शाम के बाद नेट चलाना हुआ मुश्किल ....
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क्योंकि घरवाले बोले " बंद कर थारा ठीकरा ने....... .फिड़कला
घणा आवै " ।।
शनिवार, 25 जुलाई 2015
फिड़कला घणा आवै
शुक्रवार, 24 जुलाई 2015
लिपटण दी चाह
एक पंजाबी महिला एक हरियाणवी की किराना दुकान पर चाय पत्ती खरीदने गई .
महिला - लिपटण दी चाह है?
हरियाणवी दुकानदार - मन्ने तो ना है....तन्ने है तो लिपट जा .
ले धौलिया
गुस्सा तो तब आता हे...
जब बारात की गाड़ी में सब से पहले सीट रोक कर बैठे...
और जब गाड़ी चलने लगे तब घर वाले बोले
ले धौलिया
फुफों जी ने बैठण दे,
तू खड़यो होज्या...lll
गुरुवार, 23 जुलाई 2015
दारू दुसमण देह री, नेह घटादे नैण।
दारू दुसमण देह री, नेह घटादे नैण।
इज्जत जावै आप री, लाजां मरसी सैण।१।
दारू तो अल़घी भली, मत पीवो म्हाराज।
कूंडो काया रो करै, घर मैं करै अकाज।२।
मद मत पीवो मानवी, मद सूं घटसी मान।
धन गंवास्यो गांठ रो, मिनखां मांही शान।३।
दारू री आ लत बुरी, कोडी करै बजार।
लाखीणै सै मिनख रा, टका कर दे च्यार।४।
दारू रा दरसण बुरा, माङी उणा री गत।
ज्यांरै मूँ दारू लगी, पङी जिणां नै लत।५।
ढ़ोला दारू छोङदे, नींतर मारू छोङ।
मद पीतां मरवण कठै, जासी काया छोङ।६।
मदछकिया छैला सुणो, देवो दारू छोङ।
नित भंजैला माजनू, जासी मूछ मरोङ।७।
दारू दाल़द दायनी, मत ना राखो सीर।
लाखीणी इज्जत मिटै, घर रो घटसी नीर।८।
दारू देवै दुःख घणा, घर रो देवै भेद।
धण रो हल़को हाथ ह्वै, रोक सकै ना बैद।९।
धण तो दुखियारी रहै, दुख पावै औलाद।
जिण रै घर दारू बसै, सुख सकै नहीं लाध।१०।
मिनख जूण दोरी मिलै, मत खो दारू पी'र।
धूल़ सटै क्यूं डांगरा, मती गमावै हीर।११।
दारू न्यूतै बण सजन, दोखी उणनै जाण।
दूर राखजे कर जतन, मत करजे सम्मान।१२।
दारू सुण दातार है, घणां कैवला लोग।
मत भुल़ ज्याई बावल़ा, मती लगाजे रोग।१३।
गाफल मत ना होयजे, मद पीके मतवाल।
लत लागी तो बावल़ा, राम नहीं रूखाल़।१४।
रैज्ये मद सूं आंतरो, सदां सदां सिरदार।
ओगणगारी मद बुरी, मत मानी मनवार।१५।
मद री मनवारां करै, नीं बो थारो सैण।
दूर भला इसङा सजन, मती मिलाज्यो नैण।१६।
जे सुख चावो जीव रो, दारू राखो दूर।
घर रा सै सोरा जिवै, आप जिवो भरपूर।१७।
गढ़'र कोट सै खायगी, दारू दिया डबोय।
अजै नहीं जे छोडस्यो, टाबर करमा रोय।१८।
दुख पावैली टाबरी, दे दे करमा हाथ।
परिवारां जे सुख चहै, छोङो दारू (रो) साथ।१९।
Premsinghkumpawatओ अरजी करै, मद नै जावो भूल।
मिनख जमारो भायला, कींकर करो फजूल।२०।
बिरखा बरसी सांतरी,
इंतजार चौमासा रो
बिरखा बरसी सांतरी,
मुरधर जागी आस ।
कोठा भरसी धान रा,
डांगर चरसी घास ।।
हाळी हळड़ा सांभिया,
साथै साम्भ्या बीज ।
खेतां ढाणी घालसी ,
स्यावड़ गई पसीज ।।
ऊंचै धोरै बाजरी,
ढळवोँ बीजूं ग्वार ।
बिच्च बिच्च तूंपूं टींढसी,
मतीरा मिश्रीदार ।।
ऊंचै धोरै टापरी,
साथै रैसी नार ।
दिनड़ै करां हळोतियो,
रातां बातां त्यार ।।
काचर काकड़ कीमती,
मतीरा मजेदार ।
मोठ मोवणा म्होबला,
धान धमाकैदार।।
आभै गाजी बादळी,
मुरधर नाच्या मोर ।
जीया जूण खिलखिली,
देख घटा घनघोर ।।
आभै चमकी बीजळी,
मनड़ै जाग्यो मोह ।
बादळ राजा बरससी,
मिटसी पिया बिछोह ।।
छमछम बरसै बादळी,
धम धम नाचै मोर ।
धरती माथै रूंखड़ा,
घालै घूमर जोर ।।
बादळ ऐड़ा ओसरया,
मुरधर करियो वास ।
धरती आली सांतरी,
करसां पूरी आस ।।
डेडर जीभां खोल दी,
भरिया देख तळाब ।
कोयल वाणी सांचरी,
मुरधर उमड़ी आब।।
Google search
किसी ने Google पर search किया.." जोधपुर " वालों को काबू मे कैसे करें."
Google का जवाब आया...
"औकात मे रहकर search करें.."
जोधपुर वालो से पंगा मत लेना...
क्योंकि,
जिन तूफानों में लोगो के झोपड़े उड़ जाते है,
उन तूफानों में तो जोधपुर वाले कपड़े सुखाते हैं |
मेट्रो तो जोधपुर में भी आ
जाती लेकिन...
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जोधपुर के लोगो ने मना कर दिया, ...
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...
...
कहते हैं
ऐसी ट्रेन किस काम की
जिसकी खिड़की खोल के रजनीगन्धा ना थूक
सके ।
" जय हो जोधपुर "
बुधवार, 22 जुलाई 2015
लेज्या रे बापकाणा
एक आदमी आप के सासरै गयो टाबराँ की माँ नै ल्याण नै !!
सासू बोली कै, कूँवरजी ऐक बार पाँच सात दिन घरां काम हैं जको थे पाँच सात दिना
बाद लेण नै आज्यायो !!
जवाईं:- मेरै के काम है तो !
थारो काम हूवै जणा भेज देया बितै दिन
मै अठै ही बैठ्यो हूँ !!
सासू बोली कै, थे ईता दिन अठै रहस्यो जणा लोग के कहसी ?
बूरा कोनी लागो ईता ईता दिन
सासरै मे बैठ्या ????
जवाईं :- सासूजी आ गैलाने छ: महीना
लगातार म्हारै घरे रह के आयी है जणा आ तो बूरी कोनी लागी ?
सासू बोली कै बेटा आ तो थानै परनायेङी है !
जवाईं:- तो मै के अठै रोपेङो हूँ ?
मै भी तो अठै परनायेङो ही हूँ !!!
सासु:- लेज्या रे बापकाणा !!!!
सावण सुंरगो आवियो, आया नीँ भरतार
सावण सुंरगो आवियो, आया नीँ भरतार ।
काया म्हारी दाझगै,कांईं चावै करतार ।।
आभै चमकी बीजळी, धरती बधगी आस ।
कळपै थारी कामणीँ, साजन आओ पास ।।
सावण बैरी सायबा, नित रो बरसै आय ।
घरां पधारो सायबा, जोबन बैरी खाय ।।
हिंडो मांडूं हेत सूं , गाऊं गीत पच्चास ।
सायब होवै साथ मेँ, हिंडो चढै अकास ।।
फोन लगाऊं सायबां, आवै कोनीँ टोन ।
सावण जावै हाथ सूं , ओन करो नीँ फोन ।।
सावण आयो सायबा, मत ना जाओ दूर ।
सेजां पोढो आयनै, छोडो सगळा टूर ।।
तनड़ो सारो भीजग्यो, मनड़ो गावै गीत ।
साजन भेळा नाचल्यो , बणगै मन रा मीत ।।
अंबर गाजै बादळी, मनड़ै नाचै मोर ।
साजन म्हारा आंतरा ,रत्ती न चालै जोर ।।
आभै देखूं बादळा , हिवड़ै उपजै नेह ।
साजन होवै साथ मेँ , भळ बरसो थे मेह ।।
चंदै लिपटी बादळी , आभै देखूं भाज ।
घरां पधारो सायबा , काया छोडूं आज ।।
नैणां बरसे सेज पर , आंगण बरसै मेह ।
होडा होडी झड लगी , उत सांवण इत नेह ।।
गोरी बैठी गोखडे,नैणा काजल काढ।
जल काजल रलमिलरिया,आयो मास असाढ
रोम रोम राजी हुवो,हस हस पुलकित हाड।
नस नस कूदे नाचती,आयो देख असाढ।
मंगलवार, 21 जुलाई 2015
सोमवार, 20 जुलाई 2015
मारवाङी गाँवा री हिँन्दी
मारवाङी गाँवा री
हिँन्दी
1. आँटी मुझे चाय मत
घालना
मेरे पास पहले ही घणी है
2. यार पता नहीँ कल
किसी
ने
मेरी टाट मेँ भाटा मार
दिया
3. आप सभी ऊभे क्यूँ हो
हेठा
बैठ जाओ
.
.4 मेने आपको बहुत सोदया पण आप लादया ही नही
5 जल्दी चलो मुझे मोड़ा हो रहा है
6 आप सीधा जाना एकदम नाक की डांडी पर फिर डावडा हाथ कण मुड़ के थोड़ा डोडा हो जाणा
7 मेरा बस्ता बिस्के मायन पड्या है
शनिवार, 18 जुलाई 2015
धापुडी द्वारा अपने मोट्यार को लिखा गया कागद
धापुडी द्वारा अपने मोट्यार को लिखा गया कागद: --
म्हार हिवडा का हार,
म्हारा सोलहा सिंगार,
म्हारी पप्पूडी का पापा…
थारी चौडी-चौडी राफा.!
हे प्राणनाथ जी,
गोपिया का नाथ जी,
म्हार रूप का दास जी,
त्रिलोकी का नाथ जी…
थाको कोजो घणों साथ जी…..!
हे म्हारी जलती ज्योत,
करवा चौथ,
धान का बोरा,
उन्डोडा औरा…
थाका एक दर्जन छोरी और छोरा..!
भोमिया का स्वामी,
म्हारी जामी सा थाकी,
सत्यानाशी,
कुल विनाशी,
कालिया की मासी,
चरणा की दासी,
थार प्राणा की प्यासी,
थाकी पाताल फोड लाडली,
धापुडी का पगा लागणा मानज्यों…
और हो सक तो आखा-तीज पर घरा पधारज्यों…।।
आगे समाचार एक बाचज्यों कि–
सुसरो जी न हिडकायों कुत्तों खायगों…
और चौथियों चौथी मैं चौथी बार फेल आयगों.!
सुसरो जी तो हिडक्या होर मरग्या…
पण मरता मरता सासू जी न हिडक्या करग्या…..!
सासू जी मरा मौत, कु-मौत, कुत्त की मौत और
सासू जी न मरता देख म्हारो भी मरणा सू मन फाटग्यों है…
जीतियों नाई काल स्वर्ग सिधारगों और
बीको तियो पंडत गरूड्यों करायग्यों है.।
गीतूडी के करमडा में है ना
जुआ पडगी है…
और सीतूडी क काना की एक बाली गमगी है…..!
थाकी काणती काकी काल
छाछ खातर घरा आर लडगी…
और म्हारी बडकी सेठानी
घीनाणी सु पानी ल्याती पडगी…..!
भुवाजी रोजीना ही गुन्द का लाडू खावै…
और नानूडा की लुगाई में
मंगलवार की मंगलवार पीतर जी आवै…।।
पपीयों,गीगो,लाल्यों और
राजिया की लुगाई चलती री,
पण थे तो जाणो ही हो
राम के आग किको बस चाल है…
और होणी न कुण टाल है…..!
हे म्हारा बारहा टाबरा का बाप…
थानै लागै शीतला माता को श्राप..!
थे आदमी हो या हरजाई…
थे मनै अठै ऐकली छोडगा थान शरम कोनी आई.!
थे आ पूरी पलटन म्हारै वास्तै छोडगा…
एक इंजन मैं बारह डब्बा जोडगा..।
इ बार सर्दी अणहोती पडे है,
ई वास्तै टाबर घणा रोव है…
दो चार दिना सु भूखा ही सोव है…!
थाकि माय न
अब भी थोडी घणी शरम बाकी होव तो
पाछा कदै ही मत आइज्यों…
पर पाँच हजार रूपिया हाथु हाथ भिजाज्यो...
शुक्रवार, 17 जुलाई 2015
ए हाथ मने देदे ठाकुर...
शोले मारवाडी.........
गब्बर;; ए हाथ मने देदे ठाकुर...
ठाकुर: कोनी देवुं मारी बाई हाका करे
सांभा : ओ झुठ बोले सरदार इकी बाई तो नोनोणे गीओड़ी है !