गुरुवार, 2 अक्टूबर 2014

बन्ना री अंखियाँ

एक गाँव मे गाँव के ठाकुर साहब के
यहा शादी का कार्यक्रम चल
रहा था । तो हुकुम आप तो जानते ही हे
सा की हमारे (राजपूतो)
के
यहा शादी हो और पेक-सेक ना चले ये
तो हो ही नही सकता ।
तो सभी बडे-बडे राव साहब, ठाकुर साहब और
सभी बन्ना हुकुम
महफील का आनन्द ले रहे थे ।
संगीत चल रहा था । ओर गाने बजाने वाले
गीत गा रहे थे। एक
गाने
वाला गाने लगा "जब जब देखू बना री लाल
पीळी अखीयाँ मैँ
कोनी डरु
सा बलाई काडो अखीयाँऽऽऽऽ......"
तभी एक बना हुकुम को थोडी चढ
गयी वो ऊठे और गाने वाले
आदमी के पास जाकर उसके एक जोरदार थप्पड
जड दीया।
अब वो ठहरे वहा के जमाईसा अब उन्हे कोन कहने
वाला।
तभी वो बोले "थू नी डरे थू अबार
डरेलो"
और जाकर अपने स्थान पर बैठ गये।
तभी गाने वाले ने गाना शुरू किया,
"जब-जब देखू बना री लाल
पीळी अखीयाँ मैँ
घणो डरु सा थै
मती काडो अखीयाँ....,"
देखा बन्ना हुकुम का फटका एक ही बार मे
पूरा का पूरा गाना ही चेन्ज
कर दिया...

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