शनिवार, 16 मई 2015

माथो फोड़ देणो

किसी ने मुझसे पूछा तू किसी से डरता क्यों नही हे आखिर तेरे पीछे किसका हाथ है तो मेने भी बड़े प्यार से कहा मेरे पीछे मेरे परिवार का हाथ है जो कहते है
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भाटो लेर आगला कौ माथो फोड़ देणो पर मार खार नही आणो ।।।

शोले मारवाडी.........

शोले मारवाडी.........

गब्बर;;       ए हाथ मने देदे ठाकुर...

ठाकुर:         कोनी देवुं मारी बाई हाका करे

सांभा :   ओ झुठ बोले सरदार इकी बाई तो नोनोणे गीओड़ी  है !

राजपूतों में प्राचीन परम्पराएँ

1) अगर आप के पिता जी /दादोसा बिराज रहे है तो कोई भी शादी ,फंक्शन, मंदिर इतिआदि में आप के कभी भी लम्बा तिलक और चावल नहीं लगेगा, सिर्फ एक छोटी टीकी लगेगी !

2) पहले के वक़्त वक़्त राजपूत समाज में अमल का उपयोग इस लिए ज्यादा होता था क्योकि अमल खाने से खून मोटा हो जाता था, जिस से लड़ाई की समय मेंहदी घाव लगने पर खून कार रिसाव नहीं के बराबर होता था, और मल-मूत्र रुक जाता था जयमल मेड़तिया ने अकबर से लड़ाई के पूर्व सभी राजपूत सिरदारो को अमल पान करवाया ने

3) पहले कोई भी राजपूत बिना पगड़ी के घोड़े पर नही बैठते थे

4) सौराष्ट्र (काठियावाड़) और कच्छ में आज भी गिरासदार राजपूत घराने में अगर बेटे की शादी हो तो बारात नहीं जाती, उसकी जगह लड़केवालों की तरफ से घर के वडील (फुवासा, बनेविसा, मामासा) एक तलवार के साथ 3 या 5 की संख्या में लड़की के घर जाते हे जिसे "वेळ” या ‘खांडू" कहते है. लड़कीवाले उस तलवार के साथ विधि करके बेटीको विदा करते है. मंगल फेरे लड़के के घर लिए जाते है.

5) आज भी कही घरो में तलवार को मयान से निकालने नहीं देते, क्योकि तलवार को परंपरा है की अगर वो मयान से बाहर आई तो यहाँ तो उनके खून लगेगा, यहाँ लोहे पर बजेगी, इसलिए आज भी कभी अगर तलवार मयान से निकलते भी है तो उसको लोहे पर बजा कर ही फिर से मयान में डालते है !

6) राजपूत परम्परा के मुताबिक पिता का पहना हुआ साफा , आप नहीं पहन सकते

7) पैर में कड़ा-लंगर, हाथी पर तोरण, नांगारा निशान, ठिकाने का मोनो ये सब जागीरी का हिस्सा थे, हर कोई जागीरदार नहीं कर सकता था, स्टेट की तरफ से इनायत होते थे..!!

8) पहले सारे बड़े ताजमी ठिकानो में ठिकानेदारों को विवाह से पूर्व स्टेट महाराजा से अनुमति लेनी पढ़ती थी

9) हर राज दरबार के, ठिकाने के, यहाँ गोत्र उप्प गोत्र के इष्ट देवता होते थे, जो की ज्यादतर कृष्ण या विष्णु के अनेक रूप में से होते थे, और उनके नाम से ही गाँववाले या नाते-रिश्तेदार दुसरो को पुकारते है करते थे, जैसे की जय रघुनाथ जी की , जय चारभुजाजी की

10) मल गोलना, चिलम, हुक्का यहाँ दारू की मनवार, मकसद होता था, भाई,बंधू, भाईपे,रिश्तेदार को एक जाजम पर लाना !!मनवार का अनादर नहीं करना चाहिए, अगर आप नहीं भी पीते है तो भी मनवार के हाथ लगाके या हाथ में ले कर सर पर लगाके वापस दे दे, पीना जरुरी नहीं है , पर ना -नुकुर कर उसका अनादर न करे

11) जब सिर पर साफा बंधा होता है तोह तिलक करते समय पीछे हाथ नही रखा जाता

12) दुल्हे की बन्दोली में घोडा या हाथी हो सकता है पर तोरण पर नहीं, क्योकि घोडा भी नर है, और वो भी आप के साथ तोरण लगा रहा होता है, इस्सलिये हमेशा तोरण पर घोड़ी या हथनी होती है !!

13) एक ठिकाने का एक ही ठाकुर,राव,रावत हो सकता था, जो गद्दी पर बैठा है, बाकि के भाई,काका ये टाइटल तभी लगा सकते थे जब की उनको ठिकाने की तरफ से अलग से जागीरी मिली हो,और वो उस के जागीरदार हो, अगर वो उसी ठिकाने /राज में रह रहे हो, तो उनके लिए "महाराज" का टाइटल होता था!

14) आज भी त्योहारों पर ढोल बजने के नट,नगरसी या ढोली आते है उन्हें बैठने के लिए उचित आसान (जाजम) दिए जाते है उनके ढोल में देवी का वास होता है और ऐसे आदर के लिए किया जाता है

15) राजपूत जनाना में राजपूत महिलाये नाच गान के बाद ढोली जी और ढोलन की तरफ जुक कर प्रणाम करती है

16) नजराने के भी अलग अलग नियम थे, अगर आप छोटे ठिकानेदार हो तो महाराजा साब या महाराणा साब आप के हाथ से उठा लेते थे, पर अगर आप उमराव या सिरायती ठिकानेदार हो तो महाराजा साब या महाराणा साब आप का हाथ अपने हाथ पर उल्टा करके, अपना हाथ नीचे रख कर नजराना लेते थे !!

17) कोर्ट में अगर आप छोटे ठिकानेदार हो तो महाराजा साब या महाराणा साब आप के आने पर खड़े नहीं होते थे, पर अगर आप उमराव या सिरायती ठिकानेदार हो तो महाराजा साब या महाराणा साब आप के आने और आप के जाने पर दोनों वक्त उनको खड़ा होना पड़ता है'

18) सिर्फ राठोरो के पास "कमध्वज" का टाइटल है, इसका मतलब है, सर काटने के बाद भी लड़ने वाला !

19) राजपूतो में ठाकुर पदवी के इस्तेमाल के बारे में में कुछ बाते :यदि आपके दादोसा हुकम बिराज रहे है तो वो ही ठाकुर पदवी का प्रयोग कर सकते है, आपके दाता हुकम कुंवर का और आप भंवर का प्रयोग कर्रेंगे और आपके बना (चौथी पीढ़ी) के लिए तंवर का प्रयोग होगा.

20) एक ठिकाने में तीन से चार पाकसाला (रसोई) हो सकती थी, ठाकुरसाब, ठुकरानी के लिए विशेष पाकसाला होती थी, एक पाकसाला मरदाना में होती थी, जिस में मास इतीआदि बनते थे, जनाना में सात्विक भोजन की पाकसाला होती थी, विद्वाओ के लिए अलग भोजन बनता था, ठिकाने के कर्मचारी नौकरों के लिए अलग से पाकशाला होती थी, एक पाकशाला मेहमानों के लिए होती थी,

गुरुवार, 14 मई 2015

Rajasthan खास क्यों हैं...???

Rajasthan खास क्यों हैं...???
जैसा हिंदी फिल्मों में
दिखाया जाता है..मेरा rajasthan
वैसा नहीं...!

हिंदी सिनेमा जगत में
rajasthan
को माफिया लोगो का अड्डा गुंडा राज
दिखा कर... rajasthan
की ऐसी छवि लोगों ने
बना दिया..!!

जैसे rajasthan में लड़की रोड पर
नहीं निकल सकती...एक शरीफ
इन्सान...
यहाँ नहीं रह सकता...!!

rajasthani हर बात में
गाली का इस्तेमाल
करता हैं...!??
लेकिन सच तो सच है....???

1. हमारे राज्य में बलात्कार के
मामले 1/10 है दिल्ली के
मुकाबले...
जबकि आबादी दिल्ली से कई
गुनी अधिक...!!

2. दंगो में जितने लोग गुजरात
में मारे गए हैं उसके 1/15
भी rajasthan
में नहीं..!!
3. murder Rate 1/2 है
मुंबई से... कही कम ही..!!

4. हमें बेबकूफ
समझा जाता है...तो दोस्त
हमारा rajasthan अकेले इतने
IAS देश को
देता है जितना केरला, आन्ध्र-
प्रदेश, तमिलनाडु और गुजरात
मिलकर भी नहीं दे पातें...!!

5. PO सबसे ज्यादा rajasthan से
है...!!
6. IIT में अकेले rajasthani इतने हैं
की महाराष्ट्र और गुजरात
मिलाने से
भी बराबरी नहीं कर सकते.

7. rajasthan अकेला ऐसा राज्य
है जहाँ किसान आत्म-
हत्या नहीं करतें
न ही कर्ज तले दबे हैं...!!

8. आज भी rajasthan में सबसे
ज्यादा संयुक्त परिवार है...!!

9. हम एक रिक्शा चलाने
वालों को भी आप कह कर
बुलाते हैं...!!

" मैं rajasthani हूँ " और rajasthan से
ज्यादा महफूज अपने आप के
कहीं नहीं पाता... हमारे
लोगों ने
कभी किसी राज्य के
लोगों का विरोध
नहीं किया... किसी सम्प्रदाय
को दबाया नहीं....
यहाँ संस्कार बसतें है...!!.
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मुझे नाज है मैं rajasthan से हूँ
rajasthan मेरे रगों में
बसता है...!!!

नरम पुडी

बहुत ज़लील था वो दिन भी,
उधर मेरी मोहब्ब्त रुखसत हो रही थी...

इधर लोग मुझसे कह रहे थे...
ए छोरा एक नरम पुडी मेल दे

मंगलवार, 12 मई 2015

दाँत ही कोणी

अर्ज किया है........
सेठ लायो सेठानी, सेठानी बड़ी सोणी।

वाह वाह...

सेठ लायो सेठानी, सेठानी बड़ी सोणी,

वाह वाह...

घूंघट उठाने देखियौ तो दाँत ही कोणी।।।

सोमवार, 11 मई 2015

माँ का दिन

एक गांव रो छोरा टी वी मे मदर डे देख ने होचीयो मे भी माँसा ने मदर डे री बधाई दु
         डोकरी खुश हो जायला छोरो माँसा ने जा बोलियों हेप्पी मदर डे

माँसा -ओ काई वे

वो बोलियो आज माँ का दिन है

माँसा -भन्डलाव गिया आगो मर थारी माँ तो जिवती बैटी है दिन किकर होयो रे कपूत ?

अपनी संस्कृति अपना मान भारत देश महान  ...

रविवार, 10 मई 2015

राजपूत पर निबंध  Essay on Rajputs

राजपूत पर निबंध 
यह एक अजीब प्राणी है ,
यह भारत की भुमि पर पाये जाते है,
नवरात्रि के दिनो मे यह भारी संख्या मे दिखायी देते है,
दारु, बकरा मीट इनका पोषटीक आहार है,
इन्हें सिर्फ राज करना आता है
जन्म लेने के 18 साल तक कुँवर सा है और 18 साल के बाद बन्ना बनकर भयंकर रुप धारण कर लेते है
..रात 10 बजे के बाद इनके निकट नही जाना चाहिये क्योंकि यह हानिकारक सिद्ध हो सकता है
यह बडे होकर तलवार, बन्दुके, गोलियाँ चलाने का काम करते है
...""जब देखु बन्ना थोरी लाल पीली आँखिया"" यह गाना सुनकर यह कही भी नाचना शुरु कर देते है
सुर्य अस्त होते ही बन्ना मस्त हो जाते है
दुसरो की लडाई मे इन्हें पडने का बहुत शौक है
"जय राजपूताना" का नारा तो इनके मुँह पर ही रहता है
जीप लेकर रात को खरगोश का शिकार करने यह अक्सर जाया करते है कभी कभी खरगोश नही मिलता है तो तितर से भी कामचला लेते है
भारत के सभी ठेके इनकी वजह से चलते है
भारत सरकार इनको चाहती नही है फिर भी इन्होंने नाक मे दम कर रखा है
आजकल दुसरी जाति के लोग इनकी तरह बनने की कोशिश करते रहते है
यह महिलाओ को हमेशा सम्मान देते है उनकी रक्षा करने के लिए कही भी झगड़ा मोल ले लेते है
इनकी जीप मे तलवार, बन्दुके और Blendrs prided और Signature की बोतले हमेशा रहती है
काॅलेज मे क्लास मे इनकी सीट सबसे लास्ट वाली होती है
"हुकम" शब्द से यह अपने से बडो को सम्मान देते है
इन्हें आर्मी मे जाना पसंद है,
इनका प्यार 1st And Last होता है बाईसा से
यह कभी किसी के सामने झुकते नही है चाहे किसी भी समस्या आ जाये
और ये सुनते सबकी है लेकिन करते अपने मन की है
यह दोस्तो के लिए जान भी दे सकते है और दुश्मनो की जान तक ले सकते है..
Banna.......jai mata ji ri Sa

क्लास टेस्ट 2015

क्लास टेस्ट 2015
विधार्थी नाम - फिरकणी
विषय - हिंदी
प्रशन - कुत्ते का पर्यायवाची
उत्तर - गण्डक
प्रशन - शिक्षा किसे कहते हे?
उत्तर - एक फेड के नीचे ढेर सारा छोरा छोरी ने मारसाब पढावे उने शिक्षा केवे ।
प्रशन - भेस का पर्यायवाची
उत्तर - ढान्डी , पाडी
प्रशन - पर्यावरण किसे कहते हे
उत्तर - जब भी में हमारे आंगने में से उप्पर देखती हु मुझे धोला-धोला दीखता हे उसे ही पर्यावरण कहते हे
प्रशन - पशुपालन किसे कहते है
उत्तर - हमारे घर में 4 गाये हे हम उसके पोठे साफ करते है
गोबर के छाने थेप्ते हे इसे ही पशुपालन कहते है ।
प्रशन- खाना बनाते समय किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर - चुल्हे पर खाना बनाते समय बलिता हिसाब से देना चाहिय , रोटी बलने लगे तो  अन्गीरे बाहर निकाल लेने चाहिए खाटे को हिलाते रहना चाहिए
ताकि वह बले नही आदि ।

शनिवार, 9 मई 2015

Dingal literature on Maharana pratap

अकबर समंद अथाह , तिहँ डूबा हिन्दू -तुरक।मेवाड़ी तिण माँह ,पोयण फूल प्रतापसी।।

वीरसिरोमणि महाराणा प्रताप कि प्रसंसा में         महाकवि दुरसाजी आढ़ा द्धारा रचित दोहावली
अकबर पत्थर अनेक,कै भूपत भेळा किया। हाथ न लागो हेक, पारस राण प्रतापसी।।
अकबरियै इक बार,दागळ की सारी दुनी।अणदागळ असवार, रहियौ राण प्रतापसी।।
अकबर गरब न आण,  हिन्दू सह चाकर हुआ।दीठौ कोय दीवाण,करतो लटका कटहड़े।।
अस लेगौ अण दाग, पाग लेगौ अण नामी।गौ आड़ा गवड़ाय, जिको बहतौ धुर वामी।।
लोपै हिंदू लाज,सगपण रोपै तुरक सूं। आरज-कुळ री आज,पूँजी राण प्रतापसी।।
सुख-हित सियाळ समाज,हिंदू अकबर-वस् हुआ।रोसिलौ भृगराज,पजै न राण प्रतापसी।।

परताप रो परताप

परताप रो परताप

प्रण पालण परताप पण ,आडवल अडि़यौह !
कुल कीरत राखण कठण,ले भालो लड़ियौह !!

अबखी बेळा आवियौ ,आडौ 'ज आडावळ !
पातळ पत पण राखियौ ,हियौ 'ज हिमाचळ !!

कायर किन्नर किम करै ,हिन्दुवा थारी हौड़ !
मळेछ  तो देख्या मरै, मूछां तणी मरोड़ !!

जस चावौ जबरांण जद ,आभै सूं अड़ियौह !
मन भरियौ महारांण मद , भट्ट विकट्ट भिड़ियौह !!

चेतक थारी चाकरी ,अब पूगी असमाण !
सांमखोरी साँतरी ,मन मँडी महाराण !!

माटी इण मेवाड़ री ,खास गुणां री खांण !
निबळा नर निपजै नहीं ऐकलिंग री आंण !!
( रतनसिहं चाँपावत रणसीगाँव )

Poem on Maharana pratap of Mewar

अरे घास री रोटी ही जद बन बिलावड़ो ले भाग्यो। नान्हो सो अमरयो चीख पड्यो राणा रो सोयो दुख जाग्यो। हूं लड्यो घणो हूं सह्यो घणो मेवाड़ी मान बचावण नै, हूं पाछ नहीं राखी रण में बैर्यां री खात खिडावण में, जद याद करूँ हळदीघाटी नैणां में रगत उतर आवै, सुख दुख रो साथी चेतकड़ो सूती सी हूक जगा ज्यावै, पण आज बिलखतो देखूं हूँ जद राज कंवर नै रोटी नै, तो क्षात्र-धरम नै भूलूं हूँ भूलूं हिंदवाणी चोटी नै मैं’लां में छप्पन भोग जका मनवार बिनां करता कोनी, सोनै री थाल्यां नीलम रै बाजोट बिनां धरता कोनी, अै हाय जका करता पगल्या फूलां री कंवळी सेजां पर, बै आज रुळै भूखा तिसिया हिंदवाणै सूरज रा टाबर, आ सोच हुई दो टूक तड़क राणा री भीम बजर छाती, आंख्यां में आंसू भर बोल्या मैं लिखस्यूं अकबर नै पाती, पण लिखूं कियां जद देखै है आडावळ ऊंचो हियो लियां, चितौड़ खड्यो है मगरां में विकराळ भूत सी लियां छियां, मैं झुकूं कियां ? है आण मनैं कुळ रा केसरिया बानां री, मैं बुझूं कियां ? हूं सेस लपट आजादी रै परवानां री, पण फेर अमर री सुण बुसक्यां राणा रो हिवड़ो भर आयो, मैं मानूं हूँ दिल्लीस तनैं समराट् सनेशो कैवायो। राणा रो कागद बांच हुयो अकबर रो’ सपनूं सो सांचो, पण नैण कर्यो बिसवास नहीं जद बांच नै फिर बांच्यो, कै आज हिंमाळो पिघळ बह्यो कै आज हुयो सूरज सीतळ, कै आज सेस रो सिर डोल्यो आ सोच हुयो समराट् विकळ, बस दूत इसारो पा भाज्यो पीथळ नै तुरत बुलावण नै, किरणां रो पीथळ आ पूग्यो ओ सांचो भरम मिटावण नै, बीं वीर बांकुड़ै पीथळ नै रजपूती गौरव भारी हो, बो क्षात्र धरम रो नेमी हो राणा रो प्रेम पुजारी हो, बैर्यां रै मन रो कांटो हो बीकाणूँ पूत खरारो हो, राठौड़ रणां में रातो हो बस सागी तेज दुधारो हो, आ बात पातस्या जाणै हो घावां पर लूण लगावण नै, पीथळ नै तुरत बुलायो हो राणा री हार बंचावण नै, म्है बाँध लियो है पीथळ सुण पिंजरै में जंगळी शेर पकड़, ओ दे�

शुक्रवार, 8 मई 2015

तावङो घणो

हम तो निकले थे तलाशे ऐ इश्क में
अपनी तनहाईयों से लड़ कर

मगर
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तावङो घणो थो तो गन्ना रो रस पिर पाछा आग्या ......