रविवार, 7 सितंबर 2014

बाटी खाते वकत निम्न बातो का ध्यानरखना चाहिए

(1) बाटी जिन्स पेन्ट पहन कर नही खानी चाहिए ।
बैठने में भी तकलीफ होती
(2) बाटी खाते वकत मोबाइल का स्विच ऑफ रखे। बात
करने से पेट में हवा जाती हैं ।जिससे एक बाटी कम
खवाति हैं हवा से पेट भरता हैं
(4)बाटी खाते वकत सुई गिरने जितनी भी आवाज
नही आनी चाहिए। खाते
वकत कोई बच्चा आवाज करे तो उसे भी लप्पड़ मेल
देनी चाहिए बगैर रहम करे
(6) बाटी खाते वकत पंखा पास होना ..
(7) बाटी खाते वकत घी की बाल्टी फुल
होनी चाहिएl जितना घी जाएगा बाटी के साथ
उतनी तरावट रहेगी और कुम्भकर्ण की मानिंद नींद
आएगी एक दम टेंशन फ्री
(8)बाटी खाने के बाद काम करना जरूरी नही हैं
(9) बाटी खाने के बाद मिथुन चक्रवर्ती के पिक्चर
देखना निषेद है उससे माथा खराब
रहता हैं खोपड़ी घनचक्कर हो जाती है
सोमवार हो या रविवार रोज खाओ बाटी दाल
जिस दिन घर पे बाटी बनती हैं उस दिन घर में
खुशी का माहौल रहता हैं।
बच्चे
भी सभी काम पे लग जाते हैं
कोई कांदा काटने लग
जाता हैं
कोई चटनी घाेटता हैं ।
कोई कड़ी पत्ता लेने
चला जाता हैं ।
कोई अपने आप को दाल बनाने
का उस्ताद जता कर दाल की वाट लगाता है
बाटी खाने के बाद दाल बाटी और लड्डू की तारीफ़
करने से पुन्य मिलता है
और अनेकानेक जन्म के पाप नष्ट
हो जाते है
कहि कहि तो बाटी की धुप भी लगाते हैं।
पांच पकवान
की तरह मानते हैं।
बाटी खाने के बाद
आदमी को ऐसा लगता हैं की मेरे उपर कोई
दीणा(कर्जा) नही हैं ।
बामण गुरु के अनुसार बाटी खाने
का दिन रविवार सही हैं।
लगातार सात दिन बाटी खाने से गंगा जी के घाट पर
हज़ार बामणाे का लंगर कराने और सौ गायो का दान
करने बराबर पुन्य लगता हैं ।
देसी खाओ ज्यादा विदेशी मत बनो
😎😎😎😎

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