सावण सुंरगो आवियो, आया नीँ भरतार ।
काया म्हारी दाझगै,कांईं चावै करतार ।।
आभै चमकी बीजळी, धरती बधगी आस ।
कळपै थारी कामणीँ, साजन आओ पास ।।
सावण बैरी सायबा, नित रो बरसै आय ।
घरां पधारो सायबा, जोबन बैरी खाय ।।
हिंडो मांडूं हेत सूं , गाऊं गीत पच्चास ।
सायब होवै साथ मेँ, हिंडो चढै अकास ।।
फोन लगाऊं सायबां, आवै कोनीँ टोन ।
सावण जावै हाथ सूं , ओन करो नीँ फोन ।।
सावण आयो सायबा, मत ना जाओ दूर ।
सेजां पोढो आयनै, छोडो सगळा टूर ।।
तनड़ो सारो भीजग्यो, मनड़ो गावै गीत ।
साजन भेळा नाचल्यो , बणगै मन रा मीत ।।
अंबर गाजै बादळी, मनड़ै नाचै मोर ।
साजन म्हारा आंतरा ,रत्ती न चालै जोर ।।
आभै देखूं बादळा , हिवड़ै उपजै नेह ।
साजन होवै साथ मेँ , भळ बरसो थे मेह ।।
चंदै लिपटी बादळी , आभै देखूं भाज ।
घरां पधारो सायबा , काया छोडूं आज ।।
नैणां बरसे सेज पर , आंगण बरसै मेह ।
होडा होडी झड लगी , उत सांवण इत नेह ।।
गोरी बैठी गोखडे,नैणा काजल काढ।
जल काजल रलमिलरिया,आयो मास असाढ
रोम रोम राजी हुवो,हस हस पुलकित हाड।
नस नस कूदे नाचती,आयो देख असाढ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें