लड़की: मैं तुम्हारे प्यार में लुट गई,
बर्बाद हो गई, बदनाम हो गई।
लड़का: तो डाकण मैं थारा प्यार म kisso कलक्टर बण ग्यो।
लड़की: मैं तुम्हारे प्यार में लुट गई,
बर्बाद हो गई, बदनाम हो गई।
लड़का: तो डाकण मैं थारा प्यार म kisso कलक्टर बण ग्यो।
राजस्थान की लड़की को अंग्रेजी सीखने का जुनून चढ़ गया। एक बार जब वह ऑटो में बैठी तो बोली- ओ माई गाॅड, अतरी माटी!
ऑटो से उतर कर वह बाजार में जूती लेने लगी तो दुकानदार से बोली- ब्रदर जूती आगे से तो ओके है पण पीछै सूं बटको भरै है।
फिर गोलगप्पे खाने लगी तो गोलगप्पे वाले को बोली- ब्रदर तेरे गोलगप्पे तो नाइस हैं, पण वाटर में थोड़ा लूण कमती है।
नमस्कार को टाटा खाया,नूडल को आटा!! अंग्रेजी के चक्कर मेंहुआ बडा ही घाटा !!!! बोलो धत्त तेरे की !! माताजी को मम्मी खा गयीपिता को खाया डैड!! दादाजी को ग्रैंडपा खा गये,सोचो कितना बैड !!!! बोलो धत्त तेरे की !!गुरुकुल को स्कूल खा गया,गुरु को खाया चेला!! सरस्वती की प्रतिमा परउल्लू मारे ढेला !!!!बोलो धत्त तेरे की !!चौपालों को बियर बार खा गया,रिश्तों को खाया टी.वी.!! देख सीरियल लगा लिपिस्टिकबक-बक करती बीबी !!!! बोलो धत्त तेरे की !!रस्गुल्ले को केक खा गयाऔर दूध पी गया अंडा!! दातून को टूथपेस्ट खा गया,छाछ पी गया ठंढा !!!! बोलो धत्त तेरे की !!परंपरा को कल्चर खा गया,हिंदी को अंग्रेजी!! दूध-दही के बदलेचाय पी कर बने हम लेजी !!!!बोलो धत्त तेरे की||
राजस्थानी छोरी अपने बॉयफ्रेंड से...
छोरी: आज तो मने मेक्ड़ोनल्स लेजा....
छोरो: ले जाऊं पण पेली बिकी
स्पेलिंग बोल के बता..
छोरी: ( दो मिनट सोचणे के बाद) वा रेणदे इयान कर "के.एफ.सी " में ले चाल...
छोरो: ले जाऊं पण पेली बिको फुलफोम बता..
छोरी: रेण दे र मंगता
चाल समोसो खुवा दे..
भासा अपनी प्रेमिका सु- तू कई बात करे गेली तू केवे तो आसमान सु तारा तोड़ ने लियाऊ
प्रेमिका:- तारा तोड़न रे पेली एक काम कर मारी माँ अचार वास्ते 2 किलो कैर लिया है वे चुट दे।
मारवाड़ीयो की आवाज की बुलंदी इतनी हँ
की
अगर वो एक बार कान मे
कानिया
मानिया
कुर्रर्ररररररर
बोल दे तो हवाई जहाज़ की आवाज को भी फैल कर दे
महेंद्र सा नगर ने श्रद्धांजलि
नगर नगीनों नाथ क्यूँ तू म्हांसूं कोसियो
हे हरी थारे हाथ राखे चाही मेट दे
महेंद्र गढ़ मेहरान मान बढायो मोकळो
हुया सुण हैरान बेगो आंथ्यो भान अज
मालानी रो मालको मारवाड़ री आण
महेंद्र मोटो मानवी छोड़ चल्यो कमठाण
साहित जग सूनो हुयो हुई घण अज हाण
महेंद्र बिन सुनो हुयो देखो गढ़ मेहराण
संस्कृति रो सूरमो छायो देश विदेश
अनबेल्या ही चल दियो ठावी लागी ठेश
अवनी पे अंधियार ज्यूँ हो जावे भान बिन
देखु नजर पसार नगर बिन मेहराण हुयो
कुण राखे अब ध्यान मायड़ रो हे महेन्द्रा
जग में हुई पिछाण थारे बल मायड़ तणी
एक नर राजा मान दूजो नर महेन्द्रा
भगती री पहचान जग में कराई जोर की
राजावत श्रवण सी
दो लूगाई आपस मै बात कर रही थी
एक जनी बोली डावङी मारा पती दैवता है।
दूसरी बोली डावङी थारा भाग जोरका है
म्हारा पती तो हाल ही जिवंता है
बातां राजस्थान री।
ई बातां मिनख भूलै कोनी...
आ समझ ल्यो कै , बै बातां ऊँट गै डाम हाळी सी हुवै।
,
मेरो नयो नयो ब्याव हुयो हो ।
दिसंबर के महीना में ! कोई दस दिन बाद मळ लाग ग्या ! दो जनवरी नै मेरी सासु मनै तार भेज्यो ...
अब मैं तो पढ़यो लिख्यो आदमी
तारबांच्यो !! बो तार मेरी सासु भेज्यो हो !"कै कंवर साब मळ् शरू हुग्या थे शनिवार नै आ ज्यायो तेल बाळ स्यां ....गुलगुला बड़ा खा लेया
"मै दूसरे ही दिन एक देसाई बीड़ी गो मंडळ ,एक मर्फी हालो रेडियो लेगे सासरै पुग ग्यो !
बठै मनै तातो पाणी झलायो । मनै थोड़ो रौब झाड़नो हो ,
मैं बोल्यो -"तातो पाणी तो लुगाई पताई पीवै अर का फेर कमजोर मोट्यार .... मैं तो कोरै मटकै को पाणी पीऊँ
"सगळा वाह वाह करी कै जंवाई तो जबर मोट्यार है ।मनै कोरो किंकर सो पाणी झला दियो और में एक सांस में लौटो खाली कर दियो ।
मेरै गळै स्यूं लेगे किडनी फ़ेफ़डा ताईं सपीड उपड़यो ..
.जाणै कणी लट्ठ घसो दियो है....पण में सहन कर ग्यो।
आथण मेरी सासु गुलगुला बड़ा बणाया ...मैं खूब गुल गुला बड़ा खाया और ठंडो पाणी ओज्यु पियो!
फेर थोड़ी देर तक बीड़ी पी और आल इंडिया रेडियो पर ठुमरी दादरी सुणी ।रात नै दस बजे मेरी सासु रजाई और सोड़ीयो झलायो।
मैं पाछो रौब झाड़ दियो -"ना माँजी रीजाई पाछी ले ज्यावो ... मनै तो इस्यो पाळो सुवावै।"मेरी सासु रीजाई पाछी लेके उठगी ।
में भगवान् नै हाथ जोड़के और एक आनंदकर गोळती लेकर सो ग्यो ।
रात नै बारा बजे मेरा हाड कांपण लाग ग्या ....में घणी कोशीश करी, पण दांत कांट किलारी हाळै ज्यूँ कूट कूट कूट कूट करण लॉग ग्या ।
मेरो सब्र जवाब दे ग्यो ... कै आज मोट्यार कल्डो हुगै मरसी ...इयां तो गंडक ही को मरै ।में उठ्यो और रीजाई ल्याण खातर दूसरै कमरै में बड़ग्यो !
गळती स्यूं रसोई में घुस ग्यो ..इनै बीनै हाथ मारया जणा एक लौटे क ठोकर लागगी ।लौटियो गुड ग्यो और मेरी सासु जाग गी ।
मैं शर्मीज ग्यो और पाछो जा क मांचलियै पर पड़ग्यो .. मेरी सासु सोच्यो कै कंवर साब नै प्यास लागी है। बा एक सेर ळो ताँबे को लोटो भरयो और मेरै कनै आ क बोली --ल्यो
अंधेरो हो ... मैं सोच्यो कै सासु माँ रीजाई ल्याई है । मैं बोल्यो ,- ऊपर गेर दयो ।
सासु माँ ठंडो पाणी मेरै ऊपर गेर दियो और जा क सो गी ।
अब भाईडो में कई देर तो फाटेङो किन्नौ (पतंग) करै ज्यूँ थर्रर्रर ...थर्रर्र करयो ....फेर कलडो हुग्यो ..
.तीरकबाण हाळै ज्यूँ ।दिनगै समूचा मेरै कनै भेळा हुग्या । मेरो शरीर तो लट्ठ भर को कलडो हु राख्यो ।
कोई की उपाय बतावै कोई कीउपाय बतावै ।
फेर मेरी साळी बोली कै ...आपणो पाडियो कलडो हुयो जणा आपाँ बिंगे डाम दियो ...
जीजोजी गै भी डाम दयो , नई तो बाई नै धोळो ओढ़णो पड़सी ।
मेरी साळी रसोई में गई और चिंपियो तातो कर क ल्याई
मनै उल्टो करगे और मगरां में रीढ़ हाळी हाडी पर तातो चिंपियो चेप दियो ।
मेरी सर्दी तो जांती रहई पण बो डाम गो मंडाण आज भी है ।
खम्मा घणी सा®
भाईचारो मरतो दीखे,
पईसां (रूपया )लारे गेला
होग्या।
घर सुं भाग गुरुजी बणग्या,
चोर उचक्का चेला होग्या,
चंदो खार कार में घुमे,
भगत मोकळा भेळा होग्या।
कम्प्यूटर को आयो जमानो,
पढ़ लिख ढ़ोलीघोड़ा होग्या,
पढ़ी-लिखी लुगायां(औरते) ल्याया
काम करण रा फोङा होग्या ।
घर-घर गाड़ी-घोड़ा होग्या,
जेब-जेब मोबाईल होग्या।
छोरयां(लङकियो) तो हूंती आई पण
आज पराया छोरा होग्या,
राल्यां (बिस्तर)तो उघड़बा लागी,
न्यारा-न्यारा डोरा होग्या।
इतिहासां में गयो घूंघटो,
पोडर (POWDER)पुतिया मूंडा होग्या,
झरोखां री जाल्यां टूटी,
म्हेल(किला) पुराणां टूंढ़ा(पुराना मकान) होग्या।
भारी-भारी बस्ता होग्या,
टाबर टींगर हळका होग्या,
मोठ बाजरी ने कुण पूछे,
पतळा-पतळा फलका होग्या।
रूंख (पेङ) भाडकर ठूंठ लेयग्या
जंगळ सब मैदान होयग्या,
नाडी नदियां री छाती पर
बंगला आलीशान होयग्या।
मायड़भाषा ने भूल गया,
अंगरेजी का दास होयग्या,
टांग कका की आवे कोनी
ऐमे बी.ए. पास होयग्या।
सत संगत व्यापार होयग्यो,
बिकाऊ भगवान होयग्या,
भगवा भेष ब्याज रो धंधो,
धरम बेच धनवान होयग्या।
ओल्ड बोल्ड मां बाप होयग्या,
सासु सुसरा चौखा होग्या,
सेवा रा सपनां देख्या पण
आंख खुली तो धोखा होग्या।
बिना मूँछ रा मरद होयग्या,
लुगायां रा राज होयग्या,
दूध बेचकर दारू ल्यावे,
बरबादी रा साज होयग्या।
तीजे दिन तलाक होयग्यों,
लाडो लाडी न्यारा होग्या,
कांकण डोरां खुलियां पेली
परण्या बींद कंवारा होग्या।
बिना रूत रा बेंगण होग्या,
सियाळा में आम्बा होग्या,
इंजेक्शन सूं गोळ तरबूज
फूल-फूल कर लम्बा हो गया
दिवलो करे उजास जगत में
खुद रे तळे अंधेरा होग्या।
मन मरजी रा भाव होयग्या,
पंसेरी रा पाव होयग्या,
महंगाई री मार जीणां दोरा
आज होयग्या।
ऐडमिन साहब अपनी ससुराल जाने खातीर तैयार हौ रया था
तो माँ बौली.. उठे टाबरा खातर हरा फल ले जाऐ
ऐडमिन.. एक किलो हरी मिर्च लेगो
ससुराल पहुंच तै ही टाबर चिपटगा.....
मिर्च लेकर एक एक बटका भरया तो सब रौवन लागया
अपना ऐडमिन बोलयो.. ससुरो रोवो
कयू हो! एक- एक और लै लो..
राकेश : पापा मे जीवन मे आगे बढने के लिये क्या करू ?
पापा : भाटो ले और सबु पेली अणि मोबाईल ने परो फोड।
हद हो गई बन्ना लोगों,,,,एक ladki ने हमे देख कर अपनी सहेली से
कहा कि देख इनकी आखें कितनी नशीली हैं तो वा डाकण
बोली अरे थने ध्यान कोनी गैली ए बन्ना सा है आको दिन
पियोडा हि रेवे ................