राजस्थानी कहावती दूहा
बा'रा कोसां बोली पळटै
बनफल पळटै पाका ।
सो कोसां तो साजन पळटै
लखण नीं पळटै लाखां ।।
बांण्या थारी बाण
कोई सक्यो नै जांण ।
पाणी पीवै छाण
अणछाण्यो लोही पीवै ।।
पंचकोसी प्यादो रैवै
दस कोसी असवार ।
कै तो नार कुभारजा
कै रांडोलो भरतार ।।
दूर जंवाई फूल बरोबर
गांव जंवाई आधो ।
घर जंवाई गधै बरोबर
चाये जियां लादो ।।
पुजारी री पागङी
ऊंटवाळ री जोय ।
मांदै री मोचङी
पङी पुराणी होय ।।
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