14 नहीं 15 को है मकर संक्रांति, 83 साल बाद बनेगा समसप्तक योग
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कई शुभ संयोगों के साथ तीन वर्ष के बाद मकर संक्रांति इस बार 15 जनवरी को है। इसके पूर्व 2012 में भी मकर संक्रांति 15 जनवरी को थी। ज्योतिषियों के अनुसार 14 जनवरी की शाम 7.27 बजे से सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेगा, लेकिन शाम 5.58 बजे ही सूर्य अस्त हो जाएगा। संक्रांति चूंकि सूर्य का पर्व है, इसलिए सूर्य के साक्षी नहीं होने से यह 15 जनवरी को मनेगी। स्नान, दान-पुण्य के लिए भी 15 जनवरी को उदय काल में संक्रांति सर्वश्रेष्ठ रहेगी।
समसप्तक
ग्रहों का एक-दूसरे से सातवीं राशि में होना समसप्तक योग कहलाता है। मकर संक्रांति पर मकर राशि में सूर्य के साथ बुध व शुक्र है। इन तीनों ग्रहों से सातवीं राशि में गुरु है। इस प्रकार समसप्तक योग बन रहा है। मकर राशि में सूर्य, शुक्र और बुध का संयोग देश-दुनिया के लिए लाभकारी रहेगा। इस योग में बाजार से खरीदी करना भी शुभ है। इस योग के प्रभाव से तिलहन व अनाज के दाम में वृद्धि संभव है।
==इसलिए संक्रांति कभी 14, कभी 15 जनवरी को -----
पृथ्वी की गति प्रतिवर्ष पीछे और सूर्य का संक्रमण आगे बढ़ता है। इसके कारण संक्रांति कभी एक दिन आगे तो कभी पीछे आती है। हालांकि लीप ईयर में पृथ्वी और सूर्य दोनों वापस उसी स्थिति में जाते हैं।
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मकर संक्रान्ति का ऐतिहासिक महत्व
ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान भास्कर अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उसके घर जाते हैं। चूँकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं, अत: इस दिन को मकरसंक्रान्ति के नाम से जाना जाता है। महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिये मकर संक्रान्ति का ही चयन किया था। मकर संक्रान्ति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में जाकर मिली थीं
मकर संक्रान्ति हिन्दुओं का प्रमुख पर्व है। मकर संक्रान्ति पूरे भारत और नेपाल में किसी न किसी रूप में मनाया जाता है। पौष मास में जब सूर्य मकर राशि पर आता है तभी इस पर्व को मनाया जाता है। यह त्योहार जनवरी माह के चौदहवें या पन्द्रहवें दिन ही पड़ता है क्योंकि इसी दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है। मकर संक्रान्ति के दिन से ही सूर्य की उत्तरायण गति भी प्रारम्भ होती है। इसलिये इस पर्व को कहीं-कहीं उत्तरायणी भी कहते हैं। तमिलनाडु में इसे पोंगल नामक उत्सव के रूप में मनाते हैं जबकि कर्नाटक, केरल तथा आंध्र प्रदेश में इसे केवल संक्रांति ही कहते हैं।
शुभ संयोगों के साथ इस इस वर्ष 14 जनवरी की शाम 7.27 बजे से सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेगा तीन वर्ष के बाद मकर संक्रांति इस बार 15 जनवरीको है -स्नान, दान-पुण्य के लिए भी 15 जनवरी सर्वश्रेष्ठ
याद रहे - पृथ्वी की गति प्रतिवर्ष पीछे और सूर्य का संक्रमण आगे बढ़ता है। इसके कारण संक्रांति कभी एक दिन आगे तो कभी पीछे आती है.
पं.संजय जोशी
(बेटा पोता श्री महेश जी श्री गजानंद जी जोशी)
90,अमर नगर पाल रोड़ जोधपुर राजस्थान