मंगलवार, 10 मई 2016

कोयल कूक सुहावणी : MARWADI KAVITA

कोयल कूक सुहावणी


कोयल कूक सुहावणी, 
मधुरा  बोले  बेण !
किणविध तू काली भई,
किण विध राता नैण
बागां बागां मैं फिरी,
मिल्यो न कोई सैण !
कूक कूक काली भई,
रो रो राता नैण
: बिल्ली

उरला बिल रा ऊन्दरा,
परला बिल जो जाय !
लाख टका दूं रोकड़ा,
बैठो बैठो ही खाय !!
                          चूहा

भांय थोडी़ भाड़ो घणो ,
झोखो ऊपर जाय !
बीच मिनीमासी झांपले,
लाखटका कुण खाय!!


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