म्हारो मरूधर देश : राजस्थानी कविता 30 मार्च राजस्थान दिवस के उपलक्ष्स पर
साथीयो 30 मार्च राजस्थान दिवस के उपलक्ष्स पर राजस्थान की आन बान और शान की गाथा को गाती ये कवीता
सीधा साधा मिनख मानवी,रंग रंगीलो देश.!!
घणो हढीलो ओ गर्वीलो म्हारो मरूधर देश..!!
मौढ बाजरा मक्को निपजे,कर बोर तरबुज..!!
मिल बाट के खावा मैं नही करा आपस में दुज...!!
झीणी-झीणी गुलाल जईया,रेत उडे आकाशा...!!
शुरा री जननी मरूधरा,बोले विरा री भाषा...!!
अढै भोली सुरत शुरा री,अढै चौडी छाती विरा री...!!
आ धरती भक्त मीरा री,आ मरूधरा राम सा पीरा री...!!
चेतक झोको अवतारो चालै-बिजली री चाल...!!
राणा प्रताप टुट पडीया बण दुश्मण रो काल...!!
हिम्मत नही दुश्मण री,जो देखे बुरी नजर सु....!!
चिर कालजो हाथ धरा, नामो निशाण मिटावा धरा सु....!!
आ जननी भामाशाहो री आ धरती पन्ना धाय री....!!
देश री रक्षा री खातीर बली चढावे जायो री....!!
मरूधरा री नारीया ममता री फुलवारीया...!!
अगर देश पर संकट आवे, तो ले निकल पडे तलवारीया...!!
आन बान और शान पर ऐ मर मीटी हैं नारीया....!!
पिया रण में खुब लडै,सींहणी करे जौहर री तैयारीया..!!!
नस-नस में फोलाद भरयो हैं,अंग-अंग मैं शक्ती...!!
जननी थारे काम आवा, थु दे अपार शक्ती....!!
आपस मैं खुब रेवा हेत सु,बोला प्रेम री भाषा....!!
बार-बार अढै जन्म लु,हैं म्हारे मन री आशा...!!
सीधा-साधा मिनख मानवी,रंग-रंगीलो वेश...!!
घणो हढीलो ओ गर्वीलो, म्हारो मरूधर देश.....!!!!
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