रविवार, 16 अगस्त 2015

कैर

भासा अपनी प्रेमिका सु- तू कई बात करे गेली तू केवे तो आसमान सु तारा तोड़ ने लियाऊ
प्रेमिका:- तारा तोड़न रे पेली एक काम कर मारी माँ  अचार वास्ते 2 किलो कैर लिया है वे चुट दे।

शुक्रवार, 14 अगस्त 2015

कानिया मानिया कुर्रर्ररररररर

मारवाड़ीयो की आवाज की बुलंदी इतनी हँ
की
अगर वो एक बार कान मे

कानिया
मानिया
कुर्रर्ररररररर

बोल दे तो हवाई जहाज़ की आवाज को भी फैल कर दे

गुरुवार, 13 अगस्त 2015

महेंद्र सा नगर ने श्रद्धांजलि

महेंद्र सा नगर ने श्रद्धांजलि

नगर नगीनों नाथ क्यूँ तू म्हांसूं कोसियो
हे हरी थारे हाथ राखे चाही मेट दे

महेंद्र गढ़ मेहरान मान बढायो मोकळो
हुया सुण हैरान बेगो आंथ्यो भान अज

मालानी रो मालको मारवाड़ री आण
महेंद्र मोटो मानवी छोड़ चल्यो कमठाण

साहित जग सूनो हुयो हुई घण अज हाण
महेंद्र बिन सुनो हुयो देखो गढ़ मेहराण

संस्कृति रो सूरमो छायो देश विदेश
अनबेल्या ही चल दियो ठावी लागी ठेश

अवनी पे अंधियार ज्यूँ हो जावे भान बिन
देखु नजर पसार नगर बिन मेहराण हुयो

कुण राखे अब ध्यान मायड़ रो हे महेन्द्रा
जग में हुई पिछाण थारे बल मायड़ तणी

एक नर राजा मान दूजो नर महेन्द्रा
भगती री पहचान जग में कराई जोर की
राजावत श्रवण सी

जिवंता है

दो लूगाई आपस मै बात कर रही थी 

एक जनी बोली डावङी मारा पती दैवता है।

दूसरी बोली डावङी थारा भाग जोरका है
म्हारा पती तो हाल ही जिवंता है

ई बातां मिनख भूलै कोनी...

बातां राजस्थान री।

ई बातां मिनख भूलै कोनी...
आ समझ ल्यो कै , बै बातां ऊँट गै डाम हाळी सी हुवै।
,
मेरो नयो नयो ब्याव हुयो हो ।
दिसंबर के महीना में ! कोई दस दिन बाद मळ लाग ग्या ! दो जनवरी नै मेरी सासु मनै तार भेज्यो ...

अब मैं तो पढ़यो लिख्यो आदमी
तारबांच्यो !! बो तार मेरी सासु भेज्यो हो !"कै कंवर साब मळ् शरू हुग्या थे शनिवार नै आ ज्यायो तेल बाळ स्यां ....गुलगुला बड़ा खा लेया

"मै दूसरे ही दिन एक देसाई बीड़ी गो मंडळ ,एक मर्फी हालो रेडियो लेगे सासरै पुग ग्यो !

बठै मनै तातो पाणी झलायो । मनै थोड़ो रौब झाड़नो हो ,
मैं बोल्यो -"तातो पाणी तो लुगाई पताई पीवै अर का फेर कमजोर मोट्यार .... मैं तो कोरै मटकै को पाणी पीऊँ
"सगळा वाह वाह करी कै जंवाई तो जबर मोट्यार है ।मनै कोरो किंकर सो पाणी झला दियो और में एक सांस में लौटो खाली कर दियो ।

मेरै गळै स्यूं लेगे किडनी फ़ेफ़डा ताईं सपीड उपड़यो ..
.जाणै कणी लट्ठ घसो दियो है....पण में सहन कर ग्यो।

आथण मेरी सासु गुलगुला बड़ा बणाया ...मैं खूब गुल गुला बड़ा खाया और ठंडो पाणी ओज्यु पियो!
फेर थोड़ी देर तक बीड़ी पी और आल इंडिया रेडियो पर ठुमरी दादरी सुणी ।रात नै दस बजे मेरी सासु रजाई और सोड़ीयो झलायो।

मैं पाछो रौब झाड़ दियो -"ना माँजी रीजाई पाछी ले ज्यावो ... मनै तो इस्यो पाळो सुवावै।"मेरी सासु रीजाई पाछी लेके उठगी ।

में भगवान् नै हाथ जोड़के और एक आनंदकर गोळती लेकर सो ग्यो ।

रात नै बारा बजे मेरा हाड कांपण लाग ग्या ....में घणी कोशीश करी, पण दांत कांट किलारी हाळै ज्यूँ कूट कूट कूट कूट करण लॉग ग्या ।

मेरो सब्र जवाब दे ग्यो ... कै आज मोट्यार कल्डो हुगै मरसी ...इयां तो गंडक ही को मरै ।में उठ्यो और रीजाई ल्याण खातर दूसरै कमरै में बड़ग्यो !

गळती स्यूं रसोई में घुस ग्यो ..इनै बीनै हाथ मारया जणा एक लौटे क ठोकर लागगी ।लौटियो गुड ग्यो और मेरी सासु जाग गी ।

मैं शर्मीज ग्यो और पाछो जा क मांचलियै पर पड़ग्यो .. मेरी सासु सोच्यो कै कंवर साब नै प्यास लागी है। बा एक सेर ळो ताँबे को लोटो भरयो और मेरै कनै आ क बोली --ल्यो

अंधेरो हो ... मैं सोच्यो कै सासु माँ रीजाई ल्याई है । मैं बोल्यो ,- ऊपर गेर दयो ।

सासु माँ ठंडो पाणी मेरै ऊपर गेर दियो और जा क सो गी ।
अब भाईडो में कई देर तो फाटेङो किन्नौ (पतंग) करै ज्यूँ थर्रर्रर ...थर्रर्र करयो ....फेर कलडो हुग्यो ..

.तीरकबाण हाळै ज्यूँ ।दिनगै समूचा मेरै कनै भेळा हुग्या । मेरो शरीर तो लट्ठ भर को कलडो हु राख्यो ।

कोई की उपाय बतावै कोई कीउपाय बतावै ।

फेर मेरी साळी बोली कै ...आपणो पाडियो कलडो हुयो जणा आपाँ बिंगे डाम दियो ...

जीजोजी गै भी डाम दयो , नई तो बाई नै धोळो ओढ़णो पड़सी ।

मेरी साळी रसोई में गई और चिंपियो तातो कर क ल्याई

मनै उल्टो करगे और मगरां में रीढ़ हाळी हाडी पर तातो चिंपियो चेप दियो ।

मेरी सर्दी तो जांती रहई पण बो डाम गो मंडाण आज भी है ।
खम्मा घणी सा®

बुधवार, 12 अगस्त 2015

भाईचारो मरतो दीखे, पईसां (रूपया )लारे गेला होग्या।

भाईचारो मरतो दीखे,
पईसां (रूपया )लारे गेला
होग्या।

घर सुं भाग गुरुजी बणग्या,
चोर उचक्का चेला होग्या,

चंदो खार कार में घुमे,
भगत मोकळा भेळा होग्या।

कम्प्यूटर को आयो जमानो,
पढ़ लिख ढ़ोलीघोड़ा होग्या,

पढ़ी-लिखी लुगायां(औरते) ल्याया
काम करण रा फोङा होग्या ।

घर-घर गाड़ी-घोड़ा होग्या,
जेब-जेब मोबाईल होग्या।

छोरयां(लङकियो) तो हूंती आई पण
आज पराया छोरा होग्या,

राल्यां (बिस्तर)तो उघड़बा लागी,
न्यारा-न्यारा डोरा होग्या।

इतिहासां में गयो घूंघटो,
पोडर (POWDER)पुतिया मूंडा होग्या,

झरोखां री जाल्यां टूटी,
म्हेल(किला) पुराणां टूंढ़ा(पुराना मकान) होग्या।

भारी-भारी बस्ता होग्या,
टाबर टींगर हळका होग्या,

मोठ बाजरी ने कुण पूछे,
पतळा-पतळा फलका होग्या।

रूंख (पेङ) भाडकर ठूंठ लेयग्या
जंगळ सब मैदान होयग्या,

नाडी नदियां री छाती पर
बंगला आलीशान होयग्या।

मायड़भाषा ने भूल गया,
अंगरेजी का दास होयग्या,

टांग कका की आवे कोनी
ऐमे बी.ए. पास होयग्या।

सत संगत व्यापार होयग्यो,
बिकाऊ भगवान होयग्या,

भगवा भेष ब्याज रो धंधो,
धरम बेच धनवान होयग्या।

ओल्ड बोल्ड मां बाप होयग्या,
सासु सुसरा चौखा होग्या,

सेवा रा सपनां देख्या पण
आंख खुली तो धोखा होग्या।

बिना मूँछ रा मरद होयग्या,
लुगायां रा राज होयग्या,

दूध बेचकर दारू ल्यावे,
बरबादी रा साज होयग्या।

तीजे दिन तलाक होयग्यों,
लाडो लाडी न्यारा होग्या,

कांकण डोरां खुलियां पेली
परण्या बींद कंवारा होग्या।

बिना रूत रा बेंगण होग्या,
सियाळा में आम्बा होग्या,

इंजेक्शन सूं गोळ तरबूज
फूल-फूल कर लम्बा हो गया

दिवलो करे उजास जगत में
खुद रे तळे अंधेरा होग्या।

मन मरजी रा भाव होयग्या,
पंसेरी रा पाव होयग्या,

महंगाई री मार जीणां दोरा
आज होयग्या।

मंगलवार, 11 अगस्त 2015

एक- एक और लै लो.

ऐडमिन साहब अपनी ससुराल जाने खातीर तैयार हौ रया था
तो माँ बौली.. उठे टाबरा खातर हरा फल ले जाऐ

ऐडमिन.. एक किलो हरी मिर्च लेगो
ससुराल पहुंच तै ही टाबर चिपटगा.....

मिर्च लेकर एक एक बटका भरया तो सब रौवन लागया

अपना ऐडमिन बोलयो.. ससुरो रोवो
कयू हो! एक- एक और लै लो..

सबु पेली

राकेश : पापा मे जीवन मे आगे बढने के लिये क्या करू ?

पापा : भाटो ले और सबु पेली अणि मोबाईल ने परो फोड।

पियोडा हि रेवे .........

हद हो गई बन्ना लोगों,,,,एक ladki ने हमे देख कर अपनी सहेली से
कहा कि देख इनकी आखें कितनी नशीली हैं तो वा डाकण
बोली अरे थने ध्यान कोनी गैली ए बन्ना सा है आको दिन
पियोडा हि रेवे ................

वीरता रो पर्यायवाची

राजस्थान री एक स्कूल में एक शिक्षक एक
छात्र सुं वीरता रो पर्यायवाची पुछयो
छात्र लिखणो शुरू करयो,
आन लिखयो, अर बान लिखयो,
पन्ना रो बलिदान लिखयो..
चेतक री टापां लिख डाली,
जौहर रो गुणगान लिखयो..
भामाशाह रो दान लिखयो,
मीरा रो विषपान लिखयो..
और अंतिम पन्ना पर काट्यो सब,
और "सगळा शिक्षक राजस्थान"
लिखयो.....

रण पीरा रो पीर है

रण पीरा रो पीर है
रणसी गांव रो नाम
रण बंका राठोड झुंझे
भूत बावडी रो काम
पाणी हो पाताळ गयो
टूटो नेह और मान
भांत जाक रा मिनख बसिया
नही उण री पहचान
रण पीरा रो थान अठे
वैभव गणो अपार
खेती पाती नौकरी
और भटटा पर भौपार
सुंदर री है विणती
नैणा मे नेह लगाय
रणसी रे मान पर
जनम सफळ हौ जाय

जग मे गणो उजास

सार संभाल सबरी करे
नेह गणो अपार
अनयाय जद होवण लागे
संबाडिया रे आान पर करले  आर पार
चंपावत जाट रेबारी समरध गणा नाईक भांबी करे होड
धरम नगरी संबाडिया मे 
सबरी है ठौर
सुंदर करै विणती
दादू रो परकाश
सतराम मे धयान गणो
जग मे गणो उजास

सोमवार, 10 अगस्त 2015

मोटो काटो

क्या आपको वो समय याद है
जब मम्मी पापा आपको घडी में टाइम देखने के लिए बोलते थे.....
और आप दौड़ते हुए वापस आते थे और बोलते थे
"मोटो काटो 8 पे है और छोटो काटो 5 पे है "