो "गोविन्दो" म्हारी मटकी फोड दी.....!
हे प़ाण नाथ अब थे ही बताओ मैं कठै जाऊँ सारा दिन उन्दा-उन्दा वहम आव...
कमरा सू दरवाजा तक आऊँ डाकिये न देख दरवाजो बंद करदयूँ, काई ठा थाक आवण का समाचार नही आज्याव.....।।।
थाक प्राणा की प्यासी...धापूडी।
😜😜😜😜😜😜😜😜😜😜

बुधवार, 3 दिसंबर 2014

Jodhpuri chutakala

एक बार ट्रेन में Jaipur
वाले, jodpur वाले, bikaner
वाले और ajmer
वालो में चर्चा होने लगी..................................
सबसे ज्यादा रईस कौन है?
सभी का यही जवाब था"....
साबित करके बताओ कि
सबसे ज्यादा
रईस कौन है?
Jaipur वाले ने खूब सोचकर
जेब से 50 का नोट निकाला
और उसकी सिगरेट बना कर
माचिस जलाई और पीने लगा...
Ajmer वाले ने आव देखा न
ताव झट से जेब से
500 का नोट निकाला और
उसकी सिगरेट बना कर
माचिस जलाई और पीने लगा...
Bikaner वाले को इसमें अपनी तौहीन नज़र आई.....उसने जेब
से 1000 का नोट निकाला
सिगरेट बनाई और जला कर
उसे पीने लगा बोला "भीया
अपन से बड़ा रईस कौन हो
सकता है इण्डिया में"
सब अब....
Jodhpur वाले की तरफ देखने
लगे..
Jodhpur  वाले ने ब्रीफकेस खोला चेकबुक निकाली और
एक चेक भरा 5 लाख रुपये,
उस चेक की सिगरेट बनाई
और माचिस जला कर
उसे पीने लगा बोला
"भाई सबसे बड़ा रईस वो
जो बिना नुक्सान किये मज़े ले!!"
शिक्षा -: सब कुछ करने का
लेकिन jodhpur वालों से पंगा
नहीं लेने का....

Jodhpur is fabulous

जोधपुर EXCLUSIVE... Part - 1
1-दो ब्रेड के बीच में मिर्ची बड़ा दबा के खाना यहाँ का खास ब्रेकफास्ट माना जाता है.
2-मिठाई की दूकान पर खड़े-खड़े आधा किलो गुलाब जामुन खाते हुए जोधपुर में सहज ही किसी को देखा जा सकता है.
...
3-गर्मी से बचाव के लिए चूने में नील मिला कर घर को पोतने का रिवाज़ सिर्फ और सिर्फ जोधपुर में ही है.
4-बैंत मार गणगौर जैसा त्योंहार सिर्फ जोधपुर में मनाया जाता है,जिसमे पूरी रात सड़कों पर महिलाओं का राज़ चलता है.
5-दाल-बाटी-चूरमा के लिए जोधपुर में कहा जाता है....दाल हँसती हुई,चूरमा रोता हुआ ओर्बती खिल-खिल होनी चाहिए.मतलब-दाल चटपटी-मसालेदार,चूरमा ढेर सारे घी वाला और बाटी सिक के तिडकी हुई होनी चाहिए.
6-पानी की सप्लाई शुरू होते ही घर का आँगन धोने का रिवाज़ जोधपुर में ही है.
7-हरेक गली के नुक्कड़ पर पात्र की खुली कुण्डी जोधपुर में लगभग हर जगह मिल जायेगी,जहाँ घर का बचा-खुचा भोजन गायों को डाला जाता है.
8-किसी भी काम को सीधे मना करने की आदत किसी भी "जोधपुरी" की नहीं होती.बहाने बना के टाल देंगे,मगर सीधे मना नहीं करेंगे.इस शैली के लिए यहाँ एक खास शब्द है..."गोली देना"...
9-यहाँ फास्ट फ़ूड के नाम पर पिज्जा-बर्गर से ज्यादा मिर्ची बड़ा और प्याज की कचौरी ज्यादा पसंद की जाता है.यहाँ कहा जाता है कि जोधपुर में अखबारों से भी ज्यादा मिर्ची बड़े के बिक्री होती है.
10-सड़क पर लगे जाम में फँसने के बजाय जोधपुरी लोग पतली गालियों से निकल जाना पसंद करते हैं.
11-"घंटाघर"...जोधपुर में एक ऐसी जगह है जहाँ ,जन्म लेने वाले बच्चे के सामान से ले कर अंतिम संस्कार तक का सामान मिल जाता है.
12-जोधपुर के ऑटो रिक्शा अपनी विशेष साज-सज्जा के लिए दुनिया भर में मशहूर है.
13-"के.पी."...यानि खांचा पोलिटिक्स की ट्रिक खास जोधपुरी अंदाज़ है,जिसमे भीड़ से किसी भी आदमी को सबके सामने चुप चाप अलग कोने में ले जा कर सिर्फ इतना पुछा जाता है..कैसे हो आप?
इससे उस आदमी का महत्व उस भीड़ में बढ़ा दिया जाता है..
14-जोधपुरीयंस का खास जुमला है-"कांई सा" और "किकर"..इसका अर्थ है-कैसे हैं आप और इन दिनों क्या चल रहा है.
15 -"चैपी राखो"..इस शब्द कजोध्पुर में मतलब है-जो काम कर रहे हो,उसमे जुटे रहो.
16 - मिर्ची बड़ा,मावे की कचौरी और मेहरानगढ़ पर हर जोधपुर वासी को गर्व है.
17-जोधपुर में मिठाइयों की क्वालिटी उसमे डाली जाने वाली चीजों से नहीं आंकी जाती बल्कि इस से आंकी जाती है कि उनमे देसी घी कितना डाला गया है.
18-यहाँ की परंपरा में गालियों को घी की नालियाँ कहा जाता है.तभी तो यहाँ का बशीन्दा गाली देने पर भी नाराज़ नहीं होता,क्यों कि गाली भी इतने मीठे तरीके से दी जाती है,उसका असर ना के बराबर हो जाता है.
19-जोधपुर में रोजाना ६ हज़ार किलो बेसन सिर्फ मिर्ची बड़े बनाने में खर्च होता है.
20-"संध्या काल में शुभ - शुभ बोलना चाहिए " इसीलिए यहाँ शाम होते ही लोग बड़े से बड़ा पान मुहँ में दबा लेतें है , जिससे केवल ॐ की ध्वनि ही उच्चारित हो सके...are you jodhpurian ... proud of these quality.......GGK.......