शुक्रवार, 31 जुलाई 2015

पोसावे कोन्नी


टीचर : (बच्चो से ) सभी लड़कियो को अपनी बहन समझो .

तभी पपुड़ो  :सर जी मै तो कोनि समझू .

टीचर : क्यो ?

पपुड़ो:सर अगर सभी को अपनी बहन समझूगा तो सर इतनी बहनो का मायरा कैसे भरूगा ???

पोसावे कोन्नी ।

मंगलवार, 28 जुलाई 2015

लिखता तो रोवै कलम, कठै गयो कलाम।

लिखता तो रोवै कलम, कठै गयो कलाम।
आखर संग कागद करै, आँसू भरया सलाम।।

नेह समेत करू नमन मानो मिसाइल मैन
शब्दा री श्रद्धांजलि टपकन लाग्या                      सीधो सरल सुभाव रो एहडो नर नह और
करूँ विदा कलाम जी छलकी नैना कौर
धरम जात सूं उपरे मानव मोटो एक
आज छोड़ चाल्यो अबे नर घणो ओ                    भारत माता भाल ने कियो ऊंचो कलाम
फेरु पाछो आवज्ये सादर करूँ सलाम

सोमवार, 27 जुलाई 2015

याद घणी आवे बिती री बाता

( हम मारवाड़ी हेँ )
"याद घणी आवे बिती री बाताँ,
गाँव रा गौना चरावता,
दडीयाँ रमता,
स्कूलोँ मेँ दाल बाटी खावता गेहूँ  लावता,
छोरियाँ ने बकरियाँ केर चीड़ावता,
टेक्टर री टोली लारे लमुटता,  खेल्डी रा खौखा खावता,
धोरिया  माथे गुड़ता,
मौरीया री पॉखा चुगता,
ढेंलडी़या लारे दौड़ता,
खैल्डे माथे हिंडो घालता,
धुड़ा रो घर बणाय रमता,
रौज माऊ कनू एक रूपियो लेर सकुल जावता,1
बोल्टी रा बौरिया खावता ,
फाटोड़ी चडीया पेरन सकूल जावता,
सकुल मे बाणीया रा छोरा ने कूटता,
छाने छाने बिड़ीया रा टुकड़ा पिवता,
गणाय कुपाव चुगूने जावता,
लुगाईयां रे डगळ री ठोकता,
फागण मे चंग बजांवता,
दीवाली ने टीकड़ीयां फोड़ता,"

(यह हमारे बचपन की मारवाड़ी यादें हैं हम ईनको कभी भूल नही सकते हैं)

शनिवार, 25 जुलाई 2015

फिड़कला घणा आवै

शाम के बाद नेट चलाना हुआ मुश्किल ....
.
.
क्योंकि घरवाले बोले " बंद कर थारा ठीकरा ने....... .फिड़कला
घणा आवै " ।।

शुक्रवार, 24 जुलाई 2015

लिपटण दी चाह

  एक पंजाबी महिला एक हरियाणवी की किराना दुकान पर चाय पत्ती खरीदने गई .
महिला - लिपटण दी चाह है?
हरियाणवी दुकानदार - मन्ने तो ना है....तन्ने है तो लिपट जा .

ले धौलिया

गुस्सा तो तब आता हे...

जब बारात की गाड़ी में सब से पहले सीट रोक कर बैठे...
और जब गाड़ी चलने लगे तब घर वाले बोले

ले धौलिया
फुफों जी ने बैठण दे,
तू खड़यो होज्या...lll

गुरुवार, 23 जुलाई 2015

दारू दुसमण देह री, नेह घटादे नैण।

दारू दुसमण देह री, नेह घटादे नैण।
इज्जत जावै आप री, लाजां मरसी सैण।१।

दारू तो अल़घी भली, मत पीवो म्हाराज।
कूंडो काया रो करै, घर मैं करै अकाज।२।

मद मत पीवो मानवी, मद सूं घटसी मान।
धन गंवास्यो गांठ रो, मिनखां मांही शान।३।

दारू री आ लत बुरी, कोडी करै बजार।
लाखीणै सै मिनख रा, टका कर दे च्यार।४।

दारू रा दरसण बुरा, माङी उणा री गत।
ज्यांरै मूँ दारू लगी, पङी जिणां नै लत।५।

ढ़ोला दारू छोङदे, नींतर मारू छोङ।
मद पीतां मरवण कठै, जासी काया छोङ।६।

मदछकिया छैला सुणो, देवो दारू छोङ।
नित भंजैला माजनू, जासी मूछ मरोङ।७।

दारू दाल़द दायनी, मत ना राखो सीर।
लाखीणी इज्जत मिटै, घर रो घटसी नीर।८।

दारू देवै दुःख घणा, घर रो देवै भेद।
धण रो हल़को हाथ ह्वै, रोक सकै ना बैद।९।

धण तो दुखियारी रहै, दुख पावै औलाद।
जिण रै घर दारू बसै, सुख सकै नहीं लाध।१०।

मिनख जूण दोरी मिलै, मत खो दारू पी'र।
धूल़ सटै क्यूं डांगरा, मती गमावै हीर।११।

दारू न्यूतै बण सजन, दोखी उणनै जाण।
दूर राखजे कर जतन, मत करजे सम्मान।१२।

दारू सुण दातार है, घणां कैवला लोग।
मत भुल़ ज्याई बावल़ा, मती लगाजे रोग।१३।

गाफल मत ना होयजे, मद पीके मतवाल।
लत लागी तो बावल़ा, राम नहीं रूखाल़।१४।

रैज्ये मद सूं आंतरो, सदां सदां सिरदार।
ओगणगारी मद बुरी, मत मानी मनवार।१५।

मद री मनवारां करै, नीं बो थारो सैण।
दूर भला इसङा सजन, मती मिलाज्यो नैण।१६।

जे सुख चावो जीव रो, दारू राखो दूर।
घर रा सै सोरा जिवै, आप जिवो भरपूर।१७।

गढ़'र कोट सै खायगी, दारू दिया डबोय।
अजै नहीं जे छोडस्यो, टाबर करमा रोय।१८।

दुख पावैली टाबरी, दे दे करमा हाथ।
परिवारां जे सुख चहै, छोङो दारू (रो) साथ।१९।

Premsinghkumpawatओ अरजी करै, मद नै जावो भूल।
मिनख जमारो भायला, कींकर करो फजूल।२०।

बिरखा बरसी सांतरी,

इंतजार चौमासा रो
बिरखा बरसी सांतरी,
मुरधर जागी आस ।
कोठा भरसी धान रा,
डांगर चरसी घास ।।
हाळी हळड़ा सांभिया,
साथै साम्भ्या बीज ।
खेतां ढाणी घालसी ,
स्यावड़ गई पसीज ।।
ऊंचै धोरै बाजरी,
ढळवोँ बीजूं ग्वार ।
बिच्च बिच्च तूंपूं टींढसी,
मतीरा मिश्रीदार ।।
ऊंचै धोरै टापरी,
साथै रैसी नार ।
दिनड़ै करां हळोतियो,
रातां बातां त्यार ।।
काचर काकड़ कीमती,
मतीरा मजेदार ।
मोठ मोवणा म्होबला,
धान धमाकैदार।।
आभै गाजी बादळी,
मुरधर नाच्या मोर ।
जीया जूण खिलखिली,
देख घटा घनघोर ।।
आभै चमकी बीजळी,
मनड़ै जाग्यो मोह ।
बादळ राजा बरससी,
मिटसी पिया बिछोह ।।
छमछम बरसै बादळी,
धम धम नाचै मोर ।
धरती माथै रूंखड़ा,
घालै घूमर जोर ।।
बादळ ऐड़ा ओसरया,
मुरधर करियो वास ।
धरती आली सांतरी,
करसां पूरी आस ।।
डेडर जीभां खोल दी,
भरिया देख तळाब ।
कोयल वाणी सांचरी,
मुरधर उमड़ी आब।।

Google search

किसी ने Google पर search किया.." जोधपुर  " वालों  को काबू मे कैसे करें."

Google का जवाब आया...
"औकात मे रहकर search करें.."

जोधपुर   वालो से पंगा मत लेना...

क्योंकि,

जिन तूफानों में लोगो के झोपड़े उड़ जाते है,
उन तूफानों में तो जोधपुर  वाले कपड़े सुखाते हैं |

मेट्रो तो जोधपुर  में भी आ
जाती लेकिन...
...
...
...
...
...
जोधपुर  के लोगो ने मना कर दिया, ...
...
...
...
कहते हैं
ऐसी ट्रेन किस काम की
जिसकी खिड़की खोल के रजनीगन्धा ना थूक
सके ।

"  जय हो जोधपुर  "

बुधवार, 22 जुलाई 2015

लेज्या रे बापकाणा

एक आदमी आप के सासरै गयो टाबराँ की माँ नै ल्याण नै !!

सासू बोली कै, कूँवरजी ऐक बार पाँच सात दिन घरां काम हैं जको थे पाँच सात दिना
बाद लेण नै आज्यायो !!

जवाईं:- मेरै के काम है तो !
थारो काम हूवै जणा भेज देया बितै दिन

मै अठै ही बैठ्यो हूँ !!

सासू बोली कै, थे ईता दिन अठै रहस्यो जणा लोग के कहसी ?

बूरा कोनी लागो ईता ईता दिन
सासरै मे बैठ्या ????

जवाईं :- सासूजी आ गैलाने छ: महीना
लगातार म्हारै घरे रह के आयी है जणा आ तो बूरी कोनी लागी ?

सासू बोली कै बेटा आ तो थानै परनायेङी है !

जवाईं:- तो मै के अठै रोपेङो हूँ ?

मै भी तो अठै परनायेङो ही हूँ !!!

सासु:- लेज्या रे बापकाणा !!!!

सावण सुंरगो आवियो, आया नीँ भरतार

सावण सुंरगो आवियो, आया नीँ भरतार ।
काया म्हारी दाझगै,कांईं चावै करतार ।।

आभै चमकी बीजळी, धरती बधगी आस ।
कळपै थारी कामणीँ, साजन आओ पास ।।

सावण बैरी सायबा, नित रो बरसै आय ।
घरां पधारो सायबा, जोबन बैरी खाय ।।

हिंडो मांडूं हेत सूं , गाऊं गीत पच्चास ।
सायब होवै साथ मेँ, हिंडो चढै अकास ।।

फोन लगाऊं सायबां, आवै कोनीँ टोन ।
सावण जावै हाथ सूं , ओन करो नीँ फोन ।।

सावण आयो सायबा, मत ना जाओ दूर ।
सेजां पोढो आयनै, छोडो सगळा टूर ।।

तनड़ो सारो भीजग्यो, मनड़ो गावै गीत ।
साजन भेळा नाचल्यो , बणगै मन रा मीत ।।

अंबर गाजै बादळी, मनड़ै नाचै मोर ।
साजन म्हारा आंतरा ,रत्ती न चालै जोर ।।

आभै देखूं बादळा , हिवड़ै उपजै नेह ।
साजन होवै साथ मेँ , भळ बरसो थे मेह ।।

चंदै लिपटी बादळी , आभै देखूं भाज ।
घरां पधारो सायबा , काया छोडूं आज ।।

नैणां बरसे सेज पर , आंगण बरसै मेह ।
होडा होडी झड लगी , उत सांवण इत नेह ।।

गोरी बैठी गोखडे,नैणा काजल काढ।
जल काजल रलमिलरिया,आयो मास असाढ

रोम रोम राजी हुवो,हस हस पुलकित हाड।
नस नस कूदे नाचती,आयो देख असाढ।

                                 

मंगलवार, 21 जुलाई 2015

छातिकुटो

मुम्बई स्कूल का टीचर राजस्थान के गांव के स्कूल में गया और बच्चों से पूछा problem का हिंदी अर्थ बताओ।
एक छात्र बोला "छातिकुटो"

हीङकिया


घंटो कि दुरीयाँ मिनटो में तय हो जाती

जब

हीङकिया कुत्ता लारे दौडता है..