एक बै एक ताऊ नै घर मै हैडपम्प लगा राख्या था ' अर एक पिलूरा पाल राख्या था !
उड़ै बहू/छोरी पाणी भरण आया करती!
एक बहू नई-नई आयी थी ' अर नई बहुवां नै नये-नये सूट बदलणे का शौक होवै सै !
ताऊ था असल नकल ठोकण आला !
जब भी वा बहू पाणी लेण आती ' ताऊ पिलूरे के बहाणे बहू पै नकल मारता...
रै पिलूरे आज तै जमा लाल होरया सै..
रै पिलूरे आज तै सारा ही लीला होरया सै
रै पिलूरे आज तै तू काला पड़रया सै
कई दिना मै बहू कै समझ मै आया अक यो बूढ़ा तो तनै कह सै..
अर उस नै आपणै खसम नै कह दी कि वो बूढ़ा न्यू न्यू नकल मार सै !
वो छोरा सुण कै बूढ़े धोरे आया अर बोल्या..
ताऊ तनै बहुवां कानी बात मारता शरम कोन्या आवै...थारी उमर रह री सै इण
बातां की !
ताऊ बोल्या :-
भाई ' मै तै इस पिलूरे नै कहया करता
अर जै बहू फरक मान गी तो टाल
कर दांग्या !
आगले दिन वा बहू फेर पाणी लेण आयी
ताऊ बोल्या :-
.
.
.
.
.
.
.
.
.
रै पिलूरे इसी-इसी बात के घरां बतावण
की होया करै...!!
झंडू बेचारे की मां मरगी ! उसका बापू कई साल पहल्या ही मर-ग्या था !
ईब झंडू कै घर मै कुल दो प्राणी रह गे
वो खुद अर उसकी बहू !
झंडू सारा दिन माड़ा सा मन बणा कै
बैठया रहता !
उणकै घरां एक कुत्ती आया करती !
एक दिन झंडू अपणी बहू तै बोल्या :-
देख भागवान न्यू कहया करै अक मरे पाछे आदमी की जूणी बदल ज्या सै
के बेरा मारी मां या कुत्ती बणगी हो
देख ' इकी खुब सेवा करया कर !
फेर झंडू की बहू उस कुत्ती की आच्छी सेवा करण लाग-गी !
उसनै रोटी खुवाती ' कदै लस्सी पिलाती !
एक दिन के होया के उस कुत्ती गेल्यां लाग कै एक कुत्ता भी घरां आ-ग्या !
झंडू की बहू घूंघट काढ़ कै घर का काम करण लाग री थी !
झंडू नै देख्या अक कोए बड़ा आदमी भी कोन्या दिखता अड़ै ..तै फिर या घूंघट किस तै काढ राखी सै..?
झंडू उसतै बोल्या :-
भागवान यो घूंघट किस तै काढ राखी सै..?
उसकी बहू बोली :-
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
देख बाहर ' तेरी मां गेल्या तेरा बापू
भी आ रहया सै...!!
रदलू दूसरे शहर मै काम करया करता !
साल भर पाछे वै गाम आया !
सांझ नै उसकी बहू भरतो बूझण लागी अक आज कुणसा साग बणाऊं..?
रदलू बोल्या :-
आलू एंड गोभी रांद ले !
इतणा कह कै बाहर गाम मै घूमण
निकल-ग्या !
भरतो सोच मै पड़-ग्यी...के घरां आलू भी सै अर गोभी भी सै...पर यो एंड
के होया !
भरतो अपणी पड़ोसण धोरे बूझण गई !
पड़ोसण नै भी कोनी बेरा था अक यो
एंड के हो सै !
उसने सोची अक ना बताई तो भरतो आगे बेजती हो ज्या-गी !
पड़ोसण बोली :-
एंड तो गोबर हो सै !
बस फेर के था ' भरतो नै घरां आ कै गोबर का छौंक लगा कै साग बणा दिया!
रोटी खाते टेम रदलू बोल्या :-
आज तो सब्जी चरचरी लाग री सै !
भरतो बोली :-
.
.
.
.
.
.
.
.
एंड किमै घणा पड़ग्या होगा...!!!
एक काला भसडं गाड्डे लुहार अर उसकी लुहारी बस मे सफर करै थे !
बस मै भीड़ थी ' वे दोन्यू न्यारे-न्यारे
बैठ-गे !
रास्ते मे कई टिकट चैकर बस मै चढ़ गे!
लुहारी नै एक टिकट चैकर को दोन्यू
टिकट दिखा दी !
टिकट चैकर बोल्या :-
दुसरी सवारी कुण सी सै ' उसकी शकल
दिखा !
लुहारी रूका मार कै बोली :-
.
.
.
.
.
.
.
.
.
ओ लुहार ' एक बै खड़ा होइये
तनै देखण आले आरे सै...!!
भाई ' एक बै चार मौलड़ घणी दारू पी कै ' रात कै बारह बजे पाच्छे बड़े गाम
मै आ कै !
सारे कती धुत हो रे थे !
एक घर धोरे आकै रूका मारण लाग गे..
रणबीर ' ओ रणबीर ' रणबीर रै !
रोला सुण कै छात पर तै एक लुगाई
बोल पड़ी...
क्यूं रोला करो सो ' अड़े कोन्या रणबीर
वो तो दुसरे गाम गया सै !
न्यू सुण कै उन मौलड़ म्हा तै
एक बोल्या :-
तू कुण सै फिर..?
वा बोली :-
मै रणबीर की बहू सूं और कुण सूं !
इतना सुणना था के उन म्हा तै
एक बोल्या :-
.
.
.
.
.
.
.
.
.
ठीक सै ' एक बै तलै आ-ज्या अर आपणे नै पिछाण ले-ज्या ..
हम भी जाके सोवां फिर..