कठै गया बे गाँव आपणा
कठै गयी बे रीत ।
कठै गयी बा ,मिलनसारिता,
गयो जमानो बीत ।
दुःख दर्द की टेम घडी में
काम आपस मै आता ।
मिनख सूं मिनख जुड्या रहता,
जियां जनम जनम नाता ।
तीज -त्योंहार पर गाया जाता ,
कठै गया बे गीत ।
कठै गयी बा ,मिलनसारिता,
गयो जमानो बीत ।
गुवाड़- आंगन बैठ्या करता,
सुख-दुःख की बतियाता।
बैठ एक थाली में सगळा ,
बाँट-चुंट कर खाता ।
महफ़िल में मनवारां करता ,
कठै गया बे मीत ।
कठै गयी बा ,मिलनसारिता,
गयो जमानो बीत ।।
कम पीसो हो सुख ज्यादा हो,
उण जीवन रा सार मै।
छल -कपट,धोखाधड़ी,
कोनी होती व्यवहार मै।
परदेश में पाती लिखता ,
कठै गयी बा प्रीत ।
कठै गयी बा ,मिलनसारिता,
गयो जमानो बीत ।।
कठै गयी बे रीत ।
कठै गयी बा ,मिलनसारिता,
गयो जमानो बीत ।
दुःख दर्द की टेम घडी में
काम आपस मै आता ।
मिनख सूं मिनख जुड्या रहता,
जियां जनम जनम नाता ।
तीज -त्योंहार पर गाया जाता ,
कठै गया बे गीत ।
कठै गयी बा ,मिलनसारिता,
गयो जमानो बीत ।
गुवाड़- आंगन बैठ्या करता,
सुख-दुःख की बतियाता।
बैठ एक थाली में सगळा ,
बाँट-चुंट कर खाता ।
महफ़िल में मनवारां करता ,
कठै गया बे मीत ।
कठै गयी बा ,मिलनसारिता,
गयो जमानो बीत ।।
कम पीसो हो सुख ज्यादा हो,
उण जीवन रा सार मै।
छल -कपट,धोखाधड़ी,
कोनी होती व्यवहार मै।
परदेश में पाती लिखता ,
कठै गयी बा प्रीत ।
कठै गयी बा ,मिलनसारिता,
गयो जमानो बीत ।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें