रविवार, 10 मई 2015

राजपूत पर निबंध  Essay on Rajputs

राजपूत पर निबंध 
यह एक अजीब प्राणी है ,
यह भारत की भुमि पर पाये जाते है,
नवरात्रि के दिनो मे यह भारी संख्या मे दिखायी देते है,
दारु, बकरा मीट इनका पोषटीक आहार है,
इन्हें सिर्फ राज करना आता है
जन्म लेने के 18 साल तक कुँवर सा है और 18 साल के बाद बन्ना बनकर भयंकर रुप धारण कर लेते है
..रात 10 बजे के बाद इनके निकट नही जाना चाहिये क्योंकि यह हानिकारक सिद्ध हो सकता है
यह बडे होकर तलवार, बन्दुके, गोलियाँ चलाने का काम करते है
...""जब देखु बन्ना थोरी लाल पीली आँखिया"" यह गाना सुनकर यह कही भी नाचना शुरु कर देते है
सुर्य अस्त होते ही बन्ना मस्त हो जाते है
दुसरो की लडाई मे इन्हें पडने का बहुत शौक है
"जय राजपूताना" का नारा तो इनके मुँह पर ही रहता है
जीप लेकर रात को खरगोश का शिकार करने यह अक्सर जाया करते है कभी कभी खरगोश नही मिलता है तो तितर से भी कामचला लेते है
भारत के सभी ठेके इनकी वजह से चलते है
भारत सरकार इनको चाहती नही है फिर भी इन्होंने नाक मे दम कर रखा है
आजकल दुसरी जाति के लोग इनकी तरह बनने की कोशिश करते रहते है
यह महिलाओ को हमेशा सम्मान देते है उनकी रक्षा करने के लिए कही भी झगड़ा मोल ले लेते है
इनकी जीप मे तलवार, बन्दुके और Blendrs prided और Signature की बोतले हमेशा रहती है
काॅलेज मे क्लास मे इनकी सीट सबसे लास्ट वाली होती है
"हुकम" शब्द से यह अपने से बडो को सम्मान देते है
इन्हें आर्मी मे जाना पसंद है,
इनका प्यार 1st And Last होता है बाईसा से
यह कभी किसी के सामने झुकते नही है चाहे किसी भी समस्या आ जाये
और ये सुनते सबकी है लेकिन करते अपने मन की है
यह दोस्तो के लिए जान भी दे सकते है और दुश्मनो की जान तक ले सकते है..
Banna.......jai mata ji ri Sa

क्लास टेस्ट 2015

क्लास टेस्ट 2015
विधार्थी नाम - फिरकणी
विषय - हिंदी
प्रशन - कुत्ते का पर्यायवाची
उत्तर - गण्डक
प्रशन - शिक्षा किसे कहते हे?
उत्तर - एक फेड के नीचे ढेर सारा छोरा छोरी ने मारसाब पढावे उने शिक्षा केवे ।
प्रशन - भेस का पर्यायवाची
उत्तर - ढान्डी , पाडी
प्रशन - पर्यावरण किसे कहते हे
उत्तर - जब भी में हमारे आंगने में से उप्पर देखती हु मुझे धोला-धोला दीखता हे उसे ही पर्यावरण कहते हे
प्रशन - पशुपालन किसे कहते है
उत्तर - हमारे घर में 4 गाये हे हम उसके पोठे साफ करते है
गोबर के छाने थेप्ते हे इसे ही पशुपालन कहते है ।
प्रशन- खाना बनाते समय किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर - चुल्हे पर खाना बनाते समय बलिता हिसाब से देना चाहिय , रोटी बलने लगे तो  अन्गीरे बाहर निकाल लेने चाहिए खाटे को हिलाते रहना चाहिए
ताकि वह बले नही आदि ।

शनिवार, 9 मई 2015

Dingal literature on Maharana pratap

अकबर समंद अथाह , तिहँ डूबा हिन्दू -तुरक।मेवाड़ी तिण माँह ,पोयण फूल प्रतापसी।।

वीरसिरोमणि महाराणा प्रताप कि प्रसंसा में         महाकवि दुरसाजी आढ़ा द्धारा रचित दोहावली
अकबर पत्थर अनेक,कै भूपत भेळा किया। हाथ न लागो हेक, पारस राण प्रतापसी।।
अकबरियै इक बार,दागळ की सारी दुनी।अणदागळ असवार, रहियौ राण प्रतापसी।।
अकबर गरब न आण,  हिन्दू सह चाकर हुआ।दीठौ कोय दीवाण,करतो लटका कटहड़े।।
अस लेगौ अण दाग, पाग लेगौ अण नामी।गौ आड़ा गवड़ाय, जिको बहतौ धुर वामी।।
लोपै हिंदू लाज,सगपण रोपै तुरक सूं। आरज-कुळ री आज,पूँजी राण प्रतापसी।।
सुख-हित सियाळ समाज,हिंदू अकबर-वस् हुआ।रोसिलौ भृगराज,पजै न राण प्रतापसी।।

परताप रो परताप

परताप रो परताप

प्रण पालण परताप पण ,आडवल अडि़यौह !
कुल कीरत राखण कठण,ले भालो लड़ियौह !!

अबखी बेळा आवियौ ,आडौ 'ज आडावळ !
पातळ पत पण राखियौ ,हियौ 'ज हिमाचळ !!

कायर किन्नर किम करै ,हिन्दुवा थारी हौड़ !
मळेछ  तो देख्या मरै, मूछां तणी मरोड़ !!

जस चावौ जबरांण जद ,आभै सूं अड़ियौह !
मन भरियौ महारांण मद , भट्ट विकट्ट भिड़ियौह !!

चेतक थारी चाकरी ,अब पूगी असमाण !
सांमखोरी साँतरी ,मन मँडी महाराण !!

माटी इण मेवाड़ री ,खास गुणां री खांण !
निबळा नर निपजै नहीं ऐकलिंग री आंण !!
( रतनसिहं चाँपावत रणसीगाँव )

Poem on Maharana pratap of Mewar

अरे घास री रोटी ही जद बन बिलावड़ो ले भाग्यो। नान्हो सो अमरयो चीख पड्यो राणा रो सोयो दुख जाग्यो। हूं लड्यो घणो हूं सह्यो घणो मेवाड़ी मान बचावण नै, हूं पाछ नहीं राखी रण में बैर्यां री खात खिडावण में, जद याद करूँ हळदीघाटी नैणां में रगत उतर आवै, सुख दुख रो साथी चेतकड़ो सूती सी हूक जगा ज्यावै, पण आज बिलखतो देखूं हूँ जद राज कंवर नै रोटी नै, तो क्षात्र-धरम नै भूलूं हूँ भूलूं हिंदवाणी चोटी नै मैं’लां में छप्पन भोग जका मनवार बिनां करता कोनी, सोनै री थाल्यां नीलम रै बाजोट बिनां धरता कोनी, अै हाय जका करता पगल्या फूलां री कंवळी सेजां पर, बै आज रुळै भूखा तिसिया हिंदवाणै सूरज रा टाबर, आ सोच हुई दो टूक तड़क राणा री भीम बजर छाती, आंख्यां में आंसू भर बोल्या मैं लिखस्यूं अकबर नै पाती, पण लिखूं कियां जद देखै है आडावळ ऊंचो हियो लियां, चितौड़ खड्यो है मगरां में विकराळ भूत सी लियां छियां, मैं झुकूं कियां ? है आण मनैं कुळ रा केसरिया बानां री, मैं बुझूं कियां ? हूं सेस लपट आजादी रै परवानां री, पण फेर अमर री सुण बुसक्यां राणा रो हिवड़ो भर आयो, मैं मानूं हूँ दिल्लीस तनैं समराट् सनेशो कैवायो। राणा रो कागद बांच हुयो अकबर रो’ सपनूं सो सांचो, पण नैण कर्यो बिसवास नहीं जद बांच नै फिर बांच्यो, कै आज हिंमाळो पिघळ बह्यो कै आज हुयो सूरज सीतळ, कै आज सेस रो सिर डोल्यो आ सोच हुयो समराट् विकळ, बस दूत इसारो पा भाज्यो पीथळ नै तुरत बुलावण नै, किरणां रो पीथळ आ पूग्यो ओ सांचो भरम मिटावण नै, बीं वीर बांकुड़ै पीथळ नै रजपूती गौरव भारी हो, बो क्षात्र धरम रो नेमी हो राणा रो प्रेम पुजारी हो, बैर्यां रै मन रो कांटो हो बीकाणूँ पूत खरारो हो, राठौड़ रणां में रातो हो बस सागी तेज दुधारो हो, आ बात पातस्या जाणै हो घावां पर लूण लगावण नै, पीथळ नै तुरत बुलायो हो राणा री हार बंचावण नै, म्है बाँध लियो है पीथळ सुण पिंजरै में जंगळी शेर पकड़, ओ दे�

शुक्रवार, 8 मई 2015

तावङो घणो

हम तो निकले थे तलाशे ऐ इश्क में
अपनी तनहाईयों से लड़ कर

मगर
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तावङो घणो थो तो गन्ना रो रस पिर पाछा आग्या ......

शुक्रवार, 1 मई 2015

सूजी

एक ईसाई खुद री लुगाई ने घणी भांगी,
ठोक ठोका ने वो तो बारे गयो।
खने एक मारवाड़ी लुगाई रेवती वा वीरे खने गई और पूछ्यो
थाने तो थाना धणी घणी भांगी-आपरो नाम काईन है??
लुगाई बोली-सूजी(suzi),
मारवाड़ी लुगाई-ऐ मारी माँ इत्ती भांगी तो सूजी कोनी तो कई रेई। हाल तो बाई सूजी है काले पाकेला हावल ध्यान राखजो सा।

बुधवार, 29 अप्रैल 2015

थोड़ा दिना पछे ए शायद कोनी मिलेला

थोड़ा दिना पछे ए शायद कोनी मिलेला ⌛

 लुगाईओ में लाज,
दिलों में राज,
चुल्हा री आग,
सरसुं रो साग,
सिर उपर पाग,
संगीत रा राग,

.... कोनी मिलेला सा ...

औंगण में ऊखल,
कूण म मूसल,
घरां में लस्सी,
लत्ते टांगण की रस्सी
रिश्तों रो उजास,
दोस्तों रो गरमास,
पहलवानां री लंगोट,
हनुमानजी रो रोट,
घूंघट आली लुगाई,
गावं म दाई, 

..... कोनी मिलेला सा ....

सासरा में लाडू ,
तैवार माथे साडू,
दोस्तां साथे भोज,
सुबह शाम नितरोज,
िचड़ी बल्ला रो खेल,
WHatsapp माते मेल,

.......कोनी मिलेला सा .....

बात सुनती घरआली,
हँस बतलावती साली,
घरां में बुढ्ढा,
बैठकां में मुड्डा,
अलपता टाबर,
सुहावता आखर,
अनजानो री आशीष,
कमतर ने बक्शीस,
राज में भला,
ने बंद गला,

.....कोनी मिलेला सा...

शहर री आन,
मुछों री शान
ताऊ रो हुक्का,
ब्याह रो रुक्का,
हिसाब री पर्ची,
गली वालो दर्ज़ी ,
पाटडे माते नहाणो,
पत्तल पे खाणा,
पाणी भरेडा देग,
बेन बेटी रो नेग,

.........कोनी मिलेला सा ....

खाणो वाइफ रो

खाणो वाइफ रो,
पाणी पाइप रो, ,
ध्यान एक री,
सलाह दो  री,
गावणो तीन रो,
चोकडी चार री,
पंचायती पान्च री,
छाती कुटो छ: रो,
प्यार भाई रो,
नशो दवाई रो,
दूध गाय रो,
स्वाद मलाई रो,
वेर दुश्मन रो,
वगार राई रो,
एको नाई रो,
घर लुगाई रो,
टोन्को दर्ज़ी रो
मेसेज दमजी रो
न्याय ताकडी रो,
साग काकडी रो,
जाल मकडी रो,
बलितो लकडी रो,
घी जाट रो,
तेल हाट रो,
तोलणो बाट रो,
लाडु सुण्ठ रो,
महीनो जून रो,
कपडो ऊन रो,
घाघरो वरी रो,
और नाम बोलो हरी रो। 

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सोमवार, 27 अप्रैल 2015

5 मारवाड़ी सब्जियो के नाम

मारवाड़ मे एक नरसरी क्लास के

हिन्दी के ओरल पेपर मे मेडम ने पुछा की

,,५सब्जियो के नाम बताओ ?

,, बच्चा बोला,,,-





पापड,बडिया,राबोडि,गट्टा,मोगर

शनिवार, 25 अप्रैल 2015

खेत में एक सांप

भोत पुराणी बात है.....म्हारै गाँव में एक गरीब आदमी हो
बापड़ो
बो एक दिन खेत गयो, ।
खेत में एक सांप बिंगे पग गै डंक मार दियो,

बो आदमी रोयो कोनी आप गो पग सांप गे आगे कर दियो ..

कैवै
..ले और मारलै डंक,

सांप बिंगे २-३ डंक और मार दिया,

आदमी आपगो पग और आगे कर दियो कै ..

.ले और मारलै डंक

सांप और ४-५ डंक मार दिया ,

सांप बापड़ो डंक मारतो मारतो धाप ग्यो,

अर आदमी ने पूछ्यो कै भाया तूं आदमी है क कोई ओपरी छायाँ है?

तेरे मैं डंक मारण लागरयो हूँ कोई असर क्यों कोनी हुवै ..

आदमी बोल्यो कै सांप राजा मैं ओपरी छायाँ कोनी आदमी ही हूँ

पण मेरो ओ पग जयपुर स्यु ल्यायोडो है

महावीर विकलांग केंद्र स्यु ...

..................... हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा

शक्ति स्तुति.........

शक्ति स्तुति.........

करणी करुणा कारिणी , काटण कठण कलेश l
आवड़ अम्ब अवतारिणी, आवौ आप अवेस  |

आदि सगत तू ईसरी, आवड. तू अवलम्ब
जुग तारण तू जोगणी,जै जै जै जगदम्ब

दुर्गा दुक्ख निवारिणी, दुस्ट दलन दातार
प्रकटौ पिनाकधारिणी, शरणागत साधार

चामुण्डा चकरेसरी, चरण शरण मैं तोय
पत राखौ परमेसरी मेहर करियौ मोय

करनल किरपा कीजिऐ ,धरूं तिहारो ध्यान
राजी होकर रीझिये ,दे दरसण को दान

नागाणा नित नमन करूं,नव नारायणी नाथ
नेह निज नवाज कर   हरदम राखौ हाथ (रतनसिहं चाँपावत )

नीति रा दुहा

नीति रा दुहा

सदा न संग सहेलियां, सदा न राजा देश
सदा न जुग में जीवणा, सदा न काळा केश ।।

सदा न फूले केतकी, सदा न सावण होय
सदा न विपदा रह सके, सदा न सुख भी कोय।।

सदा न मौज बसंत री , सदा न ग्रीसम भांण
सदा न जोबन थिर रहे, सदा न संपत मांण ।।

सदा न काहूं की रही , गळ प्रीतम के बांह
ढळतां-ढळतां ढळ गई, तरवर की सी छांह ।
पुराना