गाय है गाय...माहरी छोरी
छुरे चलने लगते है
खुन खोलने लगता है
दिमाग घुमने लगता है.
जब शादी के इत्ते साल बाद भी ससुराल वाले कहते है.
" गाय है गाय...माहरी छोरी"
www. myrajasthani.blogspot.in
गाय है गाय...माहरी छोरी
छुरे चलने लगते है
खुन खोलने लगता है
दिमाग घुमने लगता है.
जब शादी के इत्ते साल बाद भी ससुराल वाले कहते है.
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आ दातल्ली केडी : मारवाड़ी कविता
आ दातल्ली केडी,
रजको वाडे जेडी
ओ रजको केडो,
भैंयो ने नोके जेडो
ऐ भैंयो केडी,
दुध दे जेडी
ओ दुध केडो,
दही वणे जेडो
ओ दही केडो,
मोखण वणे जेडो
ओ मोखण केडो,
घी वणे जेडो
ओ घी केडो,
बाटियो सोपडे जेडो
ऐ बाटियो केडी,
पोमणा जिमे जेडी
ऐ पोमणा केडा,
चुल्हा में नोके जेडा
मारवाड़ी कविता
आ दातल्ली केडी,
रजको वाडे जेडी
ओ रजको केडो,
भैंयो ने नोके जेडो
ऐ भैंयो केडी,
दुध दे जेडी
ओ दुध केडो,
दही वणे जेडो
ओ दही केडो,
मोखण वणे जेडो
ओ मोखण केडो,
घी वणे जेडो
ओ घी केडो,
बाटियो सोपडे जेडो
ऐ बाटियो केडी,
पोमणा जिमे जेडी
ऐ पोमणा केडा,
चुल्हा में नोके जेडा
एक बार जोधपुर में भूकंप आया । मीडिया वाले जालप मौहल्ले गए एक जोधपुर के भासा री हथाई टूट गई
मीडिया - भूकम्प के समय आपको कैसा लग रहा था।
भासा - मानो कोई थप्पड़ मार रहा हो।
मीडिया - ज़रा खुल के समझाइये..
** भासा दियो एक उलटे हाथ रो फोडिन्द **
सन्नाटा ..
कैमरामैन राजीव के साथ दीपक चौरसिया आजतक
कंचन वरणी कामणी चढ चौबारैे चाप
मतो करे कूदो मनां परा कटैला पाप
परा कटेला पाप जीवां मु्कत हो जासी
आसी ईसर आप जीव बैकुंठ ले जासी
आतम रूप अधार परमातम पहचाण व्है
सिरै न जीवण सार विरथा ही बरबाद व्है
कुंडलिया छंद
मनमौजी इक सोडषी, मन मैं करत विचार।
नेह बिना नह निभत है, बिरथ सकल संसार।।
बिरथ सकल संसार, जगत पिव बिन सब सूनो,
नेह नवल संसार में, शेंषही सब जूनो।।
पिव बिन जगत असार, धरम पौथी सब खौजी।
जीवन अब बेकार, मरण तत्पर मनमौजी ।।
फ़ानी दुनिया ये , हैं अरमान भी अधूरे
बेगाने हो गए वे , जो अपने थे पूरे
तो ! क्यों जीऊं, और किसके लिए बताओ !
टूटने को साज सांसों का, सुर हुए बेसुरे ।।
मायूस अंदाज में छत पर बैठी सुंदरी की मनोदशा कुछ यूं हो सकती है हुकम ।
लिख्यो न जावे लाड़की थारे ऊपर आज
मरने खातर मोकळी चढ़ी जायने छाज
चढ़ी जायने छाज प्राण रो मोह घनेरो
आंख्या दिसे आज रूप सरदार बने रो
कुदू तो टूट जाय बचे न कोई हाड़की
मन में रही घबराय चढ़ी छत लाड़की
एक पावणा पेली बार सासरे गिया।
वोने बोलने री घनी आदत ही।
और उरी सासु भी गजब बोलाकड़ी ही।
बातों करते करते शाम तक सासु तो थक गई।
तो बोली
सासु__पावणा सासरे आयोड़ा हो सासरे में घणो नहीं बोलनो चईजे।
पावणा__ तो थे सासुमा कई नानाने आयोडा हो कई?
Confidence. पांच जाटों को एक बाइक पर देखकर ट्रैफिक पुलिस ने रुकने का इशारा किया ।
एक जाट चलती बाइक से बोला :- बावला हो गया के तू कित बैठेगा भाई?