महेंद्र सा नगर ने श्रद्धांजलि
नगर नगीनों नाथ क्यूँ तू म्हांसूं कोसियो
हे हरी थारे हाथ राखे चाही मेट दे
महेंद्र गढ़ मेहरान मान बढायो मोकळो
हुया सुण हैरान बेगो आंथ्यो भान अज
मालानी रो मालको मारवाड़ री आण
महेंद्र मोटो मानवी छोड़ चल्यो कमठाण
साहित जग सूनो हुयो हुई घण अज हाण
महेंद्र बिन सुनो हुयो देखो गढ़ मेहराण
संस्कृति रो सूरमो छायो देश विदेश
अनबेल्या ही चल दियो ठावी लागी ठेश
अवनी पे अंधियार ज्यूँ हो जावे भान बिन
देखु नजर पसार नगर बिन मेहराण हुयो
कुण राखे अब ध्यान मायड़ रो हे महेन्द्रा
जग में हुई पिछाण थारे बल मायड़ तणी
एक नर राजा मान दूजो नर महेन्द्रा
भगती री पहचान जग में कराई जोर की
राजावत श्रवण सी
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